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‘भक्ति’ की शक्ति से टूटा था सत्ता का अहं : डॉ कृष्णगोपाल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कोई भी व्यवस्था अपने उद्गम स्थल पर कितनी ही अच्छी क्यों न हो, आगे चलकर विकृत होती है, टूटती है और बिखरती है। तब समाज का विचारवंत वर्ग खड़ा होता है और अव्यवस्था, अराजकता, अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करता है। समाज की प्रकृति स्वभावतः परंपरा और जड़ता-प्रिय होती है। यही…