हरियाणा कांग्रेस में फूट का धुंआ

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huddaजग मोहन ठाकन

चिंगारी कोर्इ सुलग रही है , उठ रहा है धुआं धुआं ।

          है कौन हवा जो दे रहा , कभी यहां धुंआ कभी वहां धुआं ।

उपरोक्त पंकितयां वर्तमान में हरियाणा कांग्रेस के दामन बीच  सुलग रही  फूट की चिंगारी को एकदम सटीक परिभाषित कर रही हैं ।छोटे से प्रांत हरियाणा में कांग्रेस में जितने नेता उपनेता हैं उतने ही गुट पनप चुके हैं।    मुख्यमंत्री हुडडा  के खिलाफ बगावत के सुर समय समय पर जोर पकड़ते जा रहे हैं ।परन्तु अब हालात कुछ ज्यादा ही बिगड़ने के संकेत मिल रहे हैं। विकास के भेदभाव के नाम पर हाल ही में प्रदेश के तीन विधायकों के त्याग पत्र की बात उठी थी ,जो  जैसे तैसे दबा दी गर्इ थी । परन्तु  पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के जन्म दिन पर एक ही दिन  एक ही समय  कांग्रेस की दो समानांतर रैलियों ने आपसी फूट को सड़कों पर ला छोडा़ । एक तरफ पानीपत में जहां मुख्यमंत्री हुडडा द्वारा आगामी चुनाव में वैतरणी तारक नैया  के रूप में देखी जा रही खाध सुरक्षा योजना को लागू करने की घोषणा की गर्इ , वहीं उसी समय  एक  समानांतर  रैली में हुडडा  के धुर विरोधी एवं        मुख्यमंत्री कुर्सी पर विराजने को आतुर राज्यसभा सांसद विरेन्द्र सिंह ने जींद में विरोध की हुंकार भर अपनी उपसिथति दर्ज करार्इ । विरेन्द्र सिंह की जींद रैली में कांग्रेस हार्इकमान के प्रतिनिधि के रूप में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी शकील अहमद ने घोषणा की कि यदि दोबारा से कांग्रेस की सरकार बनती है तो विरेन्द्र सिंह को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जायेगी । इस घोषणा का अर्थ विरेन्द्र सिंह खेमे में मुख्यमंत्री कुर्सी से लगाकर प्रचारित किया जा रहा है । कांग्रेस के एक अन्य दिग्गज नेता व कांग्रेस महासचिव दिगिवजय सिंह ने नसीहत दी कि प्रदेश के मुखिया की जिम्मेदारी सबको साथ  लेकर चलने की होती है । हालांकि पहले प्रचारित किया जा रहा था कि स्वयं सोनिया गांधी इस रैली में आयेंगी । परन्तु ऐन वक्त पर रैली मंच से विरेन्द्र सिंह ने यह कह कर अपनी साख बचाने की कोशिश की कि उन्होने स्वयं कांग्रेस अध्यक्षा को रैली में न आने की बात कही थी ताकि आपस की फूट नजर न आये । विरेन्द्र सिंह की रैली में मुख्यमंत्री हुडडा से असंतुष्ट चल रही केन्द्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने भी अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि जब तक प्रदेश के सभी जिलों में विकास नहीं करवाया जायेगा , उनकी लड़ार्इ जारी रहेगी । विरोधी गुट की रैली में पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पौत्री सांसद श्रुति चौधरी ने भी हिस्सा लिया ।जींद रैली में राज्यसभा सांसद विरेन्द्र सिंह ने उत्तरी हरियाणा के साथ विकास में भेदभाव का आरोप लगाया ।उन्होने रैली में बताया कि यदि 1991 के विधान सभा चुनाव से दो दिन पहले राजीव गांधी का देहांत नहीं होता तो वे हरियाणा के मुख्यमंत्री होते ।

उधर एक अन्य असंतुष्ट नेता गुड़गांव के कांग्रेसी सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्र जीत सिंह भी पिछले कुछ दिनों से बगावती तेवर अपनाये हुए हैं । अपने गैर राजनीतिक संगठन हरियाणा इंसाफ मंच के बैनर तले वे जगह जगह मुख्यमंत्री हुडडा पर विकास में भेदभाव के आरोप लगा रहे हैं ।उन्होने ऐलान किया हुआ है कि वे 23 सितम्बर को नर्इ राजनीतिक दिशा तय करेंगे । परन्तु इसी बीच जानकारी मिली है कि  सांसद की पुत्री भारती सिंह ने अपने पिता के समर्थकों की कमान सम्भाल ली है तथा चुनाव आयोग में अपनी अलग राजनीतिक पार्टी  हरियाणा इंसाफ  कांग्रेस के पंजीकरण की प्रकि्रया प्रारम्भ कर प्रदेश की राजनीति में एक और विस्फोट कर दिया है ।

वैसे तो हरियाणा कांग्रेस  में फूट के स्वर शुरू से ही रहे हैं । पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की बजाय हुडडा को मुख्यमंत्री बनाने के कांग्रेस हार्इकमान के फैसले से नाराज होकर भजनलाल समर्थकों ने कांग्रेस से किनारा कर अपनी अलग राजनैतिक पार्टी , हरियाणा जनहित कांग्रेस , का गठन कर लिया था । जो अभी भी भजनलाल के पुत्र एवं सांसद कुलदीप बिश्नोर्इ के नेतृत्व में भाजपा के साथ गठबंधन करके सत्ता में आने के सपने संजो रहे है ं।

समुंद्र में जब कोर्इ मछली छोटी मछलियों को खाकर बड़ा आकार पा लेती है तो वह भी अपने आप को मगरमच्छ समझने का भ्रम पाल लेती है । परन्तु इसी भ्रमवश उठाये गये कदम कर्इ बार आत्मघाती सिद्ध होते हैं। अब देखना यह है कि कितनी मछलियों का मगरमच्छ बनने का सपना उन्हे ले बैठता है ।पर प्रश्न उठता है कि क्या समुद्र में इतनी उछल कूद मचाकर समुद्र को बिलोने का प्रयास करने वाली मछलियों के मंसूबे बारे समुद्र को ज्ञान नहीं है ? इस पर राजनैतिक पंडितों का खरा सा जवाब है कि यह सब समुद्र की शह बिना सम्भव नहीं है। समुद्र भी चाहता है कि उसमें रहने वाली मछलियां सकि्रय रहें तथा अपने अन्दर भर रही विद्रोह व विरोध की हवा को समुद्र के अन्दर रह कर ही गुड़गुड़ाकर निकाल दें । हवा निकलने के बाद गुबारा चाहे लाख प्रयास करे , उड़ान नहीं भर सकता । समुद्र को यह भी पता है कि चाहे कितनी भी भारी मछली क्यों न हो समुद्र जल के बिना उसका जीवन सम्भव नहीं है । इसीलिए समुद्र इन मछलियों की उछल कूद पर आंख मूंदे रखता है ।

खैर बात कुछ भी हो ,कांग्रेस की फूट का धुआं जगह जगह बादलों का रूप धारण किये हुए गर्जना के स्वर उत्पन्न कर रहा है । भले ही गरजते हैं सो बरसते नहीं ं ।

जग मोहन ठाकन

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