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मरना कठिन है, पर जीवित रहना उससे अधिक कठिन होता है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-प्रो. गंगानन्द झा- मूल्य-बोध धारण किए रहने वालों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती रहती है, इसलिए उनका जीना और भी अधिक कठिन हो जाया करता है। हमारे पिता के जीवन में कठिनाइयों का अभाव कभी भी नहीं रहा ; मरना भी सहज और यन्त्रणा-रहित नहीं रहा । कठिनाइयाँ तो…