वस्तु एंव सेवा कर : एक लाभकारी कदम

gstडा. राधेश्याम द्विवेदी
वस्तु एंव सेवाकर क्या है:- एक बहुचर्चित विधेयक है जिसमें 01 अप्रैल 2017 से पूरे देश में एकसमान मूल्य वर्धित कर लगाने का प्रस्ताव है। इस कर को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कहा गया है। यह एक अप्रत्यक्ष कर होगा जो पूरे देश में निर्मित उत्पादों और सेवाओं के विक्रय एवं उपभोग पर लागू होगा। 03 अगस्त 2016 को राज्यसभा में यह बिल पारित हो गया। वस्तु एवं सेवा कर भारत की सबसे महत्वाकांक्षी अप्रत्यक्ष कर सुधार योजना है, जिसका उद्देश्य राज्यों के बीच वित्तीय बाधाओं को दूर करके एक समान बाजार को बांध कर रखना है। यह संपूर्ण भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला एकल राष्ट्रीय एकसमान कर है। वर्तमान में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली, आपूर्ति श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर केंद्र और राज्यों द्वारा लगाये जाने वाले बहु-स्तरीय करों में फंसी हुई है, जैसे आबकारी कर, चुंगी, केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) और मूल्य वर्धित कर इत्यादि। जीएसटी में ये सभी कर एक एकल शासन के तहत सम्मिलित हो जायेंगे।यह एक प्रकार का अप्रत्यक्ष टैक्स है जो भारत की वर्तमान अप्रत्यक्ष टैक्स लगाने के पूरे सिस्टम को बदल देगा। अभी वर्तमान में वस्तुओं पर वैट और सेवा कर तथा सेवाओं पर सेवा कर लगता है और विभिन्न तरह के अलग अलग टैक्स जैसे प्रोफेशनल टैक्स, चुंगी इत्यादि अप्रयक्ष टैक्स लग रहे है।इन सभी तरह के टैक्स को एक सम्पूर्ण टैक्स के रूप में लगाने के लिए जीएसटी को लाया जाएगा जिससे ये सभी टैक्स लगने बंद हो जाएंगा और पूरे देश में केवल एक ही तरह का टैक्स जीएसटी लगेगा जिससे देश में व्यापारिक गतिविधियों में आसानी आएगी और देश आर्थिक रूप से मजबूत बनेगा। जीएसटी ,भारत के कर ढांचें में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है। वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर कानून है । जीएसटी एक एकीकृत कर है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। जीएसटी लागू होने से पूरा देश,एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट ,मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्स आदि जीएसटी में समाहित हो जाएंगे। इससे पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा।
जीएसटी आवश्यक है :– भारत का वर्तमान कर ढांचा बहुत ही जटिल है। भारतीय संविधान के अनुसार मुख्य रूप से वस्तुओं की बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकार और वस्तुओं के उत्पादन व सेवाओं पर कर लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। इस कारण देश में अलग अलग तरह प्रकार के कर लागू है, जिससे देश की वर्तमान कर व्यवस्था बहुत ही जटिल है। कंपनियों और छोटे व्यवसायों के लिए विभिन्न प्रकार के कर कानूनों का पालन करना एक मुश्किल होताहै।
टैक्स पर टैक्स व्यवस्था समाप्त होगी:- अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में कर-भार अंतिम उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है, लेकिन कर का संग्रहण व्यवसायियों द्वारा किया जाता है। व्यवसायी को ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर की क्रेडिट मिलती है जिसका उपयोग वह अपने कर के भुगतान में कर सकता है। इस व्यवस्था से कर केवल मूल्य संवर्धन (बिक्री – खरीद) पर ही लगता है। व्यवसायी उपभोक्ता से कर संग्रहित करता है और उसमें से अपनी इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) को घटाकर बाकी कर सरकार को जमा करवाते है। वर्तमान व्यवस्था में भारत में केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क व सेवा कर और राज्य सरकार द्वारा बिक्री कर(वैट या बिक्री कर) लगाया जाता है। इस कारण व्यवसायी को उत्पाद शुल्क और सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर ) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वर्तमान व्यवस्था में टैक्स पर टैक्स लग जाता है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है ।जीएसटी लागू होने से पूरे देश में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर होगा जिससे व्यवसायियों को ख़रीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे टैक्स केवल मूल्य संवर्धन पर ही लगेगा और टैक्स पर टैक्स लगाने की व्यवस्था समाप्त होगी जिससे लागत में कमी आएगी।
जीएसटी की मुख्य बातें:-
1. जीएसटी केवल अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करेगा, प्रत्यक्ष कर जैसे आय-कर आदि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार ही लगेंगे।
2. जीएसटी के लागू होने से पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा जिससे वस्तुओं और सेवाओं की लागत में स्थिरता आएगा।
3.संघीय ढांचे को बनाए रखने के लिए जीएसटी दो स्तर पर लगेगा – सीजीएसटी (केंद्रीय वस्तु एंव सेवा कर) और एसजीएसटी (राज्य वस्तु एंव सेवा कर)। सीजीएसटी का हिस्सा केंद्र को और एसजीएसटी का हिस्सा राज्य सरकार को प्राप्त होगा।एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की स्थति में आईजीएसटी (एकीकृत वस्तु एंव सेवाकर) लगेगा। आईजीएसटी का एक हिस्सा केंद्रसरकार और दूसरा हिस्सा वस्तु या सेवा का उपभोग करने वाले राज्य को प्राप्त होगा।
4. व्यवसायी ख़रीदी गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी की इनपुट क्रेडिट ले सकेंगे जिनका उपयोग वे बेचीं गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी के भुगतान में कर सकेंगे।सीजीएसटी की इनपुट क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी व सीजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान, एसजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग एसजीएसटी व आईजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान और आईजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी, सीजीएसटी व एसजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान में किया जा सकेगा ।
5. जीएसटी के तहत उन सभी व्यवसायी, उत्पादक या सेवा प्रदाता को रजिस्टर्ड होना होगा जिन की वर्षभर में कुल बिक्री का मूल्य एक निश्चित मूल्य से ज्यादा है।
6. प्रस्तावित जीएसटी में व्यवसायियों को मुख्य रूप से तीन अलग अलग प्रकार के टैक्स रिटर्न भरने होंगे जिसमें इनपुट टैक्स, आउटपुट टैक्स और एकीकृत रिटर्न शामिल है।
जीएसटी का आम जन पर प्रभाव :-अप्रत्यक्ष करों का भार अंतिम उपभोक्ता को ही वहन करना पड़ता है। वर्तमान में एक ही वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार के अलग अलग टैक्स लगते है लेकिन जीएसटी आने से सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही प्रकार का टैक्स लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी। हालांकि इससे सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी। दूसरा सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि पूरे भारत में एक ही रेट से टैक्स लगेगा जिससे सभी राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक जैसी होगी जीएसटी लागू होने से केंद्रीय सेल्स टैक्स (सीएसटी ), जीएसटी में समाहित हो जाएगा जिससे वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी।
जीएसटी का व्यवसायों पर प्रभाव :–
1.वर्तमान में व्यवसायों को अलग-अलग प्रकार के अप्रत्यक्ष करों का भुगतान करना पड़ता है जैसे वस्तुओं के उत्पादन करने पर उत्पाद शुल्क, ट्रेडिंग करने पर सेल्स टैक्स, सेवा प्रदान करने पर सर्विस टैक्स आदि। इससे व्यवसायों को विभिन्न प्रकार के कर कानूनों की पालना करनी पड़ती है जो कि बहुत ही मुश्किल एंव जटिल कार्य है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से उन्हें केवल एक ही प्रकार अप्रत्यक्ष क़ानून का पालन करना होगा जिससे भारत में व्यवसाय में सरलता आएगी।
2.वर्तमान में व्यवसायी, उत्पाद शुल्क व सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से व्यवसायियों को सभी प्रकार की खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे लागत में कमी आएगी।
3. ऐसा कहा जा रहा है कि जीएसटी के आने से व्यवसाय करना आसान हो जाएगा लेकिन शुरूआती वर्षों में व्यवसायों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए जीएसटी में प्रत्येक महीने में तीन अलग अलग तरह के रिटर्न फाइल करने पड़ेंगे।
4.वर्तमान में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों में थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) अलग अलग है। मुख्य रूप से सेल्स टैक्स में थ्रेसहोल्ड लिमिट 5 लाख, सर्विस टैक्स में 10 लाख और उत्पाद शुल्क में 1.5 करोड़ है। जीएसटी आने से सभी प्रकार के व्यवसायों (ट्रेडिंग, उत्पादक या सेवा प्रदाता ) के लिए एक ही प्रकार की थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) रखने का प्रस्ताव है। यह थ्रेसहोल्ड लिमिट इन तीनों कानूनों (सेल्स टैक्स, सेवा कर और उत्पाद शुल्क) की वर्तमान लिमिट को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी। जिसका मुख्य प्रभाव यह होगा कि छूट सीमा 50 लाख से कम ही रखी जाएगी जिससे छोटे उत्पादक जो कि वर्तमान में 1.5 करोड़ तक छूट सीमा का फायदा उठा रहे है वे भी जीएसटी के दायरे में आ जाएगें।
5. वर्तमान में एक राज्य से दुसरे राज्य में माल बेचने पर 2% की दर से केंद्रीय सेल्स टैक्स लगता है जिसकी इनपुट क्रेडिट नहीं मिलती। जीएसटी के लागू होने के बाद से केंद्रीय सेल्स टैक्स नहीं लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी । हालांकि ऐसा प्रस्ताव था कि शुरूआती कुछ वर्षों में उत्पादक राज्यों में 1 % की दर से अतिरिक्त जीएसटी लगाया जाएगा ताकि जीएसटी की वजह से कुछ उत्पादक राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान से बचाया जा सके लेकिन मुख्य विपक्षी दल के विरोध के कारण इस प्रस्ताव को वापस लिया जा सकता है।
जीएसटी सबसे बड़ा आर्थिक सुधार:- देश में जी एस टी कानून अब तक के सबसे बड़े आर्थिक सुधार की पहल माना जा रहा है, जिसका सबसे बड़ा फायदा करदाताओं को इस रूप में मिलेगा कि जी एस टी से रेवेन्यू में सीधे सीधे 25-30% की छूट प्राप्त होगी ।इसके तहत केंद्रीय स्तर पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सेवा कर, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क, काउंटरवेलिंग ड्यूटी जैसे अप्रत्यक्ष कर शामिल होंगे। वहीं राज्यों में लगाए जाने वाले विक्रय कर/ मूल्यवर्धन कर, मनोरंजन कर, चुंगी तथा प्रवेश शुल्क, विलासिता कर, केंद्रीय विक्रय कर (जो केंद्र द्वारा लगाये और राज्य द्वारा वसूले जाते है) लॉटरी तथा सट्टेबाजी पर कर इत्यादि भी जीएसटी के अंतर्गत सम्मिलित हो जाएंगे। कर के ऊपर कर लगने से कही न कहीं जो लागत में वृद्धि होती रही है, अब जी एस टी की एक कर प्रणाली के कारण उसमें कमी आएगी। इसका फायदा आम जनता को भी मिलेगा कि उनको कर के ऊपर कर देने से निजात मिलेगी। साथ ही, अलग-अलग तरह के अप्रत्यक्ष करों से देश को निजात मिलेगी। पूरे देश में एक ही तरह के कर और समान दर पर कर अदा करने की सुविधा भी मुहैय्या होगी, जिससे न केवल भारतीय बाज़ारो को मजबूती मिलेगी बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की आर्थिक पकड़ मजबूत बनेगी। पूरे देश में कर संरचना और दरों की समानता भी इसका एक सकारात्मक पहलू है साथ ही वर्तमान कर प्रणाली की अपेक्षा जीएसटी के अनुपालन में जटिलताओं का सामना कम करना पड़ेगा।
जीएसटी की चार स्तरीय की दर:- को वित्त मंत्री अरुण जेटली जो जी एस टी कॉउंसिल के अध्यक्ष भी हैं, ने जीएसटी की दरो को चार स्तर पर विभाजित किया है – 5%, 12% , 18% , 28%। साथ ही, ये दरें इस तरह से लागू की गई हैं कि इनका प्रभाव दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं को पर बहुत नहीं पड़ेगा। खाद्यान्न और दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं को करमुक्त रखते हुए शून्य कर की श्रेणी में रखा गया है। इस कारण अधिकांश खाद्य और दैनिक इस्तेमाल की वस्तुएं महँगी नहीं, बल्कि सस्ती ही होंगी। कर की सबसे ऊंची 28 प्रतिशत की दर विलासिता की वस्तुओं जैसे तम्बाकू, कार आदि पर लगाईं गई है, इसलिए इन उत्पादों की कीमतों में कुछ वृद्धि होगी। कहने की जरूरत नहीं कि ये चीजें दैनिक इस्तेमाल की नहीं हैं, अतः इनके दाम बढ़ने आम आदमी पर कोई विशेष असर नहीं पड़ने वाला। स्पष्ट है कि जीएसटी से न केवल देश में एकीकृत कर प्रणाली से कर व्यवस्था दुरुस्त होगी, बल्कि इसका फायदा आम जान को भी मिलेगा। यह एक ऐतिहासिक आर्थिक सुधार का कदम है, जो हर तरह से देश के आम जन और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

1 COMMENT

  1. केवल दो प्रश्न अगर जी.एस.टी. आज आवश्यक है तो २०१२ में क्यों नहीं था,जब यु.पी.ए सरकार इसे पारित कराना चाहती थी? मुझे प्रवक्ता.कॉम का आर्किव देखना पड़ेगा. हो सकता है कि उसमे इसके विरोध में भी कोई आलेख मिल जाये.दूसरा प्रश्न इसी से निकलता है कि अगर यह आवश्यक था,तो इसे पांच साल पीछे धकेल कर विकास को रोकने की जिम्मेवारी किस पर है?

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