गुजरात में जोर पकड रहा है भ्रष्टाचार और काला धन का मुद्दा

gujarat_map1-300x1972‘देश के बाहर गये काले धन की पाई-पाई हम वापस लेकर आयेंगे’ मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की इस उद्धोषणा के आगे कांग्रेस आक्रामक होकर भाजपा को भ्रष्टाचार में लिप्त और काले धन की पोषक पार्टी के उपमे से नवाजती है। काला धन और भ्रष्टाचार के सवाल पर राज्य में बहस तेज हो चुकी है। दोंनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर आमने-सामने खडी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एनडीए के प्रधानमंत्री उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी ने जब दिल्ली में आयोजित प्रेस-कांफ्रेंस में विदेशों में जमा काला धन को वापस लाने का मुद्दा उछला तो देश भर में व्यापक प्रतिक्रिया हुई।

‘देश के बाहर गये काले धन की पाई-पाई हम वापस लेकर आयेंगे’ मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की इस उद्धोषणा के आगे कांग्रेस आक्रामक होकर भाजपा को भ्रष्टाचार में लिप्त और काले धन की पोषक पार्टी के उपमे से नवाजती है। काला धन और भ्रष्टाचार के सवाल पर राज्य में बहस तेज हो चुकी है। दोंनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर आमने-सामने खडी है।

संत बाबा रामदेव ने भी इसे पार्टी विशेष का मुद्दा के रूप में देखने के बजाये राष्ट्रीय मुद्दा मानने की अपील की। साथ ही उन्होंने कहा कि यह देशहित से जुडा मुद्दा है, और इस पर सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आवाज उठानी चाहिए। देखते-देखते काला धन का मुद्दा देश भर में जोर पकडने लगा। लेकिन गुजरात में इससे एक कदम आगे बढते हुए भाजपा ने जनमत इकट्ठा करने का काम कर डाला। इस पर व्यापक जनसमर्थन मिला। भाजपा ने सभी 26 संसदीय क्षेत्रों में करीब दो हजार से अधिक मतदान केंद्र बना कर इस बहस को जनव्यापी करने की कोशिश की। लोगों में जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई और लोगों ने भाजपा के इस अभियान में साथ दिया। करीब 22 लाख लोगों ने मतदान के जरिये भाजपा की इस मुहिम को सही करार दिया। इससे भाजपा ने इस मुद्दे को राज्य में अपने सभी चुनावी भाषणों से जोड दिया। हालांकि कई पार्टियों ने इसे हल्के ढंग से लेते हुए किनारा भी किया। सर्वप्रथम लालकृष्ण आडवाणी ने राज्य में अपनी पहली जनसभा में काला धन का मुद्दा उछाला। 27 अप्रेल को कांकरिया के फुटबॉल ग्राउंड में आडवाणी ने कहा कि देश के बाहर भारत का करीब 73 लाख करोड राशि विभिन्न बैंकों में पडा है, इतनी बडी राशि यदि देश में वापस आती है तो इसका उपयोग देश की आमो-आवाम और विकास कार्यों के लिए किया जा सकेगा।

दूसरी बडी सभा उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की हुई। 30 मार्च को इसी कांकरिया फुटबॉल ग्राउंड में मायावती ने भाजपा के इस मुद्दे को आडे हाथों लेते हुए कहा कि केंद्र में जब एनडीए की सरकार थी, तो लालकृष्ण आडवाणी ने अपने मंत्रियों के काले धन वापस लाने का प्रयास क्यों नहीं किया। मायावती ने भाजपा को भ्रष्टाचार में लिप्त पार्टी बताया। मायावती ने काले धन की बात को भाजपा का चुनावी शगुफा बताते हुए मतदाताओं को भाजपा के भ्रमजाल से बचने की अपील की। दूसरी तरफ राज्य में अपने चुनावी सभाओं को तुफानी रफ्तार देते हुए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अपने भाषणों का मुख्य मुद्दा बना जनता के बीच हलचल पैदा कर दी। वे सभाओं में लोगों से पूछने लगते कि बताईये-काला धन देश में वापस आना चाहिए या नहीं? हजारों की संख्या में एक साथ जवाब आता-हां। मोदी की जनसभाओं के बाद जनता के बीच यह मुख्य चुनावी मुद्दा के रूप में प्रचलित हो जाता। फिर अन्य मुद्दों का स्थान दूसरा और तीसरा नंबर पर आने लगता।

इधर कांग्रेस ने मोदी की सभाओं के बाद लोगों में प्रतिक्रिया होते देख अपने केंद्रीय नेतृत्व को मैदान में उतारा। सर्वप्रथम इस मुद्दे पर बोलने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री पी.चिदम्बरम आये। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से सफाई देते हुए कहा कि वे सरकारी स्तर पर सभी कार्यवाही कर रहे हैं। समय आने पर सब कुछ साफ हो जायेगा। चिदम्बरम का ऐसा कहना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी इस मायने में सही समय पर सही कदम उठाने से पीछे नहीं रहेगी। चिदम्बरम के बयान के बाद कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता मैदान में आ गये। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सिध्दार्थ पटेल ने भी चिदम्बरम के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि काले धन के मुद्दे पर पार्टी कार्यवाही का समर्थन करती है, लेकिन उसे इस संबंध में भाजपा की साफ नियत होने पर शक है। इसके बाद कांगे्रेस ने अपने पूर्व नेता प्रतिपक्ष और मुख्य प्रवक्ता अर्जुन मोढवाडिया को आक्रमण तेज करने को उतारा। कांग्रेस नेता मोढवाडिया ने काला धन पर पार्टी की राय स्पष्ट करने के बजाये भाजपा और एनडीए शासन के समय हुए भ्रष्टाचार की बात कर भाजपा पर हमला बोल दिया। यानी भाजपा के इस मुद्दे को जनव्यापी होता देख कांग्रेस ने आक्रमक रहने की अपनी पूरानी रणनीति को ही हथियार बना कर भाजपा से मुकाबला करने की ठान ली। मोढवाडिया ने भाजपा पर आरोपों की बौछार करते हुए कौफिन कांड से लेकर डिस्इन्वेस्टमेंट विभाग तक की गडबडियों के मामले उठाये जो कि एनडीए शासनकाल में जनता के बीच चर्चा के विषय बने हुए थे। मोढवाडिया ने कहा कि भ्रष्टाचार और काला धन दोनों अलग-अलग नहीं अपितु एक ही है। भ्रष्टाचार से पैदा हुए काला धन को छुपाने के लिए ही भ्रष्ट व्यक्ति विदेशी बैंकों का सहारा लेता है। उन्होंने भाजपा शासन के दरम्यान कौफिन कांड, बंगारू लक्ष्मण द्वारा शस्त्र खरीदी के लिए लिया गया रिश्वत, युनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया का यूएस-54 का पांच हजार करोड का घोटाला, डिस्इन्वेस्टमेंट के नाम पर बाल्को का 5 हजार करोड का घोटाला, मुंबई की सेंट्रल होटल के सौ करोड का घोटाला, अरविंद जोहरी के लखनऊ के सायबर ट्रोन तकनीकी आईटी पार्क सहित गुजरात सरकार के सुजलाम सुफलाम के 11 सौ करोड के घोटाले संबंधी आरोप लगाये। इसके अलावा मोढवाडिया ने भाजपा के दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय से चोरी हुए 2.5 करोड रुपये को काला धन बताते हुए सवाल खडा किया कि यदि वह काला धन नहीं था, तो भाजपा ने इस संबंध में पुलिस रिपोर्ट क्यों नहीं दर्ज करायी। मोढवाडिया ने आडवाणी पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि उनका भी नाम जैन हवाला की डायरी में आया था।

गांधीनगर से आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड रही प्रसिध्द भौतिक वैज्ञानिक स्वर्गीय विक्रम साराभाई की पुत्री मल्लिका साराभाई भी अपने चुनावी कैंपेन में इस मुद्दे को खूब उठाती है। लेकिन उनका तर्क दूसरा है, वे कहती है कि देश के काले धन को क्यों नहीं वापस देश की तिजोरी में डालना चाहिए। पहले तो देश के अंदर हुए बडे घोटालों के पैसे देश के सामने लाने की पहल होनी चाहिए। देश से भ्रष्टाचार नाबूद करने की कोशिश होनी चाहिए। उन्होंने आडवाणी के इस बयान पर तिखी प्रतिक्रिया जतायी जिसमें आडवाणी ने काले धन को देश के विकास में लगाने की बात की थी। मल्लिका ने कहा कि विकास के नाम पर फिर से इन पैसों की लूट की योजना से इनकार नहीं किया जा सकता है। सुप्रसिध्द नृत्यांगना ने कहा कि देश के काले धन को पहले स्वयंसहायता समूहों और गरीब जनता के बीच देने की जरूरत है जिससे वह वास्तविक जरूरतमंदों के काम आ सकें।

-बिनोद पांडेय

(लेखक हिंदुस्‍थान समाचार, अहमदाबाद से संबद्ध हैं)

1 COMMENT

  1. सर जी जब NDA की गवर्मेंट थी तब कितनो क पता था काले धन के बारे मैं , सिर्फ गिने चुने लोगों को , जब germany की सरकार ने investigate किया तब जा कर सामान्य जानत अको मालूम हुआ वो समय २००८ का था जब उठ पटांग allance की गवर्मेंट थी , रही बात बी जे पी और कांग्रेस की तो १०० किलो का पाप और १०० ग्राम के पाप को एक तराजू मैं नहीं तोला जाता है कांग्रेस की पहेले से ही आदत रही है ” चोर मचाए सोर” कांग्रेस सरे पाप करने के बाद भी कैसे पवित्र रह सकती है उसको तो ६० साल का घपले का हिसाब देना है ४०० लाख करोर का

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