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हास्य-व्यंग्य/दोस्त है तो दुश्मन की जरूरत क्या है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-पंडित सुरेश नीरव कल सुबह-सुबह विद्रोहीजी आ धमके। बहुत गुस्से में थे। वह किसी व्यक्ति विशेष से गुस्सा नहीं थे। पूरे देश से वे गुस्सा थे। इतना अखिल भारतीय गुस्सा देखना तो दूर मैंने कभी सुना तक नहीं था। ये तो गनीमत है कि मेरे शाक-एब्जोर्बर्स इतने हाईक्वालिटी के हैं…