डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
गत 23 दिसम्बर को एक समाचार पढने में आया कि जिला शिक्षा अधिकारी इन्दौर के कार्यालय में कार्यरत एक महिला लिपिक ने रिश्वत ली और वह रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए पकड़ी भी गयी| इस प्रकार की खबरें आये दिन हर समाचार-पत्र में पढने को मिलती रहती हैं| इसलिये यह कोई नयी या बड़ी खबर भी नहीं है, लेकिन मेरा ध्यान इस खबर की ओर इस कारण से गया, क्योंकि इस खबर से कुछ ऐसे मुद्दे सामने आये जो हर एक संवेदनशील व्यक्ति को सोचने का विवश करते हैं| पहली बात तो यह कि एक महिला द्वारा एक दृष्टिबाधित शिक्षक से उसके भविष्य निधि खाते से राशि निकालने के एवज में रिश्वत की मांग की गयी| शिक्षक ने भविष्य निधि से निकासी का स्पष्ट कारण लिखा था कि वह उसके चार वर्षीय पुत्र का इलाज करवाना चाहता है, जो कि लम्बे समय से किडनी की तकलीफ झेल रहा है|
इतना सब पढने और जानने के बाद भी महिला लिपिक श्रीमती पुष्पा ठाकुर का हृदय नहीं पसीजा| श्रीमती ठाकुर ने भविष्य निधि में जमा राशि को निकालने के लिये प्रस्तुत आवेदन को आपनी टेबल पर दो माह तक लम्बित पटके रखा और आखिर में दो हजार रुपये रिश्वत की मांग कर डाली, जो एक बीमार पुत्र के पिता के लिये बहुत ही तकलीफदायक बात थी| जिससे आक्रोशित या व्यथित होकर दृष्टिबाधित पिता ने रिश्वत देने के बजाय सीधे लोकयुक्त पुलिस से सम्पर्क किया और श्रीमती पुष्पा ठाकुर को रंगे हाथ गिरफ्तार करवा दिया|
इस मामले में सबसे जरूरी सवाल तो यह है कि भविष्य निधि से निकासी के लिये पेश किये जाने वाले आवेदन दो माह तक लम्बित पटके रहने का अधिकार एक लिपिक को कैसे प्राप्त है? यदि आवेदन प्राप्ति के साथ ही आवेदन को जॉंच कर प्राप्त करने, पावती देने और हर हाल में एक सप्ताह में मंजूर करने की कानूनी व्यवस्था हो तो श्रीमती ठाकुर जैसी निष्ठुर महिलाओं को परेशान शिक्षकों या अन्य कर्मियों को तंग करने का कोई अवसर ही प्राप्त नहीं होगा| क्या मध्य प्रदेश की सरकार को इतनी सी बात समझ में नहीं आती है?
दूसरी बात ये भी विचारणीय है कि स्त्री को अधिक संवेदनशील और सुहृदयी मानने की भारत में जो महत्वूपर्ण विचारधारा रही है, उसको श्रीमती ठाकुर जैसी महिलाएँ केवल ध्वस्त ही नहीं कर रही हैं, बल्कि स्त्री की बदलती छवि को भी प्रमाणित कर रही हैं| इससे पूर्व विदेश विभाग की माधुरी गुप्ता जासूसी करके भी स्त्री की बदलती छवि को प्रमाणित कर चुकी है| यदि ऐसे ही हालात बनते गये तो स्त्री के प्रति पुरुष प्रधान समाज में जो सोफ्ट कॉर्नर है, वह अधिक समय तक टिक नहीं पायेगा|
इन हालातों में पुष्पा ठाकुर और माधुरी गुप्ता जैसी महिलाओं द्वारा स्त्री छवि को तहस-नहस किये जाने से सारी की सारी स्त्री जाति को ही आगे से पुरुष की भांति माने जाने का अन्देशा है| यदि ऐसा हुआ तो भारतीय कानूनों में स्त्री को जो संरक्षण मिला हुआ है, उसका क्या होगा?
आपका सवाल जायज़ है लेकिन सिटीजन चार्टर के बिना इस तरह की समस्या हल नहीं होगी. रहा स्त्री का सवाल वेह भी पूंजीवाद का शिकार हो रही है.
आप अभी किसी और दुनिया में हैं शायद ….मैं अपनी नौकरी दोबारा ज्वाइन करने हेतु १९९१ से प्रयासरत हूँ न jane कितने ऑफिसर बदल्गाये सरकारें चली गयीं दोक्टोर्स की कमी है जन सामान्य मर खप रहे हैं ६ साल से मेडिकल दिरेक्टोर ने ही फाइल शासन को नहीं भेजी (ये सुचना के अधिकार से पता चला)…आप २ महीनो व् एक आदमी की बात करते हो वो भी बाबु के द्वारा यहाँ यू.पी. में तो मुक्य सचिव भी नहीं सुनते जब की मेरा नाम माननीय सरवोछ nyayalaya के आदेश के बाद विभाग द्वारा घोषित सूचि में उपलब्ध है ….आप कृपा करके रिश्वत का रेट बता दो मेरा काम तो बन जायेगा इस सड़े हुए प्रदेश में …इस देश में रिश्वत ही जिंदाबाद है …बाकि सब२% बकवास है जो सामने लायी जाती है …अब तो पढाई में रिश्वत कैसे दे ये भी सिखाना चाहिए ताकि हम रिश्वत देने की कला भी जान सकें २१ साल से सेवा में योगदान को तरस रहा हूँ गिनीस बुक रिकॉर्ड के लिए अपना पत्राचार दिखने को तैयार हूँ ….सच छपने ही हिम्मत हो अगर ……
आदरणीय मीना साब, आपने सब सही लिखा है , लेकिन आपने ये भी लिख दिया की क्या mp सर्कार को इतना सा भी समझ में नहीं आता क्या ! आपके हिसाब से अन्य प्रान्तों की सरकारों को या केंद्र सर्कार को तो समझ में आरहा है ! भाई सब में राजस्थान में रहता हु और मेरी कारिड शुदा जमीं का नन्तरण करने में साढ़े तिन महीने लगे और पटवारी को काफी बड़ी राशी देनी पड़ी !ये जनता को पल पल परेशां करने वाले बाबु ,और अफसर देश के विकाश के दुश्मन है ! जनता के समय शक्ति और धन का अपहरण कर रहे है ! इनको कोई दर इसलिए नहीं है की देश में जॉब सिक्युरिटी है किसी कर्मचारी को नोकरी से हमेशा के लिए निकालदेने बहुत ही ज्यादा मुश्किल है १ कानून बनाने वाले , कानून में गलिया रखने वाले ,और कानून की व्याख्या करने वाले सभी कर्मचारी ही है !आप तो बड़े आदमी है ,रसूख वाले है लेखनी से जुड़े है आपको रिश्वत खोरो से बहुत कम ही पाला पड़ा होगा १ हम जनता को रोज मर्रा ऑफिसों में अपमानित भी होना पड़ता है और रिश्वत भी देनी पड़ती है !वर्षो तक इस देश को मुस्लिम शासको ने लूटा , अपमानित भी किया हमारी स्त्रियों के साथ हेवानियत की , मंदिर तोड़े ,धर्म ग्रन्थ और शोध ग्रन्थ जला डाले!फिर अंग्रेजो ने भी भरी लूट की देश भक्तो और क्रांति करियो को अपमानित भी किया अन्याय पूर्वक हत्याकांड किये !अंग्रेजो ने हमारी स्त्रियों के साथ हेवानियत नहीं की ! फिर आये कांग्रेसी , इन्होने देश के टुकडे होने दिए लाखो लोगो का कत्ले आम , फिर हजारो स्त्रियों के साथ पंजाब और सिध में हेवानियत होने दी ! आधे कश्मीर को जाने दिया , बाकि बचे कश्मीर की भी रक्षा की कोई विस्वसनीय योजना नहीं दिखाती है ! आज भी अब हमारे देश के ही लोगो द्वारा लूट मची है , स्विस बेंको का पैसा खुर्द बुर्द करने का पूरा अवसर दिया जा रहा है रिश्वत कांग्रेस के लोग भी खा रहे है दूसरी पार्टियों को भी अवसर उपलब्ध करा रहे है जिससे कुअवसर पर दूसरी पार्टियों के भ्रस्तो को साथ लिया जा सके !मीना साब, आम आदमी तो पिस ही रहा है ,घुट घुट कर मर रहा है !आप जेसे समर्थवान लोग मिल बेठ कर कोई सफल योजना बनाओ की कोई हल निकालो ……. कश्मीर
एक विचारणीय लेख, मीणा साहब. स्त्री हमेशा ही संवेदनशीलता की प्रतीक मानी गयी है लेकिन ऐसी घटनाए उसकी छवि धूमिल करती हैं.
इसे देखकर तो यही लगता है कि भ्रष्टाचार का दानव हर तरह फैला हुआ है. जाती -सम्प्रदाय, व्यवसाय-पेशा, प्रांत-देश, अमीर-गरीब से परे इस महारोग का खात्मा जरूरी है.