दिग्विजय सिंह का वक्तव्य और काँग्रेस की रणनीति

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राजीव दुबे

काँग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के काफी करीब माने जाते हैं। कहते हैं कि हिन्दी राज्यों में काँग्रेस की हाल की रणनीति के सूत्रधार वही हैं। राहुल गांधी को ‘जमीनी हालातों’ पर सलाह देने में भी उनकी भूमिका मानी जाती है।

आतंकवादियों से लड़ने में प्राण न्यौछावर करने वाले करकरे की शहादत पर यह बात दिग्विजय ने क्यों छेड़ी?

भाजपा के नेताओं में नरेंद्र मोदी के खिलाफ सबसे कटु बयानों में से एक “मौत के सौदागर” वाला बयान सोनिया गांधी ने दिया था। फिर राहुल गांधी ने संघ की तुलना सिमी से की थी। तो क्या दिग्विजय का नया बयान काँग्रेस की वही सोची समझी और नेतृत्व का आशीर्वाद ले कर की गई बयानबाजी है?

दरअसल दिग्विजय ने 26/11 के आतंकी हमले का पूरी तरह से कायाकल्प करने की कोशिश की है। अपनी पार्टी की बिहार और संसद में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हुई तीखी हार एवं आलोचना के बाद काँग्रेस को पलटवार करने के लिए किसी भी हद तक जाना चाहिए – यह सलाह कोई भी लोकतान्त्रिक मूल्यों में आस्था रखने वाला व्यक्ति नहीं दे सकता।

कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि दिग्विजय का यह वक्तव्य एक पुस्तक के प्रचार के लिए था – पुस्तक 26/11 के मसले को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की साज़िश बताती है और दिग्विजय उसके विमोचन के समारोह में मौजूद थे!

अब जबकि प्रधानमंत्री यूरोप के देशों को यह बताने में लगे हैं कि 26/11 पाकिस्तान का आतंकवादी हमला था, तब राहुल गांधी के समीप माने जाने वाले दिग्विजय का यह बयान क्या सिद्ध करता है? प्रधानमंत्री जी आप कुछ भी करें या कहें, काँग्रेस आलाकमान कुछ और सोच रही है…?

वोट बैंक की राजनीति क्या इतनी गिर गई है कि देश पर मरने वालों की शहादत पर भी राजनीति और इतनी गंदी बयानबाज़ी होगी? क्या काँग्रेस अब भी खुद को गैर-सांप्रदायिक पार्टी कह सकती है?

संडे पायोनियर में छपे लेख के मुताबिक दिग्विजय सिंह के साथ इस पुस्तक विमोचन सभा में ‘आर॰ एस॰ एस॰ की साज़िश – 26/11 ’ पुस्तक लेखक अज़ीज़ बर्नी के अलावा राज्य सभा उप सभापति के॰ रहमान खान, एवं दिल्ली से निर्वाचित कुछ विधायक लोग भी थे। और तो और पुस्तक के लेखक महोदय फिर प्रधानमंत्री के साथ यूरोप यात्रा पर निकल गए जहाँ प्रधानमंत्री यूरोप के नेताओं को यह बता रहे थे की 26/11 पाकिस्तान का भारत पर आतंकवादी हमला था। है न आश्चर्यजनक?

यह शर्मनाक बयानबाजी है। दिग्विजय सिंह का बयान बहु-अर्थपूर्ण है और यह राष्ट्रीय चरित्र की गरिमा के विरुद्ध है। सामान्य जनता ऐसी बयानबाज़ी पसंद नहीं करती।

सामान्य जनता और देश के संविधान की स्पष्ट माँग है की काँग्रेस एवं अन्य सभी दल हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई एवं अन्य धर्मों में भेदभाव के बिना देश में शासन चलायें एवं गैर सांप्रदायिक आधार पर राजनीति एवं बहस करें।

यदि काँग्रेस को लगता है कि भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सांप्रदायिक हैं तो केंद्र की सत्ता में होते हुए यह काँग्रेस का दायित्व है कि ऐसे दलों एवं संगठनों पर प्रतिबंध लगाए अन्यथा ऐसी बातें करना बंद कर वास्तविक मुद्दों एवं मूल्यों पर आधारित राजनीति करे।

2 COMMENTS

  1. Digvijay had lost his temper when BJYM activists blocked his vehicle showing black flags on July 17 in Ujjain. He chased the protesters after getting down from his vehicle. The incident created a political uproar in the state when Digvijay dared the BJP government to arrest him. The chief minister declined to do so, saying he did not want to make Digvijay a hero.

  2. मै कांग्रेस तथा राहुल के बयान को गंभीरता से लेता हुं। हिन्दु युवाओ को उतेजित कर आतंकवादी बनाना कठिन काम नही है। चर्च नियंत्रित शक्तिया हिन्दुओ को हिन्दुओ से लडाने के लिए, तथा हिन्दुओ को मुसलमानो से लडाने के लिए हिन्दु आतंकवादी संगठन खडा करने की कोशिश कर रही थी। उनका यह प्रयास अन्तिम चरण मे है। इस काम को वह बेहद ढके छुपे तरीके से सम्पन्न कर रहे है ताकी कोई शक न हो। इस कार्य मे विकसित देशो की एजेंसियो की भी मदत ली जा रही है।

    इन सारी बातो की पुरी सुचना कांग्रेस नेतृत्व तथा राहुल के पास है। वस्तुतः वह स्वयम चाहते है की देश मे हिन्दु आतंकवाद फैले ताकी स्वच्छ तथा शांतीप्रिय हिदु शक्तियो के विरुद्ध कारवाही करने का नैतिक बल उन्हे प्राप्त हो सके। संघ तथा भाजपा का आतंकवाद से कोई लेना देना नही है। आतंकवादी का बिल्ला लगाए बगैर उन पर कारवाही करना संभव नही है।

    इस देश की सत्ता पर फिर से फिरंगीयो का कब्जा हो गया है। वह बांटो और राज करो की युक्ति से काम कर रहे है। वह देश के विरुद्ध काम कर रहे है। हमे युक्ति पुर्वक उनका सामना करना होगा। अगर हम युक्ति पुर्वक सोच सकें तो उनकी योजना धरी की धरी रह जाएगी।

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