बजट से तो राहुल गाँधी झूठे प्रतीत होते हैं

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विकास आनन्द

कल केंद्रीय बजट 2016-17 वित्त मंत्री अरुण जेटली दवरा प्रस्तुत किया गया.जिस तरह का बजट पेश किया गया उससे यह साफ लगता है कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा  लगातार लगाये जा रहे आरोप ‘सूट-बूट की सरकार’ कोरा बकवास के अलावा कुछ नहीं है. 2016 का संघीय बजट की विशेषता को एक वाक्यों में व्यक्त करना हो तो कहा जा सकता है कि यह बजट ग्रामोंन्मुख़ है.कई आर्थिक टिपण्णीकार इसे ‘भारत’ का बजट से संबोधित कर रहें हैं.सामान्यतः भारत से भारत के ग्रामीण क्षेत्र को आजकल संबोधित किया जा रहा है.इस बजट में केंद्र सरकार ने ग्रामीण आधारभूत-संरचना पर ज्यादा ध्यान दिया है.इसमें भी सबसे अधिक बल गाँव को सड़क से जोड़ने पर दिया है.अटल जी के सरकार द्वारा शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ जिसके अंतर्गत प्रत्येक 500 आबादी वाले मैदानी इलाके के गाँव,250 आबादीवाले पहाड़ी तथा आदिवासी क्षेत्र के गाँवों को अच्छी प्रकार की सडको से जोड़ने का प्रायोजन है, को इस बजट में 19000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गए हैं. अभी तक इस योजना के अंतर्गत 24 हजार से 25 हजार किलोमीटर प्रत्येक वर्ष सड़क बनाने का लक्ष्य रहता था लेकिन 2016 में 37 हजार किलोमीटर लक्ष्य रखा गया है.

हमारे देश में लगभग 141 मिलियन हेक्टेयर शुद्ध खेती योग्य जमीन में से अभी तक मात्र 65 मिलियन हेक्टेयर जमीन ही सिंचीत क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं.इसको देखते हुए सरकार ने इस बजट में एक ‘समर्पित दीर्घावधि सिंचाई निधि’(Long Term Irrigation Fund) नाबार्ड में प्रस्तावित किया है जिसका लक्ष्य 89 बड़े और माध्यम आकार के सिंचाई परियोजनाओ को अमूर्तजामा पहनाना है.इसमें से 46 परियोजनाये समापन के नजदीक  है लेकिन इन परियोजनाओ को और 29 हजार करोड़ रुपये की जरुरत है. समर्पित दीर्घावधि सिंचाई निधि का प्रारंभिक कोष 20 हजार करोड़ का होगा जिसमे से इस साल 2016 में 12,517 करोड़ का आवंटन निर्धारित है.

इसके आलावा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत राशि के आवंटन को बढा दिया गया है.जुलाई 2015 में मंजूरी मिली इस परियोजना की राशि को 5300 करोड़ से बढ़ाकर 58,40 करोड़ कर दिया गया है. इस परियोजना के अंतर्गत सिंचाई में निवेश में एकरूपता लाना, ‘हर खेत हो पानी’ के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करने के लिए, खेतों में ही जल को इस्तेमाल करने की दक्षता को बढ़ाना ताकि पानी के अपव्यय को कम किया जा सके, सही सिंचाई और पानी को बचाने की तकनीक को अपनाना (Per drop more crop) इत्यादि है.   इसके अलावा इसके जरिए सिंचाई में निवेश को आकर्षित करने का भी प्रयास करना है।

किसानो के लिए शुरू की गई योजना ‘प्रधानमंत्री फसल बिमा योजना’ को भी इस बजट में प्रमुखता से रखा गया है.इस बजट में इस योजना के लिए 5500 करोड़ रुपये का प्रावधान है.जबकि अभी तक जितने फसल बिमा योजना है उनसब कुल राशि जोड़ 29,54.65 करोड़ है.जबकि प्रधानमंत्री फसल बिमा योजना की अकले की राशि  5500 करोड़ रुपये की इस बजट में है.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस योजना की विशेषता को जिक्र करते हुए कहते है कि ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ अब तक जितनी योजनाएं थीं उनकी विशेषताओं को तो समाहित करती ही है लेकिन जो कमियाँ थी उनका प्रभावी समाधान देती है|

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनेरेगा) जो ग्रामीण इलाको में साल में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है.2016-17 के बजट में इस योजना के लिए 38,500 करोड़ राशि का प्रावधान है.जबकि 2015-16 में इसकी राशि थी 33,713 करोड़. मनरेगा काफी वित्तीय अनियमितता वाली योजना है. इस अनियमिततायों को रोकने के बाद ही इस योजना का लाभ हम ग्रामीण अकुशल वयस्कों को पंहुचा सकते है.इसलिए इसके कार्यान्वयन को अनियमिततामुक्त बनाना होगा.

वित्त मंत्री ने बजट में डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर के जन्म दिवस पर एकीकृत कृषि विपणन ई-मंच राष्ट्र को समर्पित किया जाने की घोषणा की है.उन्होंने सभी किसानों तक न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए तीन विशिष्ट  पहलों की घोषणा की, जिसमें खरीदारी का विकेन्द्रीकरण,एफसीआई के माध्य से ऑनलाइन खरीदारी प्रणाली और दालों की खरीदारी के लिए प्रभावी प्रबंध करना शामिल है.

वित्तमंत्री ने दुग्ध उत्पादन को अधिक लाभकारी बनाने के लिए पशुधन संजीवनी, नकुल स्वास्थ पत्र, उन्नत प्रजनन प्रौद्योगिकी, ई-पशुधन हॉट और देसी नस्लों  के लिए राष्ट्रीय जीनोमिक केन्द्र् की स्थापना करने की भी घोषणा की है। इन परियोजनाओं में अगले कुछ वर्षों के दौरान 850 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की घोषणा की गई है.

सरकार ने इस बजट के माध्यम से 2022 तक किसानो की आय को दुगनी करने का संकल्प ली है.वर्तमान सरकार इस चीज को भली-भांति जानती है गाँव-किसान के विकास को  किये बिना देश के विकास दर को नहीं बढ़ा सकते.इसलिए राजग सरकार नेहरु की गलती को दुहराना नहीं चाहती है जिसका खामियाजा आज देश विकास के दौड़ में पीछें रहकर भुग्त रहा है.आज किसी भी सरकार को ‘समृद्ध गाँव समृद्ध भारत’ के सकल्प के साथ ही आगे बढ़ाना होगा.गाँव समृद्ध होगा भारत अपने आप समृद्ध होगा.

 

 

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