तो आवश्यक बुद्धि विकास|

जितना दूर समझते हो तुम,

उतना दूर नहीं आकाश|

दृढ़ विश्वास सबल शक्ति हो,

तो पाओगे बिल्कुल पास|

 

अगर नहीं छू पाये तो भी,

मत होना तुम कभी उदास|

सूरज लाखों मील दूर है,

देने आता तुम्हें प्रकाश|

 

ऊँचा रखना शीश हमेशा,

कभी न होना शीघ्र उदास|

तुम पर ही दुनियाँ निर्भर है,

नहीं किसी के तुम हो दास|

 

मंजिल तक जाना पड़ता है,

मंजिल कभी न आती पास|

कर्म करो फल मिलता ही है,

बात समझ पाते सब काश|

 

भले पहिन लो वस्त्र कीमती ,

ढेर ढेर दौलत हो पास ,

अगर चाहते शीघ्र सफलता,

तो आवश्यक बुद्धि विकास|

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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