सरकार का बौखलाना तो लाजमी है

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राजीव गुप्ता 

जनाब आजकल की फिजां ही ऐसी है ! वर्तमान सरकार की जगह अगर कोई भी होता तो शायद अपना आत्म – संतुलन खो देता और किसी अज्ञातवास में चला जाता परन्तु दाद देनी होगी इनके हिम्मत की ! अभी कल ही हिसार के उपचुनाव में कड़ी शिकस्त के बाद आज अरविन्द केजरीवाल पर हमला कही किसी साजिश का परिणाम तो नहीं ? इसका उत्तर तो समय के गर्भ में है ! अन्ना जी ने जहा एक तरफ खुल कर सरकार को चेतावनी दे ही रखा है तो वही दूसरी तरफ बाबा रामदेव के साथ साथ श्री लालकृष्ण अडवाणी जी ने भी सरकार के काले कारनामो के खिलाफ रथयात्रा आरम्भ कर रखा है , जिसका परिणाम उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में आगामी वर्ष में होने वाले चुनाव पर असर पड़ना लाजमी है ! शायद इसलिए सरकार और भी ज्यादा बौखला गयी है ! आये दिन बिना अन्ना – समाचार के कोई दिन ही पूरा नहीं होता जिससे समाज में सरकार – विरोधी माहौल ही बनता है परिणामतः सरकार और बौखला जाती है क्योंकि हिसार के साथ – साथ अन्य राज्यों के उपचुनावों में भी उसे हार का ही मुह देखना पड़ा है ! मुझे ऐसा लगता है कि अगर वर्तमान सरकार द्वारा इस शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक नहीं लाया गया तो शायद भारत में बदलाव का ऐसा इतिहास बनेगा जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी !

बहरहाल ! इतिहास साक्षी है , बिना किसी खर्चे के बावजूद अन्ना जी के नाम पर अन्ना-टीम की जितनी ब्रांडिंग हो रही है शायद ही इतने व्यापक स्तर पर किसी और आन्दोलन की कभी हुई होगी ? इसका सारा श्रेय मीडिया के लोगो को जाता है और उनके इस अमूल्य योगदान की जितनी तारीफ की जाय वो कम है ! आये दिन अन्ना – संवंधित कोई न कोई ऐसा विषय उजागर हो ही जाता है जिस पर चर्चा होना महत्वपूर्ण हो जाता है ! मसलन आज ( १८ अक्टूबर ,२०११ ) का अन्ना हजारे के आंदोलन के राजनीतिक रूप लेने पर आपत्ति जताते हुए कोर कमिटी के दो सदस्यों- पी. वी. राजगोपाल और राजेंदर सिंह द्वारा यह कह कर इस्तीफ़ा देना कि आंदोलन अपने मकसद से भटक गया है ( हिसार में कांग्रेस विरोधी अभियान शुरू करने के फैसले का जिक्र करते हुए दोनों ने कहा कि यह फैसला कोर कमिटी की ओर से नहीं लिया गया ) , अरविन्द केजरीवाल जी पर लखनऊ में चप्पल – हमला , १७ अक्टूबर , २०११ को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अन्ना जी को नोटिस भेजना और हिसार उपचुनाव में कांग्रेस को कारारी हार का मिलना , १६ अक्टूबर , २०११ को अन्ना जी द्वारा मौन व्रत , १४ अक्टूबर , २०११ को प्रशांत भूषण जी के देश – द्रोह बयान के लिए उनपर उनके ही चैंबर में पिटाई , ६ अक्टूबर , २०११ को श्री लालू प्रसाद जी द्वारा मिर्जापुर अन्ना जी को चुनाव लड़ने की नसीहत देना हो , रामलीला मैदान में अन्ना-आन्दोलन के समय श्री अग्निवेश जी का काला चेहरा जनता के सामने आना इत्यादि – इत्यादी ! मीडिया वाले भी बेचारे क्या करे अगर अन्ना – संवंधित खबर नहीं चलायेगे तो उनकी टी.आर.पी कम हो जायेगी इस डर से वो भी बहती गंगा में हाथ धोने से भला वो कहा पीछे हटने वाले ? जितना अन्ना – सम्बंधित समाचार चलेगा सरकार की उतनी ही किरकिरी होगी और समाज में सरकार के खिलाफ माहौल बनता जायेगा इसलिए सरकार के फ्लोर मैनेजमेंट को कुछ समझ नहीं आ रहा कि वो इसका तोड़ कैसे निकाले ?

वैसे भी भ्रष्टाचार के मामले में सरकार के इतने मंत्रीगण जेल के अन्दर जा चुके है सरकार से कुछ बोलते भी तो नहीं बन रहा मसलन बात चाहे कलमाणी जी की हो , कानीमोझी जी की हो , ए. राजा जी की हो अथवा अन्यों की ! बात यही तक सीमित हो तो भी गनीमत है , अभी हाल में ही राजस्थान सरकार में पूर्व मंत्री श्री मदेरणा जी को भंवरी अपहरण केस में जबरदस्ती मंत्रीपद से बर्खास्त करना पड़ा ये बात कांग्रेस सरकार के गले की और भी फांस बन गयी ! बची – खुची कसर आज राहुल गांधी जी ने कांग्रेस पार्टी के सांसद पी. टी. थॉमस के बुलावे पर दिल्ली आए अन्ना हजारे के गांव रालेगण सिद्धि के लोगों से न मिलकर पूरी कर दी ! ऐसा कयास लगाया कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी रालेगण सिद्धि से आये लोगों को मिलने का समय ही नहीं दिया ! मुलाकात का आश्वासन देने वाले पार्टी के सांसद पी. टी. थॉमस ने इसके लिए माफी मांगी और कहा कि संवादहीनता के कारण ऐसा हुआ ! ज्ञातव्य है कि अन्ना हजारे के निजी सचिव सुरेश पठारे और गांव के सरपंच जयसिंह राव मापारी सहित रालेगण सिद्धि से लोगों का एक दल राहुल से मिलने के लिए सोमवार को ही दिल्ली पहुंच गया था ! मापारी का कहना था कि उनके दल को थॉमस और राहुल गांधी के दफ्तर से फोन पर मुलाकात का समय दिया गया था ! थॉमस के ऑफिस से उन्हें बताया गया था कि उन्होंने 18 अक्टूबर को सुबह नौ बजे का समय राहुल से मिलने के लिए निर्धारित किया है ! इसलिए वो लोग राहुल जी से मिलने दिल्ली आये ! मापारे के मुताबिक, यह उनके साथ साथ अन्‍ना का भी अपमान है ! सरपंच राहुल जी के इस बर्ताव से काफी नाराज हैं और उन्‍होंने साफ शब्‍दों में कह दिया है कि अब वह उनसे मुलाकात नहीं करेंगे ! इस वाकया से हम तो यही कहेगे कि राहुल जी ने एक और जनता के चहेते बनने का सुनहरा मौका गवा दिया , उनकी भी क्या गलती भारत के पड़ोसी देश के नरेश की शाही शादी में जमकर नाचे होगे सो थक गए होगे आखिर उनकी भी तो कोई पर्सनल लाइफ है ! बहरहाल आने वाले दिनों में जनता – जनार्दन को इस सबका जबाब इस सरकार को देना ही पड़ेगा ! इन्हें सद्बुद्धि दे ऐसी मेरी भगवान् जी से विनती है !

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