देश की सरकारी संम्पति को जलाते व नुक्सान पहुंचाते आन्दोलनकारी — दोषी कौन ?- नरेन्द्र भारती

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fireलोकतन्त्र में प्रत्येक आदमी को अपनी बात कहने का हक है ,लेकिन जिस तरह से आन्दोलनकारी अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकारी सम्पति को नुक्सान पहुंचाते है और आग लगाकर जलाते है बहुत ही शर्मनाक है, राजस्थान के जयपुर मे सस्ते मकानों सहित कई मांगों को लेकर चल रहा प्रदर्शन हिसंक हो गया वकीलों ने पुलिस की एक वैन और कार को आग के हवाले कर दिया और सौ से ज्यादा वाहनों के शीशे तोड दिए इस प्रदर्शन में जमकर पथराव के कारण पचास से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गये। दिल्ली में भी गत वर्ष डाक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पडी थी। फरवरी 2013 में नोएडा में सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ देश की ट्रेड यूनियनों ने नोएडा में 100 से ज्यादा फैक्ट्रियों में तोड़फोड़ करके नुक्सान पहुचाया था तथा 25 से ज्यादा वाहनो को आग के हवाले कर जला दिया था उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव भी किया जिससे दर्जनों पुलिस वाले घायल हो गये थे। कुछ लोग ऐसे आन्दोलनों के समय जमकर लूटपाट भी करते हैं। देश में समय-समय पर कई तरह के आदोंलन होते रहते है इन आंदोलनों के कारण आम जनता को भारी परेशानी उठानी पडती है किसी भी बात को मनवाने के लिए लोगों को हिंसा व तोडफोड का सहारा नहीं लेना चाहिए। नागरिकों की सुविधाओं को बाधा पहुंचाना किसी अपराध से कम नहीं होता। यात्रियों को समय से बस ,ट्रेन मिलने से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। मरीजो को अस्पताल पहुचने में दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं, गत वर्ष एक आंदोलन के दौरान हिमाचल में एक बच्चे की एम्बुलैस एसी भीड़ में फंस गई तो वह अस्पताल नहीं पहुचां उसकी मृत्यु हो गई थी । चंडीगढ में भी वीवीआईपी के दौरे के दौरान में एक मरीज को जान से हाथ धोना पडा था। ऐसे बहुत मर्मस्पशी उदाहरण मिल जाएंगें । गत दिनों देश में राष्ट्रीयकृत बैकों की दो दिन की हड़ताल के कारण करोडों लोगों को आर्थिक परेशानी उठानी पडी। इन आंदोलनों के नाम पर लोग दंगा मचाते है इन दंगों में बेकसूर लोग मारे जाते हैं। सरकारी सम्पति की तोड़फोड़ करना किसी समस्या का हल नहीं हैं। जो आदोलनकारी सरकारी सम्ंपति को जलाते हैं उन्हे यह अहसास नहीं होता कि जिस सम्पति को वे जलाकर राख कर रहे हैं वह उनकी अपनी होती है वह आम आदमी द्वारा दिये गये टैक्स से बनाई जाती है आंदोलन के दौरान बेकसूर लोगों की गाडियां जलाई जाती है ,कारोबारियो की दुकाने अग्नि की भेट चढ़ाई जाती है। लोगों पर हमले किये जाते है । लोगों को काम पर जाने में परेशानी होती है स्कूली बच्चों को स्कूल पहुचने में जोखिम उठाना पडता है । आदोलन के समय रेल पटरियो को उखाडा जाता है जिस कारण लाखों लोगों को गतव्य तक पहुचने में देरी होती है । हडताल व धरनेां से समस्या का हल नहीं निकलता है । समस्या का हल बातचीत करके ही हो सकता है । आदोलन के दौरान बसों को फूंकना न्यायोचित नहीं है। सरकारें भी लोगों की मागें मानने मे आनाकानी करती है , जब तक किसी की मौत न हो जाए या आगजनी न हो जाए तब तक सरकारों की तन्द्रा नहीं टूटती ।सरकारों केा भी समस्या का मिल-बैठ कर हल निकालना चाहिए ताकि आदोलनकारी आदोलन को मजबूर न हों सके । इन आन्दोलनों में कई लोग आत्मदाह तक करते है और बेमौत मारे जाते है।सरकारी संम्पति को जलाने वालों से ही जुर्माना बसूलना चाहिए क्योकि कुछ मुठ्ठी भर लोग इन आन्दोलनों को हवा देकर सरकारी संपति को नुक्सान पहुचाते है जिसका खामियाजा सबको भुगतना पडता है । ऐसे लोगों पर मुकदमें दर्ज करके कारवाई करनी चाहिए । नुक्सान की भरपाई न करने बालों की निजी संपतियां जब्त करनी चाहिए ।सरकारी सम्ंपति को जलाकर व तोडफोड करके समस्या का समाधान नहीं हो सकता । सरकारों को भी समय रहते इन आदोलनों पर रोक लगानी चाहिए ताकि सरकारी सम्ंपति का बचाव हो सके और आन्दोलन करने वालों की जायज मागों पर ध्यान देकर पूरा करना चाहिए । आन्दोलन करने वालो को शांति से अपनी जायज मागें मनवानी चाहिए ताकि सरकारी संम्पति को नुक्सान न पहुंचे। सरकारों को इस ओर कारगर कदम उठाने होगें ताकि सरकारी संम्पति को जलने से बचाया जा सके। संपति को नुकसान पहुचाने वाले आंदालनकारियों के खिलाफ कानूनी कारवाई करनी चाहिए ,ताकि भविष्य में दूसरे सबक सीख सके और संपति की रक्षा हो सके ।

 

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