विमलेश बंसल ‘आर्या’
1. आओ ऐसा दीप जलाएँ,
जिसमे शामिल सब हो जाएँ।
वेद ज्ञान हर घर में पहुँचा,
यज्ञों से तन मन महकाएँ॥ आओ……
2. घर आँगन की करें सफ़ाई,
वंचित न कोई घर हो भाई।
प्यार बढ़ाएँ ताऊ ताई,
मिष्ठान्न बनाएँ खाएँ खिलाएँ॥ आओ……
3. गायत्री की करें साधना,
सद्बुद्धि की करें प्रार्थना।
अंत: बाह्य पुष्ट हो दामन,
आर्य बनें जगमग हो जाएँ॥ आओ……
4. बम, पटाखे कभी न फ़ोड़ें,
जुए और व्यसन को छोड़ें।
मिट्टी के दीपों को जलाकर,
प्रदूषणों से मुक्ति पाएँ॥ आओ……
5. जहाँ लगे अज्ञान अंधेरा,
वहाँ करें मिलकर के उजेरा।
आलोकित निज घर तब होगा,
सबके घर का दीप जलाएँ॥ आओ……
6. गोवर्धन पूजा हो न्यारी,
कसाइयों पर चला कटारी।
गौ की रक्षा वृद्धि करके,
गोवर्धन का पर्व मनाएँ॥ आओ……
7. भैया दूज का पर्व प्यारा,
भाई बहन का रिश्ता न्यारा।
भैया दूज तभी हो सार्थक,
लव जिहाद से बहन बचाएँ॥ आओ……
8. दीप जलाया दयानंद ने,
जिससे दीप जले थे लाखों।
श्रद्धांजलि, ॠषि दयानंद हे !
विमल करोड़ों दीप जलाएँ,
ॠषि दयानंद निर्वाण मनाएँ॥ आओ……