ताजमहल पर क्राउड मैनेजमेंट

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डा. राधेश्याम द्विवेदी
पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण पड़ने वाले दबाव से विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है. सैकड़ों पर्यटक ताजमहल का दीदार करने के लिए आ रहे हैं। ऑनलाइन टिकटों की रिकॉर्ड बिक्री और ताज के तीनों गेटों मधुमक्खियों की तरह जुटे पर्यटकों से ताजमहल हाउसफुल है। ताजमहल पर खासकर शनिवार और रविवार को अक्सर जबरदस्त भीड़ होती है। हजारों लोग मुख्य स्मारक पर खड़े होते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने नीरी से ताजमहल पर पर्यटकों की भीड़ के दबाव और भारण क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) की जांच का जिम्मा दिया था। पिछले डेढ़ साल से नीरी इसकी जांच कर रही थी। अब इसने एएसआई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।भीड़ का आलम ये है कि ताज के अंदर और बाहर सुरक्षा कर्मियों को पर्यटकों को संभालने में पसीने छूट जाते हैं। सोमवार सुबह से ही ताज के तीनों गेटों पर भारी भीड़ नजर आ रही है। गाड़ियों को पार्क करने की जगह नहीं होने के कारण अवैध पार्किंग ठेकेदार जमकर मुनाफा कमा रहे हैं। ताजमहल में कुछ वक्त बाद आपको हाउसफुल का बोर्ड लगा दिख सकता है। यहां एक घंटे में छह हजार पर्यटक ही ताजमहल का दीदार कर पाएंगे। इसकी बुनियाद को सलामत रखने के लिए ऐसा किया जा रहा है। नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से इसकी सिफारिश की है। इससे जल्द से जल्द लागू करने को कहा गया है।नीरी ने अपनी रिपोर्ट में ताजमहल के मुख्य मकबरे पर खास ध्यान रखने को कहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पर ध्यान रखा जाए कि पर्यटकों की भीड़ किसी एक स्थान पर लगातार न जुटें। कोशिश होनी चाहिए कि पर्यटक लगातार चलते रहें। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एक घंटे में अधिकतम छह हजार पर्यटकों को मुख्य मकबरे पर जाने दिया जाए। इससे ज्यादा लोगों के जाने से ताजमहल की नींव पर दबाव बढ़ेगा और नुकसान भी हो सकता है।
भीड़ घटाएं, ताज बचाएं:- इतिहासकार आर.नाथ ने चेतावनी दी है कि अगर पर्यटकों की भीड़ का सही तरीके से प्रबंधन और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) का पुनर्गठन नहीं किया गया, तो इस खूबसूरत निशानी के भविष्य पर प्रश्नचिह्न् लग सकता है. उन्होंने केंद्रीय संस्कृति मंत्री को एक पत्र लिखकर जल्द से जल्द एएसआई का पुनर्गठन करने की मांग की है. ज्ञापन का विवरण देते हुए नाथ ने कहा, “ताजमहल में बढ़ती भीड़ से इसके अस्तित्व पर पैदा हुए खतरे की ओर मैंने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि ताजमहल धीरे-धीरे नदी में डूबने की ओर अग्रसर है. इसके मद्देनजर जल्द से जल्द कोई प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ी इसकी भव्यता का लुत्फ उठा सके.” नाथ ने कहा, “हर वर्ष लगभग 60 लाख पर्यटक टिकट खरीदकर इसे देखने पहुंचते हैं. इनमें वैसे पर्यटकों की संख्या शामिल नहीं है, जिनकी उम्र 15 वर्ष से कम है या जो बिना टिकट आते हैं या शुक्रवार को मुफ्त प्रवेश के दौरान आते हैं. अगर सबकी संख्या जोड़ दी जाए, तो यह संख्या करीब एक करोड़ के आसपास चली जाती है.”उन्होंने कहा कि ताज का दीदार करने वाले पर्यटकों की बढ़ती संख्या की समस्या 20वीं सदी के पहले दशक के दौरान नहीं थी, क्योंकि तब ब्रिटिश सरकार ने प्राचीन स्मारक संरक्षक अधिनियम, 1904 लागू कर रखा था. नाथ ने कहा, “पर्यटकों की बढ़ती भीड़ का दवाब नदी किनारे स्थित यह स्मारक बेहद बुरे तरीके से झेल रहा है. इस दबाव को ताज अनंत काल तक नहीं झेल सकता.”आर.नाथ के अनुसार ताजमहल की प्रशासनिक तौर पर देखभाल के लिए ‘ताज निगम’ का गठन किया जाना चाहिए. इस निगम के प्रमुख एक निदेशक या एक मुख्य प्रशासनिक अधिकारी हो सकते हैं, जिनके अंतर्गत मुख्य सुरक्षा अधिकारी के रूप में कर्नल या उससे ऊपर के रैंक का कोई सेनाधिकारी, चार हजार प्रशिक्षित पुलिस बल सहित कई अधिकारी होंगे, जो काम में उनकी सहायता करेंगे. नाथ ने चेतावनी दी है कि अगर बदलाव जल्द न किया गया, तो हमारे अहंकार, सुस्ती तथा अक्षमता के लिए ताजमहल को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.
एएसआई: चिंतित:-ताजमहल को बने 362 साल हो चुके हैं. इसकी देखभाल का जिम्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के कंधों पर है. ताजमहल पर बढ़ते दबाव को लेकर अधिकारी परेशान हैं. तकरीबन दो साल का वक्त बीतने को है. लेकिन निरि ने अपनी रिपोर्ट अभी तक सुप्रीम कोर्ट को नहीं सौंपी है. ताजमहल के संरक्षक सहायक मुन्नजर अली बताते हैं कि हम ताजमहल पर बढ़ते दबाव को लेकर चिंतित हैं. मुख्य इमारत पर दबाव कम करना जरूरी है. पर अंतिम फैसला निरि को करना है. उसी के आधार पर हम काम करेंगे. गौरतलब है कि ताजमहल देखने के लिए हर साल 50 से 70 लाख पर्यटक आगरा आते हैं. जिनमें तकरीबन 12 फीसदी विदेशी सैलानी भी शामिल होते हैं. यह संख्या हर साल बढ़ रही है. पर्यटन जगत के लिए यह अच्छी बात है. लेकिन ताजमहल के लिए यह बड़ा खतरा है. एएसआई को शक है कि अगर समय रहते इंतजाम न हुए तो इमारत में दरार आ जाएंगी जिन्हें पाटना मुश्किल होगा. ताजमहल की नींव लकड़ी के घेरों पर आधारित है. ये लकड़ी के घेरे कुओं जैसी संरचना पर टिके हैं. जिन्हें यमुना के पानी से नमी मिलती है. लेकिन यमुना का जल स्तर कम हो जाने की वजह से लकड़ी के घेरों को नमी नहीं मिल रही है. यह ताजमहल के लिए एक बड़ा खतरा है. रोजाना तकरीबन 50 हजार से ज्यादा सैलानी ताजमहल देखने आते हैं. उनकी मौजूदगी से ताजमहल की मुख्य इमारत पर पड़ने वाला दबाव इस खतरे को और ज्यादा बढ़ा रहा है. मुख्य इमारत के फर्श में अधिक दबाव से दरारें आने का खतरा है. ये दरारें बढ़ भी सकती हैं.
पर्यटकों की संख्या पर नियंत्रण:-ताजमहल आने वाले पर्यटकों की संख्या को नियंत्रित करके इस खतरे को कम किया जा सकता है. इसके लिए एएसआई ने प्रस्ताव भी तैयार किए थे. एएसआई का मानना है कि पर्यटकों को 3 हजार प्रति घंटा की औसत से ताजमहल में भेजा जाए. इस तरह से आठ घंटे में 24 हजार पर्यटक ताजमहल देख सकेंगे. टिकट की अवधि को एक घंटे के लिए कर दिया जाए. मौजदा टिकट पूरे दिन के लिए होता है. उसमें वक्त की कोई पाबंदी नहीं है. इसी तरह से मुख्य इमारत (जो पूरी तरह सफेद संगमरमर से बना है) पर पर्यटकों की एंट्री को बंद किए जाने, ताजमहल में मुख्य स्मारक पर जाने के लिए अलग से दूसरा टिकट लगाने और पर्यटक को केवल एक तरफ से घूम कर निकाले जाने (वन-वे) जैसे प्रस्ताव भी सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए हैं.
क्राउड मैनेजमेंट पर एएसआई व नीरी में परिचर्चा :-ताजमहल पर क्राउड मैनेजमेंट का खाका तैयार कर रहे नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) ने दो घंटे के शेड्यूल में मुख्य गुंबद पर छह हजार सैलानियों की मौजूदगी की सिफारिश की है। नई दिल्ली में एएसआई अधिकारियों के सामने नीरी के विशेषज्ञों ने ताज पर कैरिंग कैपेसिटी और क्राउड मैनेजमेंट पर अपनी सिफारिशों को प्रजेंटेशन के जरिए पेश किया। मुख्य गुंबद पर ज्यादा लोगों के कारण कार्बन डाई आक्साइड से संगमरमर को नुकसान होने का तर्क दिया गया है। ताज पर भीड़ से हो रहे नुकसान के मद्देनजर एएसआई ने दो साल पहले नीरी से अध्ययन कराया। इसकी पहली रिपोर्ट एएसआई को दी जा चुकी है। फाइनल ड्राफ्ट से पहले नीरी विशेषज्ञों ने एएसआई महानिदेशक राकेश तिवारी के साथ एडीजी, डायरेक्टर के साथ बैठक कर प्रजेंटेशन दिया। नीरी के केवी जार्ज ने तीन घंटों के स्लैब बनाकर पर्यटकों की संख्या 6000 तक सीमित करने के सुझाव पर चर्चा की। इस पर अभी अंतिम सहमति नहीं बनी है, लेकिन सीआईएसएफ के कमांडेंट ने सुरक्षा को लेकर नई प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए और व्यवहारिक दिक्कतें गिनाईं। मुख्य गुंबद में लोगों की मौजूदगी से कार्बन डाईआक्साइड ज्यादा होने का तर्क एएसआई केमिकल ब्रांच के गले नहीं उतरा। रसायन शाखा ने नीरी से गैस की रिपोर्ट मांगी है। आगरा से एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद भुवन विक्रम और रसायन शाखा अधीक्षण पुरातत्वविद डा. एमके भटनागर भी बैठक में शामिल हुए।

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