चीन में डिजिटल गांधी और डिजिटल पुलिस की जंग

इंटरनेट के सामयिक युग में डिजिटल अवज्ञा सबसे बड़ा प्रतिवाद है। यह सरकार के खिलाफ प्रतिवाद का गांधीवादी तरीका है। डिजिटल अवज्ञा का नया पहाड़ा चीन की जनता रच रही है। वहां साधारण जनता ने चीनी प्रशासन के स्वतंत्रता विरोधी इंटरनेट कानूनों का प्रतिवाद करने के लिए महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन का सहारा लेते हुए डिजिटल अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की है। यह आंदोलन आम जनता में तेजी से जनप्रिय होता जा रहा है। इसके चलते चीन में डिजिटल पुलिस और डिजिटल गांधी आमने-सामने आ गए हैं। गांधी का डिजिटल गांधी में रुपान्तरण इंटरनेट युग की प्रतिवादी संस्कृति का अनूठा और श्रेष्ठतम प्रयोग है।

चीन में साधारण नागरिक सरकार के द्वारा जारी डिजिटल सेंसरशिप के नियमों की अवज्ञा कर रहे हैं। चीन प्रशासन ने मानवाधिकार विरोधी नजरिए के कारण कुछ बेवसाइट के सर्च को ही बाधित कर दिया है, सेंसरशिप लगा दी है।

लेकिन चीन के प्रतिभाशाली नागरिकों ने डिजिटल अवज्ञा आंदोलन का सहारा लेकर चीन प्रशासन की डिजिटल सेंसरशिप को धराशायी कर दिया है,इन दिनों डिजिटल यूजर खुले आम डिजिटल सेंसरशिप का उल्लंघन कर रहे हैं और अनेक प्रतिबंधित बेवसाइट का आनंद ले रहे हैं।

अभी डिजिटल अवज्ञा के उपकरणों का इस्तेमाल करने वालों की संख्या कम है लेकिन धीरे-धीरे इस संख्या में इजाफा हो रहा है। क्योंकि डिजिटल टूल्स या उपकरणों का चोरीछिपे इस्तेमाल आम बात है और इसका उपयोग रोकना असंभव है। मसलन, यू ट्यूब, ट्विटर, फेसबुक, पोर्न आदि पर लगी पाबंदी के खिलाफ यूजर सक्रिय हो गए हैं। वे धड़ाधड़ इनके ऊपर लगी पाबंदी को तोड़ रहे हैं।

डिजिटल अवज्ञा आंदोलन में लगे यूजर प्रतिदिन उठकर अपने कम्प्यूटर को चीन के बाहर किसी कम्प्यूटर से जोड़ते हैं। और यह काम वे किसी प्रॉक्सी सरवर के जरिए करते हैं। प्रॉक्सी सरवर का इस्तेमाल करने के लिए प्रतिमाह 2 डॉलर देना होता है, हो सकता है चीन में डिजिटल अवज्ञा की राजनीतिक जरुरत के चलते प्रॉक्सी सरवर की सेवाएं कुछ समय बाद मुफ्त में मिलने लगें। प्रॉक्सी सरवर के जरिए एक कनेक्शन के भाड़े में 25 यूजरों को यह सेवा मिल रही है। ज्यादातर डिजिटल अवज्ञाकारी उन विषयों पर ज्यादा लिख रहे हैं जिन पर पाबंदी है। उन सूचनाओं का नेट के जरिए ज्यादा प्रचार कर रहे हैं जिन पर राजनीतिक प्रतिबंध लगा है।

डिजिटल अवज्ञा टूल्स को पाने की ब्लॉगरों,छात्रों,मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और बहुराष्ट्रीय निगमों के कार्यकर्ताओं में होड़ मची है। डिजिटल अवज्ञा आंदोलन चीन सरकार की अब तक की सबसे बड़ी राजनीतिक पराजय है। डिजिटल अवज्ञाकारी जगह-जगह कॉफ्रेंस, गोष्ठियां आदि कर रहे हैं और साधारण लोगों को जाग्रत कर रहे हैं कि प्रॉक्सी सरवर का कैसे इस्तेमाल करें, डिजिटल प्रतिबंधों का कैसे उल्लंघन करें।

दूसरी ओर सरकार ने भी हमले तेज कर दिए हैं। उन चैनलों और सरवरों को खासकर निशाना बनाया जा रहा है जिनका लोग डिजिटल उल्लंघन के लिए सहारा ले रहे हैं। ये नए युग के डिजिटल गांधी हैं।

मजेदार बात यह है कि चीन के डिजिटल सिपाही जितने जल्दी हमले करते हैं, डिजिटल गांधी उतनी ही जल्दी नया तरीका, नया चैनल, नया डिजिटल मार्ग खोज निकालते हैं और साधारण जनता को उतनी तीव्रता के साथ संप्रेषित कर देते हैं।

जिन संचार कंपनियों का मुफ्त में चीन के नागरिक इस्तेमाल कर रहे हैं उनमें प्रमुख हैं AnchorFree कैलीफोर्निया से संचालित है और अपनी मुफ्त सेवाओ के कारण इसने विज्ञापनों के जरिए अच्छा खासा मुनाफा कमा चुकी है।

हाल ही में चीन में इस कंपनी की मुफ्त सरवर सेवाओं पर चीन सरकार ने पाबंदी लगा दी,लेकिन अमेरिका में कई संचार कंपनियां हैं जो चीन के अधिनायकवादी शासन और डिजिटल सेंसरशिप को नापसंद करती हैं।

ऐसी ही संस्थाओ में से एक है-ग्लोबल इंटरनेट फ्रीडम। यह संस्था वे सभी टूल्स मुफ्त में मुहैय्या करा रही है जो चीन सरकार की सेंसरशिप के जाल को तोड़ सकते हैं। यह संस्था सारी दुनिया में इंटरनेट की आजादी के लिए संघर्ष का विश्वव्यापी मंच है।

इस संस्था का निर्माण फेलुनगंग नामक संस्था ने किया है, यह चीन का एक धार्मिक सम्प्रदाय है, इस सम्प्रदाय के अमेरिका निवासी नागरिकों के द्वारा इंटरनेट आजादी आंदोलन चलाया जा रहा है। इस तरह की इंटरनेट संस्थाओं को अमरीकी प्रशासन की ओर खुली आर्थिक मदद भी दी जा रही है।

सन् 2008 में नेट टूल्स की खरीद के लिए इस संस्था को 50 मिलियन डॉलर की मदद अमेरिकी प्रशासन की ओर से दी गयी। इन उपकरणों का इस्तेमाल इंटरनेट आजादी को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। अमेरिका में समस्या यह आ रही है कि वहां की फेडरल सरकारें इस तरह के ग्रुपों की मदद करने में आनाकानी कर रही हैं। फेडरल सरकारें नहीं चाहतीं कि चीन की सरकार से उनके संबंध खराब बनें। इस तरह की नौकरशाहाना दिक्कतों के बावजूद चीन में इंटरनेट आजादी के लिए संघर्ष आगे बढ़ रहा है। उत्तरी कैलीफोर्निया स्थित प्रोग्रामर बिल झिया, जिसने इंटरनेट आजादी के अनेक उपकरण जैसे Dyna Web , Free Gate बनाए हैं, का कहना है कि इंटरनेट की प्रकृति के कारण इंटरनेट आजादी आंदोलन को चीन में आगे बढ़ाने में मदद मिली है।

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here