दोनो बराबर हैं

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नारी विमर्श नारी उत्थान,करते करते,

पुरुष पंहुच गया हाशिये पर,

उसे पता भी न चला कि नारी ने,

कब बना दिया उसे बेचारा!

लड़की को लक्ष्मी कहने वाला समाज,

उसे पैदा नहीं होने देता,

या उसके होने पर रोता है,

क्योकि  यहाँ घाटा है।

लड़का पैदा हुआ तो ढ़ोल बजते हैं।

फ़ायदे का सौदा है!

जितना ज़्यादा पढ लेगा,

उतना मंहगा बिक लेगा,

बेरोज़गार भी बिकता है,

लाख दो लाख मे,

सुरक्षित निवेश है।

बेटी तो लेकर ही जायेगी,

काम क्या आयेगी,

ससुराल के बोझ तले,

दब कर रह जायेगी!

कहने को कह देते हैं,

बेटियाँ सदा अपनी रहती हैं,

पर बेटियों का दिया यहाँ,

किसे पचता है!

बेटा चुपड़ी रोटी खायेगा,

निवेश है बाद मे काम आयेगा,

बेटी सूखी रोटी मे पल जायेगी,

पर बिना दहेज़ के न चल पायेगी।

पढ़ाना तो दोनो को है…

बेटी के लियें नर्सरी मे पांइट है,

दाखिला मिल जायेगा,

पर बेटा कहाँ प्रवेश पायेगा?

पढ़ते पढ़ाते बारहवीं भी हो गई।

लड़की के लियें इतने कौलिज है,

नम्बरों की छूट है ,

दाख़िला मिल जायेगा,

लड़का दर दर ठोकर खायेगा।

दोनो ने कैसे न कैसे एम.बी.ए. कर लिया,

नौकरी भी लग गई,

लड़का बिका पचास मे,

लड़की ले गई पचास।

दो बच्चों के बाद,

छोड़ दी नौकरी लड़की ने,

काश! वो एम. बी. ए. की सीट,

बर्बाद न करती,

किसी होनहार युवक की,

ज़िन्दगी बनती!

बच्चे होने पर,

तीज त्योहार पर,

कभी पायल कभी झुमकी,

देकर विदा की बेटी,

बीमार मां को भी देखने आई,

तो साड़ी के बिना न हुई बिदाई।

बेटे को देखा तो मकान की मरम्मत,

याद आई।

अस्पताल के बिल याद आये,

क्या नहीं ये सच्चाई!

लड़का घिस रहा है जूते,

कभी बौस की,

कभी मां की, कभी पत्नी की,

सुनता है।

सबको ख़ुश करने के लियें,

ख़ुद को भूल जाता है।

वो भी तो इंसान है,

पर उसकी किसे परवाह है।

अब आया वक़्त,

पैतृक संपत्ति के बटवारे का,

बड़ी शान से हमने कहा,

बेटा बेटी दोनो बराबर हैं!

1 COMMENT

  1. बीनू जी आप बिल्कुल सच कह रही हैं – मॉडल राज्य गुजरात में ————– गुजरात में आज भी महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं – बस पत्रकार बिके हुए हैं —– महामहिम कमलाबेनीवाल पर गलत इल्जाम लगाकर हटाने का षडयंत्र अत्यंत निंदनीय है और सरकार की महिलाओं के प्रति संकुचित मानसिकता की द्योतक भी है ——————————————————-
    सम्पूर्ण देश विशेष करके विकास के रोल मॉडल के तौर पर पेश किए जाने वाले गुजरात की प्रगति सामान्यजन से कितनी जुड़ी है इस पर अगर विचार करें तो:- एक महिला को न्याय न मिलने पर गुजरात की अदालत में ज‌हर पीना पड़ता है (देखिए राजस्थान पत्रिका- 27/2/13, 12/3/13 पेज न.12, 03), एक दूसरी महिला (विनु बेन वाघेला) अपने चार बच्चों के साथ आत्महत्या के लिए साबरमती नदी में कूद जाती है (देखिए राजस्थान पत्रिका- 18-1-13 पेज न.03), एक तीसरी महिला ( ममता गोहेल-24 )आर्थिक तंगी व गृह क्लेश के कारण अपने तीन बच्चों को कुएँ में फेंककर स्वयं आत्महत्या कर लेती है ( देखिए राजस्थान पत्रिका – 15-5-13, पेज नं-12 )
    गुजरात के प्रमुख नेता हीरेन पांड्या की पत्नी जागृति पाण्ड्य जो मोदी साहब के खिलाफ चुनाव भी लड़ी थीं उस व्यक्ति से मिलने जेल जाती हैं जिस पर उनके पति की हत्या का आरोप है और वो इस वारदात से इंकार करके अपने को निर्दोष बताता है ( देखिए द टाइम्स ऑफ इण्डिया – 13 /6 /13 पेज न.01)
    राजकोट पुलिस आयुक्त कार्यालय में कानून की रखवाली करने वाली महिला वकील दिव्या धीरज बेन राठोर ( 25 ) को रिपोर्ट ना लिखे जाने पर हाथ की नस काटकर आत्महत्या का प्रयास करना पड़ता है ( देखिए राजस्थान पत्रिका-16 /7 /13 पेज न-05)
    गुजरात के राजस्व मंत्री आनंदी बेन पटेल के अनुसार गुजरात के सरकारी और निजी कार्यालयों में महिलाएँ सुरक्षित नहीं हैं ( देखिए राजस्थान पत्रिका- 04 /02 /14 पेज न.-03 )
    प्रसूति के बाद महिला पुलिस कर्मियों के स्थानांतरण आदेश पर हाईकोर्ट राज्य सरकार से नाराज तथा गरीब कल्याण मेले में आवंटित प्लॉट 04 सालों से न मिलने पर गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को शपथपत्र पेश करने का आदेश दिया है(देखिए राजस्थान पत्रिका-28/3/14, पेज न.03)
    मेहसाणा ( गुजरात )‌ से आम आदमी पार्टी प्रत्यासी “वंदना पटेल” पर तीसरी बार जानलेवा हमला हुआ है ( देखिए – राजस्थान पत्रिका – 24/04/14, पेज- 04 ) मोदी किस भरोसे देश की महिलाओं की सुरक्षा की बात करते हैं ? ? ——— —– अत्यंत पिछ्ड़े और निरक्षर समाजों में भी शिक्षक-शिक्षिकाओं का सम्मान होता है पर के.डी.अंबानी विद्यामंदिर, रिलायंस टाउनशिप, जामनगर (गुजरात) में हिंदी शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ जानवरों जैसा सलूक होता है, उनके बच्चों को शांतिपूर्ण ढंग से बोर्ड की परीक्षा तक नहीं देने दिया जाता है। आकाशवाणी राजकोट के हिंदी वार्ताकार, 25 सालों के अनुभव वाले स्थायी हिंदी शिक्षक को बेइज्जत करके निकाल दिया जाता है, उनके बच्चों को सी.बी.एस.ई. की बोर्ड परीक्षा के समय भी परेशान किया जाता है, देश में भले ही लड़कियों और महिलाओं के लिए कानून हों पर रिलायंस स्कूल में हिंदी शिक्षिका की बेटी को बोर्ड परीक्षा नहीं देने दिया जाता है निर्दोष हिंदी शिक्षिका को अमानवीय प्रताड़नाएँ झेलनी पड़ती हैं क्योंकि [ उन्होंने रिलायंस स्कूल के प्रिंसिपल मिस्टर एस.सुंदरम के हिंदी दिवस (14-9-10) के दिन के इस कथन :- “बच्चों हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, हिंदी टीचर आपको गलत पढ़ाते हैं।” तथा उसी विद्यालय के प्रतिदिन के प्रात: कालीन सभा में प्रिंसिपल सुंदरम बार-बार यह कहते हैं :– “ बड़ों के पाँव छूना गुलामी की निशानी है, सभी शिक्षक-शिक्षिकाएँ अपनी बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ खरीद कर लाते हैं, गाँधीजी पुराने हो गए, उन्हें भूल जाओ, फेसबुक को अपनाओ तथा बच्चों अगर आपके मम्मी-पापा भी आप पर सख्ती करते हैं तो आप पुलिस में केस कर सकते हो ” जैसी बातों से असहमति जताई थी।
    राज्य के शिक्षामंत्री तथा मुख्यमंत्री महोदय से बार-बार निवेदन करने, महामहिम राष्ट्रपति-राज्यपाल, सी.बी.एस.ई. प्रधानमंत्री आदि के इंक्वायरी आदेश आने. के बावजूद कोई निदान नहीं मिला है, सब कुछ दबाकर चीफ सेक्रेटरी गुजरात 2011 से ही बैठे हुए हैं अर्थात राष्ट्रभाषा हिंदी का सवाल एक बहुत बड़ा मुद्दा बनकर उभर रहा है। देश की प्रमुख पार्टियाँ रिलायंस की मुट्ठी में हैं ये बातें रिलायंस के अधिकारी खुले आम करते हैं।

    • binu ji, vartman samay me hamare desh ki chunav paddhati atyant bhrast hai. isliye koi bhi rastrahitaishi vyakti neta nahi ban pata hai. desh ki sabhi choti bari samasyao ka mool karan ‘Bharat Nirvachan Ayog’ ki galat chunav prakriya hai. Namankan, jamanat rashi, chunav chinh aur e.v.m. dwara kabhi bhi yogya vyakti neta nahi ban sakta.’ Vaidik Chayan Pranali’ se hi is desh ka aur smpoorn vishwa ka kalyan hoga.

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