कांग्रेस से जो तलछट उफन -उफ़न कर भाजपा में जा रही है -वही उसके पतन का कारण बनेगी।

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  jayanti natrajanकांग्रेस एक गई गुजरी राजनैतिक पार्टी हो चुकी है।  अधिकांस कांग्रेसी  नेता नाकारा हो चुके हैं ,बदनाम तो वे पहले ही बुरी तरह से  हो चुके हैं।चूँकि सत्ता चली गई तो डूबती नाव के मेंढकों  की मानिंद  उछल-कूंद  भी करने  लगे हैं ।  जब  यूपीए का नेतत्व करते हुए कांग्रेस सत्ता में हुआ करती थी तब मैंने  डॉ मनमोहनसिंह , सोनिया जी ,राहुल और कांग्रेस  की रीति-नीति  के विरोध में दर्जनों आलेख लिखे हैं।   इन आलेखों में  बाजमर्तबा मैंने राहुल को ‘पप्पू’ कहकर उपहास किया है। ततकालीन कांग्रेस  नेतत्व पर  भी अकर्मण्यता के आरोप लगाए हैं। किन्तु जयंती नटराजन  के खुलासे के बाद मैं ‘अपराध बोध’ से पीड़ित हूँ।
जयंती  नटराजन जो खुलासे कर रहीं हैं और  उनके ‘नए-नए यार’ उन खुलासों  पर  गदगद  रहे हैं  , वास्तव में  वे तो राहुल के लिए प्रशंसा पत्र  हैं। यदि राहुल ने [जैसा कि  जयंती नटराजन  ने कहा ] ने बाकई   बहुराष्ट्रीय कम्पनी वेदांता या अडानी जैसे लुटेरों को पर्यावरण का सत्यानाश करने  से रोका है या उनके  प्राकृतिक दोहन के  अभियोजनों पर अड़ंगा लगाया  है , कदाचित यह  तो यह राहुल का देश भक्तिपूर्ण कार्य  है।
भारत के जागरूक वैज्ञानिकों ,समाजसेविओं  और देशभक्तों का यही तो संकल्प है कि  विकास हो तो सबका।  लेकिन देश के पर्यावरण या वैयक्तिक लूट की खुली छूट के आधार पर कागजी विकास नहीं चाहिए। काश जयंती नटराजन  के आरोप सही होते ! दरसल कांग्रेस ने ठीक से देश की सम्पदा का रखरखाव नहींकिया !जयंती नटराजन  के आरोप सही नहीं हैं।  वेदांता ,अम्बानी , अडानी की सम्पदा  तो यूपीए के कार्यकाल में ही    चौगुनी बड़ी है।  काश  डॉ मनमोहनसिंह ने ,सोनिया गांधीं ने , राहुल ने पूँजीपतियों  की राह में रोड़े अटकए होते। तो उनके कार्यकाल में देश के ६७ पूँजीपतियों की सम्पदा  चौगुनी -पचगुनी नहीं हुई होती।   देश की गरीब जनता कंगाल नहीं हुई होती।  यूपीए और कांग्रेस की इतनी बुरी दुर्दशा नहीं होती कि  विपक्ष  का रुतवा भी  न मिले।  गनीमत है कि  कांग्रेस  के नेताओं  ने ,राहुल ने ,मनमोहन सिंह ने ‘नौलखिया शूट ‘ कभी नहीं पहना। इसलिए  यदि साधारण कपड़ों  में राहुल ‘पप्पू’ लग रहे थे जयंती बेन को तो ‘नौलखिया शूट ‘ में फेंकू ही  लगते न  ? राहुल की गलतियां पूँजीपतियों  की परेशानी का सबब  रहीं तो इसमें राहुल ने कौनसा  गुनाह कर दिया ?दरसल राहुल से शिकायत तो उनको है जो उन्हें देश का उदीयमान युवा नेतत्व मान बैठे थे। चूँकि राहुल ने नीतियों ,सिद्धांतों और आधुनिक युग के अनुरूप वैकल्पिक नीतियों का अनुसंधान ही नहीं किया इसलिए वे व्यक्तिशः आज भी पप्पू ही हैं।  चूँकि कांग्रेस ने  स्वाधीनता संग्राम का , गांधीं जी ,इंदिराजी ,राजीव जी के बलिदान का  अमर फल खा रखा है इसलिए उसे पुनः सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता। किन्तु राहुल ने यदि मनमोहनी  आर्थिक नीतियों से किनारा नहीं किया  तो देश को  सही नेतत्व नहीं दे सकेंगे। कांग्रेस से जो तलछट उफन -उफ़न कर  भाजपा में जा रही  है -वही उसके पतन का कारण बनेगी।
जिनके प्रसाद पर्यन्त जयंती नटराजन  बिना कोई चुनाव लड़े  [राज्य सभा  के मार्फ़त]  २० साल कांग्रेस की सांसद रही।  जिनके सौजन्य और नारीवादी दृष्टिकोण की बदौलत वे  १० साल  लगातार कैविनेट मंत्री  रही। उन जयंती नटराजन को  टूटी-फूटी  कांग्रेस ,सफेद साड़ी वाली  सोनिया जी  और साधारण   पायजामा कुर्ते  वाला  राहुल अब   ‘नीम करेला ‘  हो चुके हैं।  तमाम दलबदलुओं को -गणतंत्र दिवस पर १० लाख का स्वर्णिम पीतांबर  धारण करने वाले मोदी जी,ओबामा को चाय बनाकर ‘सर्व’ करने वाले मोदी जी ,कर कमलों में झाड़ू  ले- फोटो खिचवाने वाले मोदी जी अब  श्री हरि  विष्णु का २५ वां अवतार दिखने लगे हैं।
इस घोर व्यक्तिवादी ,मौकापरस्त – अवसरवादी राजनीति  के उत्प्रेरकों को धिकार है!    जो इन विदूषकों  की चरण वंदना में व्यस्त हैं यदि उन्हें रंचमात्र  शर्म नहीं आती तो उनकी वेशर्मी को भी कोटिशः धिक्कार है !

 

5 COMMENTS

  1. कई वर्षों बाद इस मंच पर आना हुआ… आदरणीय तिवारी जी, मैं बिना किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर आपके इस लेख का सौ प्रतिशतसमर्थन करता हूँ… आपसे वैचारिक मतभेद के बावजूद मेरा मानना है कि आपके इस लेख का एक-एक शब्द सौ फीसदी सत्य है…
    साधुवाद…

    • कई वर्षों बाद इस मंच पर आना हुआ… सीधे तिवारी जी के समक्ष आ उन्हें साधुवाद देते लगे हाथों “गणतंत्र दिवस पर १० लाख का स्वर्णिम पीतांबर धारण करने वाले मोदी जी,ओबामा को चाय बनाकर ‘सर्व’ करने वाले मोदी जी -कर कमलों में झाड़ू ले- फोटो खिचवाने वाले मोदी जी” को दो एक गाली भी दे डालिये। दीमक के टीले पर बैठे भारतीयों को कब अक्ल आयेगी?

  2. यह लेख किस के लिए लिखा गया है? क्या मालिक की बुराई करते राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम २०१३ अंतर्गत एक अरब दो करोड़ उन “भूखे मजदूरों” के लिए जिन्हें उन तमाम ट्रेड यूनियन संगठकों एवं वाम पंथी कार्यकर्ताओं ने कंगाल बना दिया अथवा मालिकों की और से चेतावनी देते कांग्रेस से तलछट उफन-उफन करती अकृतज्ञ जयंती नटराजन के लिए है “जिनके प्रसाद पर्यन्त वह बिना कोई चुनाव लड़े (राज्य सभा के मार्फ़त) २० साल कांग्रेस की सांसद रही। जिनके सौजन्य और नारी वादी दृष्टिकोण की बदौलत वे १० साल लगातार कैबनेट मंत्री रही। उन जयंती नटराजन को टूटी-फूटी कांग्रेस, सफेद साड़ी वाली सोनिया जी और साधारण पायजामा कुर्ते वाला राहुल अब ‘नीम करेला‘ हो चुके हैं?”

    या फिर इन दोनों की आड़ में यह लेख “अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा” है जो चुनौती देते खुले आकाश के नीचे राष्ट्रवादी नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी और समस्त भारतीयों को ललकार रहा है? चारों ओर लीद करते इस बहरूपिये भाड़े के टट्टू को रोकना होगा|

    श्रम संघ एवं वाम पंथ के नाम पर इन घोर व्यक्तिवादी, मौकापरस्त – अवसरवादी राजनीति के टहलुओं को धिक्कार है जो चिरकाल से भारत में देशद्रोही तत्वों की चरण वंदना में व्यस्त रहे हैं|

  3. इतने दिन नमक खाया है कांग्रेस का, वो कर्ज चुकाना है, स्वामिभक्ति इसी को कहा जाता है। दोष आपका नहीं है तलवे चाटने, चरण वंदना और फेंकी हुई हड्डियों को चबाने की पुरानी परम्परा रही है बामपंथियों की। बदले में शिक्षा मंदिरों पर कब्ज़ा इत्यादि इत्यादि। लिखने बैठें को महाभारत के बराबर का ग्रन्थ बन जाए। जयंती नटराजन ने जो आरोप लगाए उसकी वैधानिकता जाँचे बिना पप्पू को क्लीन चिट बामिये ही दे सकते हैं।

  4. भा ज पा को अपने केडर के लोगों को ही आगे बढ़ाना चाहिए अन्यथा ये दल बदलू तो कल फिर पलायन कर जायेंगे

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