बाल अधिकार आयोग ने माना बच्चों की हालत ठीक नहीं

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hungry-child-in-india-small1 राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष शान्ता सिन्हा ने कहा है कि वर्तमान व्यवस्था बच्चों के जीवन के अधिकार को संरक्षित कर पाने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि जो भी बच्चा जन्म ले उसे हर हाल में जीवित रखा जाए।

मध्य प्रदेश के सतना जिले के मझगवां विकास खंड में जन सुनवाई में हिस्सा लेने आईं सिन्हा का मानना है कि बच्चों की मौत चाहे कुपोषण से हुई हो अथवा किसी अन्य वजह से। लेकिन, ऐसी मौतें तो हमारी व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाली हैं। उन्हें यह मानने में जरा भी हिचक नहीं है कि कुपोषण की स्थिति गंभीर है और इससे बच्चों की असमय मौत हो रही है।

 उन्होंने यहां जन सुनवाई के दौरान अपने से मिलने आए विभिन्न जन संगठनों से चर्चा करते हुए कहा कि हमें बच्चों की मौत के सच को स्वीकारना होगा। वर्तमान स्थिति में सरकारी अमले को एक दूसरे पर दोषारोपण करने से अलग सच को स्वीकार कर इस समस्या से निपटना चाहिए।

आयोग की कुपोषण विशेषज्ञ डा. वंदना प्रसाद ने किरहाई पुखरी गांव का दौरा करने के बाद बताया कि कुपोषण को समझने के लिए किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं है। बच्चों की शारीरिक हालत देखकर ही हकीकत का अंदाजा लग जाता है।

3 COMMENTS

  1. बच्चों में कुपोषण एेसा नही ही कि गरीब बच्चो में ही हो कइ बार-खाते पीते घरों के बच्चे भी सही खान-पान की आदतों के कारण या नखरे दिखाने के कारण कुपोषण का शिकार हो जाते है।बच्चों की हालत वाकई में संतोषजनक नही है।बचपन पर हर तरह से खतरा है….

  2. A true report. But our political leaders, our bureaucates, our law makers (very highly qualified personnels) are fully aware of it but no solid plan. Crores of children do not have even one time meal in a day. No solid plan for child labour, basic primary education in our country. India shining, stardum ……………….

    A very serious and sincere efforts are necessary.

  3. यह एक गंभीर चिंता का विषय है…इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठने की जरुरत हैं नही तो स्थिति और भी भयावय हो सकती है….

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