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आंकड़ों और प्रयोगों ने किया भारतीय कृषि का सत्यानाश - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-सत्यव्रत त्रिपाठी- भारत मेंं ऋग्वैदिक काल से ही कृषि पारिवारिक उद्योग रहा है। लोगों को कृषि संबंधी जो अनुभव होते रहे हैं, उन्हें वे अपने बच्चों को बताते रहे हैं और उनके अनुभव पीढ़ी दर पीढ़ी प्रचलित होते रहे। उन अनुभवों ने कालांतर मेंं लोकोक्तियों और कहावतों का रूप धारण…