देह की मंडी में जली चेतना की महामशाल

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जगदीश यादव
कहते हैं कि गंदा है पर धंधा है। लेकिन अब उनलोगों के टेस्ट पर पानी गिर रहा है जो चंद रुपये के बल पर नबालिक लड़कियों को अपने उपयोग में लाते हैं। देह के धंधे में नबालिक लड़कियों के रोक के लिये सोनागाछी सह बंगाल में एक खास अभियान चलाया जा रहा है। देह के पेशे में किशोरियों के प्रवेश को रोकने की कोशिश के तहत यौन कर्मियों का संठगन देह व्यापार में शामिल होने वाली लड़कियों की उम्र का पता लगाने के लिए एक्स रे परीक्षण का इस्तेमाल इन्हें बचाने के लिये कर कर रहा है। यौन कर्मियों के संगठन दरबार महिला समन्वय समिति की जन सम्पर्क अधिकारी महाश्वेता ने खास बातचीत में बताया कि हम भी चाहते हैं कि उक्त धंधे में नबालिक लड़कियां नहीं आये। देह व्यापार में ढकेली जा रही नाबालिग लड़कियों को रोकने के लिए समूचे पश्चिम बंगाल में एक्सरे का इस्तेमाल किया जा रहा है।समिति की जन सम्पर्क अधिकारी महाश्वेता ने कि माने तो अबतक हजारों नबालिक लड़कियों को सोनागाछी जैसे रेडलाइट से हटाया जा चुका है। उक्त मशीन के परीक्षण से ही पती चला था कि उक्त लड़किया नबालिक हैं । महाश्वेता ने बताया कि उक्त लड़कियों में कुछ तो अपने घर पर हैं व बाकी बची होमों में। महाश्वेता ने दुख प्रकट करते हुए बताया कि सबसे बड़ी लाचारगी तो यह है कि देह के धंधे में आई नबालिक लड़कियों को उसके घरवाले भी अपनाना नहीं चाहते हैं। समिति के 1.30 लाख सदस्य है। एक प्रश्न के उत्तर में महाश्वेता कहती हैं कि, हम भी नहीं चाहते कि लड़किया इस व्यापार में आए हैं।
लेकिन दलाल और यहां तक कि गरीब परिवारों के अभिभावक लड़कियों को 18 वर्ष से ज्यादा का बताने की कोशिश करते हैं। महाश्वेता ने कहा, ‘ हम पहले पूछते हैं कि क्या वे 18 वर्ष से ज्यादा की है। अधिकतर वे झूठ बोलती हैं। 16 साल की लड़की को देखकर यह बताना बहुत मुश्किल होता है कि वह 16 की है या 18 की। ऐसी स्थिति में हम उनकी असल उम्र पता लगाने के लिए एक्स रे परीक्षण करते हैं। दरबार के साथ काम करने वाले एक गैरसरकारी संगठन, सोनागाछी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्ट्टियूट (एसआरटीआई) के प्रधानाचार्य समरजीत जाना ने कहा कलाई और कमर का एक्स रे करके एक महिला की उम्र का आसानी से पता लगाया जा सकता है। यह सरल तरीका है और पश्चिम में नाबालिग लड़कियों को देह व्यापार में जाने से रोकने के लिए इसका इस्तेमाला किया जाता है। जाना ने कहा, ‘‘इस प्रक्रिया को भारत में व्यापक तौर पर अभी अपनाया जाना है। हमें उम्मीद है कि आने वाले इन दिनों में यह बंगाल मॉडल अन्य को एक रास्ता दिखाएगा।’इस शहर में एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट क्षेत्र सोनागाछी से पहली बार ऐसी पहल को शुरू किया गया। समिति सूत्रों की माने तो देह व्यापार में ढकेली जा रही किशोरियों के खिलाफ राज्य सरकार की मदद से यह अभियान शुरू किया। कोलकाता के अलावा, इस अभियान ने कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, माल्दा, उत्तर 24 परगाना, दक्षिण 24 परगना और मुर्शिदाबाद जैसे जिलों में भी चलाया जा रहा है।
वैसे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों की माने तो पिछले एक दशक में बच्चियों की तस्करी मामले में 14 गुना की वृद्धि हुई है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 में छोटी बच्चियों की तस्करी अपराध में 65 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार भारत में तस्करों का मुख्य निशाना महिलाएं एवं बच्चियां होती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर पिछले एक दशक में 76 फीसदी मानव तस्करी के मामले दर्ज की गई है। पिछसे एक दशक में, मानव तस्करी के अंदर जो दूसरे मामले दर्ज किए हैं उनमें वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की बिक्री, विदेश से लड़कियों का आयात एवं वेश्यावृत्ति के लिए लड़कियों की खरीद शामिल है। वर्ष 2014 में देश भर से कम से कम 8,099 लोगों के सौदे की रिपोर्ट दर्ज की गई है। मानव तस्करी मामले में सबसे पहले स्थान पर 9,701 मामलों के साथ तमिलनाडु है। जबकि 5,861 मामलों के साथ आंध्रप्रदेश दूसरे, 5,443 की संख्या के साथ कर्नाटक तीसरे, 4,190 के साथ पश्चिम बंगाल चौथे एवं 3,628 मामलों के साथ महारष्ट्र पांचवे स्थान पर है। सबसे खास बात तो यह है कि एशिया के सबसे बड़े रेडलाइट इलाको में एक कोलकाता का सोनागाछी है । इस सोनागाछी में हाल ही तक नबालिक लड़कियों की भरमार थी । ऐसे में अगर सोनागाछी से नबालिक लड़कियों को देह के धंधे से हटाने की एक मुहिम चलाई जा रही है तो यह तारीफ के लायक ही नहीं भगीरथ प्रयास भी है। मैने काफी करीब से यहां के जिन्दगी को देखा है और समझा भी है। काफी लिखने का मौका भी मिला है। आजतक ऐसे प्रयास नहीं हुए थें जो किये जा रहें हैं।

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