बुद्ध (वैशाख) पूर्णिमा 10 मई 2017 पर 297 साल बाद बनेगा बुधादित्य महासंयोग—

हमारी सनातन या वैदिक संस्कृति में वैशाख मास को बहुत ही पवित्र माह माना जाता है इस माह में आने वाले त्यौहार भी इस मायने में खास हैं। वैशाख मास की एकादशियां हों या अमावस्या सभी तिथियां पावन हैं लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना महत्व माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को महात्मा बुद्ध की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।

हमारी सनातन या वैदिक संस्कृति में वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के नाम से जाना जाता है | बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिए सबसे बड़ा त्यौहार है | यह पर्व महात्मा बुद्ध के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है | इस दिन श्रद्धालु महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं, उनके कार्यों व उनके व्यक्तित्व को याद कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते है और उनके द्वारा बताये गये रास्ते पर चलने का संकल्प लेते है |

297 साल बाद 10 मई को आ रही वैशाख पूर्णिमा पर बुधादित्य योग का महासंयोग बन रहा है, जो स्नान, दान-पुण्य के साथ खरीदी के लिए शुभ है। ज्योतिषियों ने ग्रह गोचर की गणना अनुसार इसे कारोबार में बढ़ोतरी कराने वाला व दान-पुण्य के लिए शुभ बता रहे हैं। हालांकि शासन-प्रशासन के लिए चुनौतियों भरा समय भी होगा। इसके पहले वैशाख पूर्णिमा पर ये संयोग 22 अप्रैल 1720 में यानी लगभग तीन शताब्दी के अंतराल से बने थे। बुधवार के दिन वैशाख पूर्णिमा आने से बुधादित्य सहित कई ग्रह-नक्षत्रों की युति से योग-संयोग एक साथ बन रहे हैं। सबसे खास यह होगा कि पूर्णिमा पर सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होने से शिप्रा में स्नान, ब्राह्मण को दान, पितरों के निमित्त पूजन, घट दान, यम के निमित्त लोहे की वस्तु, वस्त्र भूमि आदि दान-पूजन का कई गुना अधिक फल मिलेगा। पूर्णिमा के दिन बाजार में खरीदी से लेकर नए कार्यों की शुरुआत समृद्धि कारक होगी। उन्होंने बताया गुरु-मंगल के नवम पंचम योग व्यापार में वृद्धि कराएंगे। गुरु शुक्र के सम सप्तक योग ऋतु परिवर्तन, तपिश में वृद्धि व आने वाले समय में बारिश के लिए श्रेष्ठ रहेगा। लेकिन शनि मंगल के खड़ा अष्टक से देश में सैन्य, न्याय एवं पुलिस प्रशासन के सामने विपरीत परिस्थितियों की चुनौतियां बनेगी। साथ ही गुरु-शनि का वक्रत्व काल धान्य में मंदी का योग बनाएगा |योग-संयोग की गणना ज्योतिष में दुर्लभ होती है। बृहस्पति का वैशाख मास के अंतर्गत मंगल, शनि व शुक्र से संबंध लंबे अंतराल के बाद बनता है। इनकी गणना में कभी कोई ग्रह वक्री तो कभी मार्गी होता है। इस दृष्टि से बहुत वर्षों के बाद ही ऐसी स्थिति बन पाती है। इस बार यह संयोग शनि की गणना तथा बृहस्पति के वक्रत्व काल से बना है।

वैशाख महीने में आने वाली पूर्णिमा को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होता है और चन्द्रमा भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है | अत: ऐसे शुभ मुहूर्त में पवित्र जल से स्नान करने से कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है |वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के दिन प्रात: पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए | यदि पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो तो शुद्ध जल में गंगाजल मिला कर स्नान करें | प्रात: स्नान के बाद पूरे दिन का व्रत रखने का संकल्प लें | वैशाख पूर्णिमा पर तीर्थ स्थलों पर स्नान का तो महत्व है ही साथ ही इस दिन सत्यविनायक का व्रत भी रखा जाता है जिससे धर्मराज प्रसन्न होते हैं। इस दिन व्रती को जल से भरे घड़े सहित पकवान आदि भी किसी जरूरतमंद को दान करने चाहिये। स्वर्णदान का भी इस दिन काफी महत्व माना जाता है। व्रती को पूर्णिमा के दिन प्रात:काल उठकर स्नानादि से निवृत हो स्वच्छ होना चाहिये। तत्पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिये। रात्रि के समय दीप, धूप, पुष्प, अन्न, गुड़ आदि से पूर्ण चंद्रमा की पूजा करनी चाहिये और जल अर्पित करना चाहिये। तत्पश्चात किसी योग्य ब्राह्मण को जल से भरा घड़ा दान करना चाहिये। ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन करवाने के पश्चात ही स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिये। सामर्थ्य हो तो स्वर्णदान भी इस दिन करना चाहिये।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन पूजा – पाठ करने और दान देने का भी विशेष महत्व है | इस दिन सत्तू, मिष्ठान, जलपात्र, भोजन और वस्त्र दान करने और पितरों का तर्पण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है |नारद पुराण के अनुसार पूर्णिमा के दिन प्रातः स्नान कर पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए। रात के समय फूल, धूप, दीप, अन्न, गुड़ आदि से चंद्रमा की पूजा कर उन्हें जल चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद श्रेष्ठ ब्राह्मण को जल से भरा हुआ घड़ा और विभिन्न प्रकार के पकवान दान करना चाहिए। इसके अलावा स्वच्छ जल से भरे हुए घड़े के साथ ब्राह्मण को सोना दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
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जानिए वर्ष 2017 में वैशाख पूर्णिमा तिथि व मुहूर्त—
इस वर्ष 2017 में वैशाख पूर्णिमा 10 मई को है।
वैशाख पूर्णिमा तिथि – 10 मई 2017
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 01:07 बजे, 10 मई 2017
पूर्णिमा तिथि समाप्ति – 03:12 बजे, 11 मई 2017
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जानिए बुद्ध पूर्णिमा पूजा कैसे करे

पूर्णिमा के दिन सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रीतिमा के सामने घी से भरा हुआ पात्र, तिल और शक्कर स्थापित करें |
पूजा वाले दीपक में तिल का तेल डालकर जलाना चाहिए | पूर्णिमा के दिन पूजा के वक्त तिल के तेल का दिया जलाना अत्यन्त शुभ माना जाता है |
अपने पितरों की तृप्त के लिए व उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आप पवित्र नदी में स्नान करके हाथ में तिल रखकर तर्पण करें |
बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथों का निरंतर पाठ करें |
बोधिवृक्ष की शाखाओं को हार व रंगीन पताकाओं से सजाकर उसकी पूजा करें | उसकी जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाले और बोधिवृक्ष के आस – पास दीपक जलाएं |
इस दिन पंक्षियों को पिजड़े से मुक्त कर आकाश में छोड़ा जाता है |
पूर्णिमा के दिन दान में गरीबों को वस्त्र, भोजन दें | ऐसा करने से गोदान के सामान फल प्राप्त होता है | पूर्णिमा के दिन तिल व शहद को दान करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है |
इस दिन मांस – मदिरा का सेवन करना वर्जित है क्योंकि गौतम बुद्ध पशु बध के सख्त विरोधी थे |
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विशेष–297 साल बाद 10 मई को आ रही वैशाख पूर्णिमा पर बुधादित्य योग का महासंयोग बन रहा है। इस प्रकार के योग-संयोग की गणना ज्योतिष में दुर्लभ होती है। यह योग स्नान, दान-पुण्य के साथ खरीदी के लिए भी शुभ है।ग्रह गोचर की गणना के अनुसार, गुरु-मंगल के नवम पंचम, गुरु-शुक्र का समसप्तक योग एवं शनि-मंगल का षड़ाष्टक व्यापार में वृद्धि से लेकर ऋतु परिवर्तन कराने वाला होगा। इसके पहले वैशाख पूर्णिमा पर ये संयोग 22 अप्रैल 1720 में बना था।
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इस पूर्णिमा पर स्नान, दान व खरीदी के लिए बने है ये विशेष योग—

बुधवार को वैशाख पूर्णिमा आने से बुधादित्य सहित कई ग्रह-नक्षत्रों की युति से योग-संयोग एक साथ बन रहे हैं। सबसे खास यह होगा कि पूर्णिमा पर सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होने से पवित्र नदी में स्नान, ब्राह्मण को दान, पितरों के निमित्त पूजन, घट दान, यम के निमित्त लोहे की वस्तु, वस्त्र भूमि आदि दान-पूजन का कई गुना अधिक फल मिलेगा। पूर्णिमा पर बाजार में खरीदी से लेकर नए कामों की शुरुआत समृद्धि कारक होगी।
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जानिए किस योग का क्या होगा प्रभाव–

गुरु-मंगल के नवम पंचम योग व्यापार में वृद्धि कराएंगे। गुरु शुक्र के सम सप्तक योग ऋतु परिवर्तन, तपिश में वृद्धि व आने वाले समय में बारिश के लिए श्रेष्ठ रहेगा। धातुओं के मूल्य में वृद्धि होगी। लेकिन शनि मंगल के षड़ाष्टक से देश में सैन्य, न्याय एवं पुलिस प्रशासन के सामने विपरीत परिस्थितियों की चुनौतियां बनेगी। साथ ही गुरु-शनि का वक्रत्व काल धान्य में मंदी का योग बनाएगा। अग्नि संबंधी घटनाओं में वृद्धि होगी।
आगे ऐसे योग कब, इसकी गणना भी मुश्किल

इस प्रकार के योग-संयोग की गणना ज्योतिष में दुर्लभ होती है। बृहस्पति का वैशाख मास के अंतर्गत मंगल, शनि व शुक्र से संबंध लंबे अंतराल के बाद बनता है। इनकी गणना में कभी कोई ग्रह वक्री तो कभी मार्गी होता है। इस दृष्टि से बहुत वर्षों के बाद ही ऐसी स्थिति बन पाती है। इस बार यह संयोग शनि की गणना तथा बृहस्पति के वक्रत्व काल से बना है।
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ये उपाय करें अपनी राशि अनुसार इस विशेष योग वाली वैशाख पूर्णिमा पर—

धर्म ग्रंथों में वैशाख को सबसे श्रेष्ठ मास बताया गया है। इस समय भीषण गर्मी होती है। वैशाख पूर्णिमा पर यदि कुछ ऐसे उपाय किए जाएं जिससे लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिले तो पुण्य में वृद्धि होती है व ब्रह्मा, विष्णु व शिव तीनों देवता प्रसन्न होते हैं।

आपकी राशि चंद्र अनुसार ये उपाय इस प्रकार हैं-

मेष राशि- लोगों को पानी पीने के लिए प्याऊ लगवाएं या जरूरतमंदों को मटका दान करें।

वृषभ राशि- जरूरतमंदों को चप्पल, जूते का दान करें।

मिथुन राशि- गरीबों को ऋतु फल (सीजनल फ्रूट) का दान करें। जैसे- तरबूज, खरबूज, आम आदि।

कर्क राशि-इस राशि के लोग छतरी का दान करें, इससे भगवान प्रसन्न होंगे।

सिंह राशि- गरीबों को सत्तू का दान करें। अगर संभव न हो तो साबूत अनाज का दान भी कर सकते हैं।

कन्या राशि- अनाथ आश्रम या बाल आश्रम में पंखा, कूलर दान करें।

तुला राशि- इस राशि के लोग पेड़ लगाएं, इसेसे भविष्य में लोगों को राहत मिलेगी।

वृश्चिक राशि- मटके के ऊपर तरबूज या खरबूज रखकर ब्राह्मण को दान करें।

धनु राशि- श्रृद्धालुओं के लिए मंदिर के बाहर ठंडे पानी की व्यवस्था करें।

मकर राशि-पशुओं व पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम करने से भी भगवान प्रसन्न होते हैं।

कुंभ राशि- जरूरतमंदों को सूती वस्त्रों का दान करें।

मीन राशि- तीर्थ यात्रियों के लिए भोजन व पानी का प्रबंध करें।

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