मुस्लिम समुदाय के अहम पहनावे में शुमार टोपी एक बार पुनः चर्चाओं के केंद्र में है| अत्यधिक चर्चा के केंद्र में होने से ‘मुस्लिम टोपी’ सियासी गलियारों में चर्चा का मुद्दा प्रमुख बन गई है।
एक ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की मुस्लिम टोपी पहने तस्वीर सोशल मीडिया पर चर्चा के केंद्र में है तो दूसरी ओर उसी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने इसे महज दिखावा करार दिया है| बिना राजनाथ सिंह का संदर्भ लिए मोदी ने गुरुवार को एक बार फिर दोहराया कि वह केवल दिखावे या किसी को खुश करने के लिए कोई ‘प्रतीक’ नहीं पहनेंगे। साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सोनिया गांधी मुस्लिम टोपी पहनेंगी? कुछ समय पहले मुस्लिम टोपी पहनने से इंकार करने वाले विवाद पर सफाई देते हुए मोदी ने कहा, ‘यदि टोपी पहनना एकता के प्रतीक पर देखा जाता है तो मैंने महात्मा गांधी, सरदार पटेल और पंडित जवाहर लाल नेहरू को ऐसी कोई टोपी पहने हुए नहीं देखा।’ मोदी ने यह भी कहा, ‘दरअसल, दिखावे की राजनीति ने भारतीय राजनीति को घेरा हुआ है। मेरा काम सभी धर्मों और परंपराओं का सम्मान करना है। मैं अपनी परंपरा के हिसाब से जीता हूं और दूसरों की परंपराओं का सम्मान करता हूं। यही कारण है कि मैं टोपी पहन कर फोटो खिंचवाकर किसी को मूर्ख नहीं बना सकता। अगर कोई मुझे बदनाम करने की कोशिश करेगा तो मैं इसे याद रखूंगा और मौका मिलने पर इसकी सजा भी दूंगा।’ गौरतलब है कि गुजरात में एक मुस्लिम सम्मलेन में मोदी ने मुस्लिम टोपी पहनने से इंकार कर दिया था| तब मोदी के इंकार को उनका मुस्लिम विरोधी रवैया करार दिया गया था| उसके कुछ समय बाद ही जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रजा मुराद के साथ एक धार्मिक आयोजन में मुस्लिम टोपी पहनी तो इसे उनका बड़ा और उदार रवैया बताया गया| तब मीडिया के एक तबके में मोदी बनाम शिवराज की मुस्लिम समुदाय के प्रति उदारता को मुद्दा बनाकर पेश करने की कोशिश की गई थी| हालांकि तब भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के हस्तक्षेप ने पार्टी में दो बड़े ध्रुवों के असमय टकराव को बचा लिया था, किन्तु अब लोकसभा चुनाव के अंतिम चरणों में एक बार फिर यही मुस्लिम टोपी भाजपा के दो शीर्ष ध्रुवों में टकराव का कारण बन सकती है| लखनऊ में नामांकन दाखिल करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बाबा मीर कासिम की मजार सजदा किया| यही नहीं, राजनाथ सिंह ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष और प्रतिष्ठित शिया उलेमा मौलाना कल्बे सादिक, मौलाना कल्बे जवाद, मौलाना हमीदुल हसन, मौलाना यासूब अब्बास के अलावा ईदगाह के इमाम तथा पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली से उनके घर जाकर अलग अलग भेंट की थी। इस दौरान उन्होंने जो मुस्लिम टोपी पहनी, बस वही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और अब उस तस्वीर पर पूरे विवाद का ताना-बाना बुना जा रहा है|
जिन लोगों ने टोपी पहनी उन्होंने उस समाज या जाति विशेष के लिए क्या विशेष कर दिया या कर रहें है तथा जिन ने नहीं पहनी उन्होंने क्या नहीं किया?साफा , पगड़ी टोपी,या विशेष पोशाक धारण करना महज एक ढोंग व राजनितिक सरकस्सबाजी है इस पर बहस मात्र एक भड़काने का साधन मात्र ही है और कुछ नहीं.