बनती है अनुभूति 3।
अवलोकन से अनुभव को,
अलग कर दिया तो,
आ जाती है वस्तुनिष्ठता 4।
वस्तुनिष्ठ आधार से,
उभरते हैं तथ्य 5,
जिनके विश्लेषण 6 से,
बनते हैं सिद्धान्त 7।
ये हैं वैज्ञानिक,
सोच का परिणाम।
अनुभूतियाँ निजी हैं तो,
सिद्धान्त सार्वभौमिक 8,
वस्तुनिष्ठ होकर,
सोचना ज़रूरी है,
पर भावना, अनुभूति बिन,
मानवता अधूरी है।
कहीं भावना तो कंहीं,
वस्तुनिष्ठ चिंतन ज़रूरी है।
1. Observation
2. Experience
3. Perception
4. Objectivity
5. Facts
6. Analysis
7. Theories
8. Universal
बहुत अच्छी दार्शनिक सोच है।
साझा करने के लिए धन्यवाद।
सादर,
विजय निकोर
संदेश देती इस रचना के लिए बधाई
विजय निकोर