अवसरवादी राजनीति के जाल में फंसा बोडो का जातीय संकट/ जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

जातीय संघर्ष हो या साम्प्रदायिक दंगे भारत के अधिकतर नेता जातीय समस्या को कानून-व्यवस्था की समस्या के रूप में देखते हैं। भारत में जातीय और साम्प्रदायिक दंगे जब भी होते हैं तो अवसरवादी राजनीति और प्रशासनिक निकम्मापन खुलकर सामने आ जाता है।बोडो इलाके में भी इनदिनों यही हो रहा है।राज्य प्रशासन इसे कानून-व्यवस्था की समस्या के रूप में ही देख रहा है ,जो गलत है।

विगत दो माह से बोडोलैंड के इलाके में तनाव है। बोडो समुदाय के अतिवादियों ने गैर बोडो समुदाय के लोगों पर सामूहिक हमले किए हैं। इन हमलों में 80 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। सैंकड़ों लोग घायल हुए हैं और पांच लाख स्थानीय बाशिंदे विस्थापित हुए हैं। हाल ही में बोडो हिंसाचार और विस्थापन के आरोप में बोडो पीपुल्स फ्रंट के विधायक प्रदीप कुमार ब्रह्मा को असम पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ब्रह्मा की गिरफ्तारी के बाद इस इलाके में तनाव बढ़ गया है। गिरफ्तारी के तत्काल बाद ही उनके समर्थकों ने रेल यातायात ठप्प करके असम को बाकी देश से काट दिया और अंत में मजबूर होकर सेना को स्थिति संभालने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा। बोडो नेता प्रदीप कुमार ब्रह्मा के खिलाफ पुलिस थाने में अनेक केस दर्ज हैं और उनका दल कांग्रेस के साठ सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल है। विलक्षण बात यह है कि प्रदीप ब्रह्मा का बोडो पीपुल्स फ्रंट एक तरफ कांग्रेस सरकार के सत्तारूढ़ मोर्चे में शामिल है वहीं दूसरी ओर उसे भाजपा का भी समर्थन हासिल है। जिस समय दिसपुर के अधिकारियों ने प्रदीप ब्रह्मा को गिरफ्तार किया तो उनसे यही कहा गया कि वे बोडो पीपुल्स फ्रंट के लोगों के प्रति नरमी बरतें क्योंकि कांग्रेस को डर है कि उनकी राज्य सरकार बोडो विधायकों के समर्थन वापस ले लेने से गिर सकती है और यही वह बुनियादी वजह है कि बोडो अतिवादियों ने जब हमले आरंभ किए तो राज्य प्रशासन मूक दर्शक बना रहा और बोडो हिंसाचार की जांच का काम सीबीआई के हवाले कर दिया है। अब प्रदीप कुमार ब्रह्मा के खिलाफ जो केस दर्ज हैं उनको भी सीबीआई को सौंपने की तैयारियां चल रही हैं। सीबीआई के हवाले जातीय दंगों की जांच सौंपकर राज्य प्रशासन नेसाफ कर दिया है कि वह इन दंगों की जांच करने की स्थिति में नहीं है। उल्लेखनीय है प्रदीप ब्रह्मा के खिलाफ सात आपराधिक मामले कोकराझार के विभिन्न थानों में दर्ज कराए गए हैं जिनमें चश्मदीद गवाहों ने बयान तक दिए हैं। बोडो अतिवादियों के हिंसाचार और लाखों लोगों के पलायन को लेकर ज्योंही बोडो विधायक प्रदीप ब्रह्मा को गिरफ्तार किया गया भाजपा ने तत्काल उसकी गिरफ्तारी की निंदा की। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तरुण विजय ने ब्रह्मा की गिरफ्तारी को लोकतंत्रविरोधी और बदले की कार्रवाई कहा। बोडो इलाके में 80 से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्या करने और पांच लाख से ज्यादा लोगों को शरणार्थी बनाने वाले राजनीतिक संगठन के नेता को भाजपा प्रवक्ता तरुण विजय ने राष्ट्रभक्त भारतीय नागरिक कहा है। भाजपा का मानना है कि प्रदीप ब्रह्मा राष्ट्रभक्त भारतीय है जो एक तरफ बंगलादेशी घुसपैठियों और दूसरी ओर पुलिस के दमनतंत्र का शिकार बना है। पुलिस सूत्रों के अनुसार प्रदीप कुमार ब्रह्मा को 22 अगस्त को कोकराझार जिले के फकीरग्राम और दोतमा पुलिस थाने में दरिज केस नं.27/2012U/S ,120(बी)/147/ 148/ 149/ 436/426/379/506 की धाराओं में दर्ज मामलों के संदर्भ में आधी रात को उनके घर से गिरफ्तार किया गया। कोकराझार के चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट सी.चतुर्वेदी के सामने 23अगस्त को जब ब्रह्मा की जमानत याचिका पेश की गई तो चीफ जुडीशियल मजिस्ट्रेट ने उसे खारिज करके ब्रह्मा को 14दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। दूसरी ओर ब्रह्मा के समर्थकों ने 4-5 घंटे तक असम के विभिन्न इलाकों का समूचा रेल यातायत ठप्प कर दिया , खासकर कोकराझार में जगह जगह प्रतिवाद किया और सड़कों और रेलमार्ग को ठप्प कर दिया। इससे असम का पूरे देश से संपर्क कटा रहा। विभिन्न स्थानों पर सभी ट्रेन 5-6 घंटे तक फंसी रहीं,बाद में ब्रह्मा के समर्थकों ने कोकराझार इलाके में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा कर दी।

इस समय कोकराझार में एक तरफ कर्फ्यू है दूसरी ओर बोडो पीपुल्स फ्रंट का अनिश्चितकालीन बंद चल रहा है।एक अन्य घटनाक्रम में विगत शुक्रवार को गोहाटी में प्रेस को सम्बोधित करते हुए दि नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ने नार्थ ईस्ट के छात्रों और पेशेवर लोगों के देश के बाकी हिस्सों से हाल ही में हुए पलायन के खिलाफ आगामी 6सितम्बर को असम को छोड़कर समूचे नार्थ ईस्ट में एकदिन के बंद का आह्वान किया है। उल्लेखनीय है कि यह संगठन उत्तर-पूर्व के राज्यों में छात्रों का संयुक्त मंच है। इसमें विभिन्न राज्यों में सक्रिय छात्र संगठन शामिल हैं।इनमें अधिकांश अतिवादी राजनीति करने वाले संगठन हैं। इस संगठन ने मांग की है कोकराझार में हाल की हिंसा के शिकार विस्थापितों में सिर्फ उन्हीं विस्थापितों को शरणार्थी शिविरों में मदद दी जाए जो माइग्रेट करके भारत नहीं आए हैं। माइग्रेंट पीडितों को कोई मदद न की जाय। दूसरी ओर बोडो पीपुल्स फ्रंट के नेता और बोडो आदिवासी परिषद के अध्यक्ष हग्रामा मोहीलरी ने एक बयान जारी करके सारी स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। उन्होंने मांग की है कि हाल के बोडो हिंसाचार के कारण विस्थापित लोगों में उन्हीं लोगों का पुनर्वास किया जाय जिनके नाम 1971 की मतदाता सूची में हैं और जो इसका प्रमाण दे सकें। जिनके पास प्रमाण नहीं है उनका पुनर्वास न किया जाय। यदि इसके बिना विस्थापितों का पुर्नवास किया जायगा तो बोडो आदिवासी परिषद इसका विरोध करेगी। मोहीलरी ने यह भी कहा कि असम में कांग्रेस-बोडो पीपुल्स फ्रंट का गठबंधन बना रहेगा।मोहीलरी ने मांग की है कि भारत-बंगलादेश सीमा को पूरी तरह सील किया जाय और जो वैध नागरिक हैं सिर्फ उनकी ही पुनर्वास व्यवस्था की जाय।

आगामी 26अगस्त को बोडो पीपुल्स फ्रंट का एक प्रतिनिधिमंडल केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से मिलने दिल्ली जा रहा है और उनको ज्ञापन देकर बोडो इलाके की ताजा स्थिति से अवगत कराएगा। अब सबकी निगाहें शिंदे और बोडो नेताओं की आगामी सप्ताह होने वाली मीटिंग पर लगी हैं। कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि बोडो इलाके में स्थिति सामान्य बनाने के लिए कोई बीच का रास्ता निकल आए और विस्थापितों को पुनःउनके घरों में ले जाकर बसा दिया जाय और बोडो नेताओं के आक्रोश को भी ठंड़ा कर दिया जाय।यही वजह है कि राज्य और केन्द्र के किसी भी बड़े कांग्रेसी नेता ने हाल की बोडो पीपुल्स फ्रंट की हिंसात्मक कार्रवाईयों की निंदा में एक शब्द तक नहीं कहा और भाजपा ने तो सीधे इस संगठन को समर्थन दिया है। ऐसी स्थिति में जल्द ही कोई समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा।

2 COMMENTS

  1. कोन्ग्रेस इ नै पक्का किय हुअ है कि यै “देश” क सत्यनश करकर हि मनेगै, जैसे इस्नै काश्मइर मै बिज बोए, कश्मिर क नश किय, वैसे हि यै अब “असम” का कर रहि है

  2. बोडो लीडर्स की मांगे सही है. बंगलादेशी मुसल्मानोके हमले को न्यूज़ से दबा दिया गया है और जब बोडो ने जवाब दिया तो दिक्कत हो गई? भारत को मुग्लिस्तान बनाने का ये आज की सेंट्रल सरकारका षड्यंत्र . मिडिया वाले उनका साथ दे रहे है. आप के यह एक तरफी लेख के लिए आप को शर्म अणि चाहिए.

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