कोचिंग संस्थानों में डिप्रेशन से बचने के उपाय

kotaडा. राधेश्याम द्विवेदी
देश भर से लाखों छात्र आई.आई.टी. और मेडिकल परीक्षाओं में सफलता पाने के लिए हर साल कोटा आते हैं। मोटी फ़ीस, रहने-खाने में काफी खर्च के बाद अगर हाथ में कुछ आता नहीं दिखे तो और कोई रास्ता नहीं सूझता। माँ-बाप अपनी दमित इच्छा को बच्चों के जरिये पूरी करना पूरी करना चाहते हैं, जो बड़ी भूल है। बच्चों की पसंद को जाने बिना प्रतिस्पर्द्धा के लिए जबर्दस्ती भेजना कतई न्यायोचित नहीं है। 12वीं तक साथ रहने के बाद एकदम अकेले समय बिताना कठिन हो जाता है। खाने के स्तर में निरंतर गिरावट और तंग कमरे में गुजरा करना वाकई चुनौती भरा कदम हैं। पुरानी दौर में चुनिंदा कोचिंग संस्थान थे। कमरे बड़े और आरामदायक मिल जाते थे। सस्ते में अच्छा खाना मिल जाता थे पर आज कोटा में पाँव रखने की जगह नहीं है। औद्योगिक नगरी में भीड़ पहले ही कहीं ज्यादा थी। ऐसे में बिना मार्गदर्शन के रह रहे छात्र-छात्राओं को गलत राह में जाने से कौन रोकेगा? किसकी जिम्मेदारी है? कोचिंग संस्थान को केवल क्लास में अनुशासन कायम रखने और फ़ीस से मतलब है। लॉज मालिक को भी केवल किराए से। इस विषम परिस्थिति में लाखों युवा छात्र-छात्रायें दिशाहीनता का शिकार हो रहे रहे हैं। फिर करियर संवरना तो किस्मत की बात है!
राजस्थान के शहर, जयपुर से कुछ 255km, हर साल आईआईटी चयन की संख्या सबसे ज्यादा समेटे हुए है और अद्यतन अध्ययन सामग्री और कठोर कोचिंग के अपने ‘कोटा मॉड्यूल “में गर्व होता है। कुछ 10,000 उम्मीदवारों इस साल परामर्श के लिए बुलाया गया है। लेकिन पांच आत्महत्याओं इस महीने के कुछ सबसे कोचिंग केन्द्रों पर लेंस बदल गया है, और भी कुछ माता पिता, सफलता के लिए भीड़ में भूल गए लगते हैं। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, कम से कम 11 छात्रों को इस साल जनवरी के बाद से कोटा में आत्महत्या कर चुके हैं। 2014 में, संख्या, 14 साल की थी।
माता-पिता के तनाव, अध्ययन और प्रारंभिक परीक्षा के लंबे समय तक की सजा, तय समय का तनाव दोष। यह भी कैसे छात्र थे, शारीरिक और मानसिक रूप से नियमित रूप से निगरानी की कमी है, इसकी शिकायत करते हैं, जब उनके शिक्षण ग्रेड गिरने लगते हैं। कोचिंग संस्थानों का कहना है कि तनाव अपरिहार्य है जब 14 लाख छात्रों, उदाहरण के लिए, 10,000 आईआईटी सीटों के लिए होड़ करने का फैसला किया । अब आत्महत्या के मामलों की संख्या बढ़ रहे हैं, लेकिन इतने सारे छात्रों को सबसे कठिन परीक्षणों में से एक के लिए प्रतिस्पर्धा के साथ, नंबर मामूली हैं, प्रमोद बंसल, बंसल वर्ग के निदेशक ने कहा। तनाव, सलाहकारों का कहना है, वास्तव में समझ में आता है, खासकर जब इन कोचिंग संस्थानों के बीच हर साल 70,000 से 1.5 लाख रुपये और छात्रों से कुछ भी चार्ज है। बंसल ने स्वीकार किया।
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 1.5 आकांक्षी इंजीनियरों और डॉक्टरों लाख हर साल कोटा के लिए आते हैं, हॉस्टल में डाल, मकान किराये पर लिया है या मेहमानों के भुगतान के रूप में रह रही है। उनके दिन जल्दी शुरू होता है: 6:00 से, वे कोचिंग केन्द्रों के लिए सिर।ट्यूशन के बाद, यह नियमित रूप से स्कूल या कॉलेज के लिए समय है। वे शाम को 8 से पहले मुफ्त नहीं मिलता है। रात के खाने के बाद, यह पढ़ाई के समय फिर से जब तक वे अंत में बिस्तर मारा है। उन्होंने यह भी छह घंटे के लिए सोने के लिए नहीं कहा जाता है। नियमित कठिन है, लेकिन उसके बाद आईआईटी सीटें सीमित हैं और समय एक प्रीमियम पर है, अमित यादव, जयपुर से एक छात्र ने कहा। एमएल अग्रवाल, एक मनोचिकित्सक ने कहा कि 1,000 से कम पर अत्यधिक तनाव से पीड़ित छात्रों से एक साल के कॉल एक हेल्पलाइन वह चार साल पहले शुरू हो जाता है। सलाहकारों का कहना है कि पहले झटका कोटा में छात्रों को भुगतना है जब वे देश भर से अव्वल रहने वाले छात्र के साथ प्रतिस्पर्धा और उनकी कोचिंग क्लास ग्रेड तुलना में गिरावट को देखते हैं।
डिप्रेशन से बचने के सामान्य उपाय:- भाग-दौड़ की जिन्दगी में डिप्रेशन जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। चाहे वह छोटा बच्चा हो या फिर कोई बड़ा बुजुर्ग हर कोई आज तनाव में जी रहा है। बच्चों। को पढ़ाई और जॉब की चिंता तो वही पर बड़ों को उनके स्वाास्य् ह और अपेन बच्चों के भविष्य् की चिंता। डिप्रेशन एक द्वन्द है, जो मन एवं भावनाओं में गहरी दरार पैदा करता है। तनाव अन्य अनेक मनोविकारों का प्रवेश द्वार है। उससे मन अशान्त, भावना अस्थिर एवं शरीर अस्वस्थता का अनुभव करते हैं। ऐसी स्थिति में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और हमारी शारीरिक व मानसिक विकास यात्रा में व्यवधान आता है। आपको यदि डिप्रेशन से बचना है तो खुद को व्यवस्थित कर लीजिए। इसमें कोई खर्च नहीं है, सिर्फ अपनी दिनचर्या और काम-काज को सही तरीके से करने की जरूरत है। साथ ही सेहत का भी ध्यान रखिए। ताजा प्राकृतिक भोजन ही आपकी सेहत के लिए सबसे बढ़िया है। अच्छी सेहत के साथ-साथ यह आपकी जेब पर भी भारी नहीं पड़ता। इसके अलावा डिप्रेशन को दूर भगाने के 20 और सामान्य उपाय हैं जो कि इस तरह से हैं-
1.आत्मिक जागरूकता:- लोग अवसादग्रस्त होते हैं क्यूँ की वे अपने जीवन की घटनाओं के बारें ज्यादा नहीं जानते और अपने जीवन को धक्का देते रहते हैं। स्थिति की मांग के अनुसार आत्म जागरूकता की कमी के कारण लोग अपने आपको अवसाद की स्थिति में डाल लेते हैं।
2. मदद मांगे:- जिंदगी में कठिन परिस्थितियों में किसी की मदद मांगने में कोई शर्म नहीं है। कोई भी जिंदगी का बोझ अकेला नहीं उठा सकता है। अपने बुरे समय में अपनी पत्नी, सहकर्मी और दोस्त की सहायता लेने से आपको भावनात्मक बोझ से छुटकारा मिलेगा।
3. रोजाना व्यायाम करें:- व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे न केवल एक अच्छी सेहत मिलती है बल्कि शरीर में एक सकारात्मक उर्जा का संचार भी होता है। व्यायाम करने से शरीर में सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन हारमोंस का स्त्राव होता है जिससे दिमाग स्थिर होता है और अवसाद देने वाले बुरे विचार दूर रहते हैं।
4. नियमित रूप से छुट्टियाँ लें:- द्रश्यों में बदलाव होते रहना नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मददगार है। आपके अन्दर सकारात्मकता लाने के लिए एक दिन का ट्यूर ही काफी है। आगे से यदि आप अवसादग्रस्त महसूस करें तो अपना बैग पैक करें और निकल पड़ें छुट्टी पर। नियमित रूप से छुट्टी पर जाने वाले लोग जीवन की एकरसता और बोरपन से जल्दी निकल जाते हैं बजाय की लगातार कई सप्ताह तक काम में लगे रहने वाले लोगों के।
5. संतुलित आहार लें:- फल, सब्जी, मांस, फलियां, और कार्बोहाइड्रेट आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनता है बल्कि यह दुखी मन को भी अच्छा बना देता है।
6. वजन कम करें:- यदि वजन बढ़ने से आपको अवसाद प्राप्त हो रहा है तो वजन कम करने के बाद आपका मूड सामान्य हो सकता है। इसके अतिरिक्त, शारीरिक फिटनेस न केवल स्वास्थ्य में सुधार करती है बल्कि स्वयं में सकारात्मकता को बढाती है।
7. अच्छे दोस्त बनायें:- अच्छे दोस्त आपको आवश्यक सहानुभूति प्रदान करते हैं और साथ ही साथ अवसाद के समय आपको सही निजी सलाह भी देते हैं। इसके अतिरिक्त, जरूरत के समय एक अच्छा श्रोता साथ होना नकारात्मकता और संदेह को दूर करने में सहायक है।
8. ब्लॉग और जर्नल लिखें:- अपनी रोजाना की गतिविधियों और भावनाओं को लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में आपको मदद मिलती है। एक जर्नल या डायरी रखें जिसमे रोजाना लिखें की आप जीवन के बारें में क्या महसूस करते हैं। यह आपके अवसाद को दूर करने में सहायक होगा।
9. नकारात्मक लोगों से दूर रहें:- कोई भी ऐसे लोगों के बीच में रहना पसंद नहीं करता जो कि लगातार दूसरों को नीचे गिराने में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों से दूर रहने से मन को शांति और विवेक प्रदान करने में आपको मदद मिलेगी।
10. जॉब का छोड़ना:- यदि आपका जॉब या प्रोफेशनल लाइफ आपकी चिंता का कारण बन रहा है तो इसे छोड़ने से आपको मन की शांति मिलेगी। दिन के अंत में अपने लक्ष्यों का मूल्यांकन करें और इसकी अपनी निजी ख़ुशी और संतुष्टि से तुलना करें। यदि आपका जॉब आपकी ख़ुशी के मार्ग में बाधा है तो इसे छोड़ दें।
11. अपने आपको दुनिया से दूर करने से बचें:- जब आप अवसादग्रस्त हों तो अपने आपको दुनिया से दूर करना आसान होता है लेकिन ऐसा करने से आप अवसाद मुक्ति का अवसर गँवा रहें हैं। यदि पूरा समाधान भी नहीं हो रहा है तो भी लोगों के बीच रहने से निराशाजनक विचारों से अपना ध्यान हटाने में मदद मिलेगी।
12. दूसरों को दोष नहीं दें:- लोग अक्सर बुरी स्थिति में दूसरों को दोष देते हैं, वे मानते हैं कि ऐसा करने से सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं है। तुम्हे यह जानना जरूरी है कि जब तुम्हारे नियंत्रण से बाहर है तो दूसरों को दोष देने से यह तुम्हारे पक्ष में नहीं होगी।
13. बुरी स्थिति के बारे में सोचने से बचें:- ऐसा माना जाता है कि जिंदगी में बुरी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। लेकिन यह एक पुराना विचार है। इससे आपका आगे बढ़ने का उत्साह कम हो जाता है और यह आपकी सफलता के रास्ते को बंद कर देता है ।
14. मनोचिकित्सक से सलाह लें:- अवसाद को दूर भगाने का सबसे मुख्य और आसान तरीका है कि आप मनोचिकित्सक की सलाह लें । मनोचिकित्सक की सलाह से आपको अवसाद की जड़ तक जाने और इसे दूर करने में मदद मिलेगी।
15. हर किसी से यह आशा नहीं करें कि वह आपको समझे लोग अपनी जिंदगी दूसरों को खुश करने के लिए जीते है और इसमें असफल होने पर अपनी जिंदगी को अवसाद और गम में डुबो लेते हैं। सबको खुश करना संभव नहीं है इसलिए अपनी संतुष्टि पर ध्यान दें बजाय कि दूसरों को महत्त्व देने के।
16. डॉगी को पालें:- पालतू डॉगी अपने मालिक से जुड़ने का एक अच्छा तरीका जानते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि पालतू पशु रखने वालें लोग अवसाद से जल्दी निकलते हैं बजाय कि जो लोग अकेले रहते हैं। भावनात्मक रूप से अपने पालतू जानवर से जुड़े रहने से आपको नकारात्मक सोच को दूर करने में मदद मिलेगी।
17. आज के लिए जिएं:- अपनी पुरानी भूलों और गलतियों का शिकवा करने और अनिश्चित भविष्य के बारे में चिंता करने का कोई मतलब नहीं है। जब यह आपके नियंत्रण में ही नहीं है तो अपनी भावनाओं को ख़राब करने से कोई फायदा नहीं। अब, यहाँ, और आज पर फोकस करें बजाय कि कब, कहाँ, और कल।
18. पूरी नींद सोयें:- एक अच्छी और पूरी रात की नींद सकारात्मक उर्जा को प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी है। अध्ययनों से पता चला है कि रोज 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में अवसाद के लक्षण कम होते हैं।
19. सेक्सुअल चाहत को नजरंदाज नहीं करें:- हालाँकि अवसाद के समय लोग यौन आनंद को प्राप्त करने में संदेह महसूस करते हैं, लेकिन बहूत से लोग यह स्पष्ट रूप से अनुभव के बाद मानते हैं कि सेक्स से अवसाद को दूर करने में मदद मिलती है। इस समय जो हारमोंस स्त्रावित होते हैं वे अवसाद को दूर करते हैं और मानसिक दबाव से राहत प्रदान करते हैं।
20. संगीत से नाता जोड़े और मधुर संगीत सुनें:- जब आप अवसादग्रस्त होते है तो अच्छा संगीत आपके परेशान मूड को काफी जल्दी ठीक कर सकता है। संगीत में मूड बदलने, मन को उपर उठाने और भावनाओं से उपर उठाने की ताकत होती है। फिर भी ज्यादा भावनात्मक संगीत सुनने से बचना चाहिए, यह आपके मूड पर नकारात्मक असर कर सकता है।

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