मोहब्बत के बदले मौत…
यौन शोषण की तोहमतों के घेरे में आए तीन विधायकों की `प्रेम? कथा’ आपने पढ़ी, अब बारी है, एक ऐसी ही लव स्टोरी की, जिसमें बात क़त्ल तक पहुंच गई।
– चण्डीदत्त शुक्ल
एक बहुत पुरानी फ़िल्म का गाना है—मोहब्बत की झूठी कहानी पे रोए…बड़ी चोट खाई, जवानी पे रोए। कुछ ऐसी ही है सियासत और सेक्स की कॉकटेल कथा, जिसे सुनकर-पढ़कर-देखकर बस माथा पीटने का मन करता है…सिर धुनने को जी कर उठता है। ऐसी ही तो थी मधुमिता-अमर की प्रेमकथा, जिसे अमरत्व नसीब नहीं हुआ। मधु थी यूपी की एक तेज़-तर्रार कवयित्री, जो शब्दों के तीर चलाकर बड़े-बड़ों को घायल कर देती थी पर उसकी निगाहों के तीर से उत्तर प्रदेश के एक विधायक जी ऐसे घायल हुए कि घर-परिवार की ज़िम्मेदारियां तक भुला बैठे।
2003 के मई महीने की एक तारीख़। अचानक यूपी के लोग ये ख़बर सुनकर थर्रा उठते हैं कि युवा छंदकार मधुमिता शुक्ला का लखनऊ की पेपर कॉलोनी स्थित घर में कोल्ड ब्लडिड मर्डर कर दिया गया है—यानी नृशंस तरीके से हत्या। किसी की समझ में नहीं आता कि मंचों की जान मानी जाने वाली मधु का मर्डर किसने और क्यों कर दिया।
पंचनामा हुआ, बयान दर्ज हुए, पोस्टमार्टम किया गया, जांच हुई, सबूत तलाशे गए और फिर सामने आया—दहला देने वाला सच। मधु की हत्या के पीछे उत्तर प्रदेश के विधायक और पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का हाथ बताया गया।
सच तो ये है कि मधुमिता को क़त्ल ना होना पड़ता, लेकिन उसने मंत्री-प्रेमी-नेता के कॉम्बिनेशन वाले अमरमणि से ज़िद कर ली—अब मुझे जन्म-जन्म का साथी बनाओ। ये छिप-छिपकर मिलते रहने से जो रुसवाई मेरे माथे पर आ रही है, वह बर्दाश्त नहीं होती। अमरमणि को अब तक जो मोहब्बत ज़िंदा रखती थी, मधुमिता का वही साथ अब उन्हें काट खाने दौड़ने लगा। जानकार कहते हैं, यही वो पल था, जब अमर ने ठान लिया—अब मधुमिता को अपने जीवन में शामिल नहीं करना है।
मधुमिता भी मज़बूर थी। उसके पेट में अमरमणि का बच्चा पल रहा था। शक की सुई उठने पर अमर ने इनकार किया—नहीं, मेरा मधु से कोई रिश्ता नहीं था, लेकिन डीएनए टेस्ट से साबित हुआ—मधु के गर्भ में पल रहे बच्चे के वही पिता हैं।
21 सितंबर, 2003 को अमर गिरफ्तार कर लिए गए। अदालत ने उनकी ज़मानत की अर्जी भी खारिज कर दी। इसके बाद 24 अक्टूबर को देहरादून की स्पेशल कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी, पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, उनके चचेरे भाई रोहित चतुर्वेदी और सहयोगी संतोष राय को मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में दोषी करार दिया। अदालत ने अमरमणि को उम्रकैद की सज़ा सुना दी। अमर के पास अपील के मौके हैं। वो कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन मधु किससे दुहाई दे। उसने कब सोचा था—जिस लीडर पर सबकी रक्षा करने की ज़िम्मेदारी है, वही यूं रुसवा करेगा और जान का ही दुश्मन बन जाएगा!
सेक्स के प्रलोभन से बचना मुश्किल है. बहरहाल बडे उद्देश्य के लिए काम करने वाले लोगो को संयम रखना ही होगा. और क्या कहुं.
आदरणीय शुक्ल जी,
एक ज्वलंत विषय पर सारगर्भित प्रस्तुति के लिए कोटि कोटि धन्यवाद.
हम सब को पता है की भारतीय लोकतंत्र के इन रक्षकों का स्तर कितना गिरा हुआ है, इसमे कुछ नया नहीं है…
लेकिन ये बात मुझे समझ में नहीं आती है की इन महिलाओं के प्रेम को कैसे समझा जाए,
मै ये जरूर कह सकता हूँ की अमरमणि एक मानव के रूप एक दानव है लेकिन मै मधुमिता शुक्ल को देवी कैसे मान लूं जिसके प्रेम में सिर्फ स्वार्थ झलकता है,
मै राजकिशोर केसरी से कोई सहानुभूति नहीं रख सकता लेकिन मै कैसे ये मान लों की रूपम पाठक ने जो किया वो सही है.
क्या मधुमिता शुक्ल या रूपम पाठक को ये नहीं पता था की हमारे माननीय विधायक शादी शुदा है या उनका क्या स्तर है..ऐसे ही तमाम सारे सवाल हैं जिनका जवाब नहीं है..
मै ये बिलकुल नहीं कहता की मधुमिता शुक्ल या रूपम पाठक के साथ हुआ वो कहीं से भी न्यायोचित है लेकिन जिस तरह के संबंधो की शुरुआत उन्होंने की थी उसका अंत शायद इससे अलग होना बहुत मुश्किल दिखता है…
धन्यवाद
प्रेम .प्यार मोहब्बत ये सब अल्फाज दिल से नहीं दिमाक से ……सोचने की है जो दिल से लेता है ओ जां
से जाता है और प्रेम का अर्थ ही त्याग है ……………………………………………………………………….
………………………………………………………….लक्ष्मी नारायण लहरे छत्तीसगढ़