-होली पर विशेष-
गली-गली और नगर-नगर में आर्यों की बन निकले टोली।
सबको वैदिक रंग में रंगकर आओ हम सब खेलें होली॥
1. खुश्बू के शीतल चंदन से, हर मस्तक पर रंगकर रोली।
प्यार प्रीति की रीति निभाकर, चलें साथ बनकर हमजोली॥
2. घृणा, द्वेष, नफरत को मिटाकर, रूठों को भी आज मनाकर।
बाहों में भर बांह मिलाकर, एक सूत्र से बांधें मोली॥
3. नहीं उछालें कीचड़ पानी, इनसे तो होती है हानि।
टेसू के फ़ूलों से खेलें, चेचक हैजा की यह गोली॥
4. विमल रंग में सब रंग जावें, कोई नहीं वंचित रह पायें।
घर घर जाकर अलख जगाकर, ओम नाम की जय हो बोली॥
5. हर घर के बनकर के सहरे, ओ3म् ध्वजा हर घर में फहरे।
बहे राष्ट्रभक्ति की धारा, चलें पहन सतरंगी चोली॥
6. होली के इस पुण्य पर्व पर, आपस में दें शुभकामनाएं।
कड़वाहट सारी त्यज, खाएं गुझिया मीठी पूरन पोली॥