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भ्रष्टाचारी-जी की आरती - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
तेरी हर रोज विजय होवे हे भ्रष्ट तुम्हारी जै होवे| दिन दूनी रात चौगुनी अब ये रिश्वत बढ़ती जाती है नेता अफसर बाबू की तिकड़ी मिलजुलकर ही खाती है धोती कुरता टोपी वाले जब नेताजी बन जाते हैं ये बिना किसी डर दहशत के ये रिश्वत लप-लप खाते हैं खाने…