डिजिटल इंडिया को लेकर सरकार गंभीर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी महत्वकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया को साकार करने के लिए सिलिकाँन वैली में तकनीक क्षेत्र की सभी दिग्गज कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात की.प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल इंडिया के उद्दश्यों व लक्ष्यों के बारें इन सभी को बताया.तकनीक जगत सभी शीर्षस्थ कंपनियां मसलन गूगल,माइक्रोसॉफ्ट तथा एप्पल के सीईओ ने भारत सरकार की इस योजना का स्वागत करते हुए, भारत में निवेश को लेकर अपने –अपने प्लानों के दुनिया के सामने रखतें हुए भारत को भविष्य की महाशक्ति बताया है. इन सभी कंपनियों को बखूबी मालूम है कि भारत आज सभी क्षेत्रों  नए- नए आयाम गढ़ रहा है. इसको ध्यान में रखतें हुए गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने भारत के 500 रेलवे स्टेशनों को वाई -फाई से लैस करवाने के साथ 8 भारतीय भाषाओं में इंटरनेट की सुविधा देने की घोषणा की तो वहीँ माइक्रोसॉफ्ट ने भी भारत में जल्द ही पांच लाख गावों को कम लागत में ब्रोडबैंड तकनीकी पहुँचाने की बात कही है.इस प्रकार सभी कंपनियों के सीईओ ने भारत को डिजिटल बनाने के लिए हर संभव मदद के साथ इस अभियान के लिए प्रधानमंत्री मोदी से कंधा से कंधा मिलाकर चलने की बात कर रहें है. वहीँ दूसरी तरफ  विश्व की सबसे बड़ी सोशल साइट्स फसबुक के सीईओ मार्क जुकरवर्ग ने तो प्रधानमंत्री के इस योजना के लिए एक विशेष प्रकार की फोटो को सबके सामने प्रस्तुत किया जो भारत के तिरंगे के जैसी है ,जैसे ही मार्क ने इसको अपने फेसबुक वाल पर लगाया, कुछ ही समय बाद ऐसा लग रहा था ,मानों आज कोई राष्ट्रीय पर्व है.हर तरफ तिरंगा की रंग के फोटो से फेसबुक सराबोर हो गया.फेसबुक के इस प्रयोग से डिजिटल इंडिया कहीं न कहीं जन –जन तक पहुंचा और लोगो ने इसके प्रति सकारात्मक रवैया अख्तियार किया.इन कंपनियों के द्वारा किये गये घोषणा से कुछ बडा बदलाव देखने को मिल सकता है.उल्लेखनीय है कि गूगल ने 500 रेलवे स्टेशनों को फ्री में वाई –फाई की सुविधा देने की बात की है. इस पर सरकार को भी इसके सदुपयोग के लिए एक मैप तैयार करना चाहिएं जिससे इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ यात्रियों को मिल सकें. इसके लिए सरकार को चाहिएं कि रेलवे के साधारण टिकट की ऑनलाइन बिक्री शुरू कर दे, जिससे यात्रियों को लंबें समय तक कतार में खड़े रहने की समस्या से निजात मिल सकेगा तथा समय की बचत होगी.इस प्रकार कई छोटी –छोटी खामियां रेलवें के अंदर है, अगर सरकार इस पर गौर करें तो इंटरनेट के माध्यम से जोड़कर इसका निवारण आसानी से कर सकती है.इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट का योगदान भारत के ग्रामीण जीवन में कई  प्रकार के बदलाव ला सकता है. 5 लाख गावं को ई –गावं बनाने की माइक्रोसॉफ्ट की योजना ग्रामीणों के लिए नई दिशा एवं दशा प्रदान कर सकती है.ये हकीकत है कि, आज भी गावों में इंटरनेट की व्यवस्था नदारद है.अगर किसी क्षेत्र में इंटरनेट है भी, तो उसकी गति काफी कम है तथा अपेक्षाकृत  महंगा भी, लेकिन फिर भी कुछ लोग इसी के इस्तेमाल से अपनी उपस्थिति इंटरनेट पर दर्ज करा रहें है.माइक्रोसॉफ्ट वाई-फाई के माध्यम से गावों में इंटरनेट उपलब्ध कराती है तो इससे अनेकानेक लाभ है मसलन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की कोई  योजना समय पर नहीं पहुँचती,ऐसे वक्त में माइक्रोसॉफ्ट की ये पहल वाकई काबिलेतारीफ़ है.इस योजना की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि लोग इंटरनेट का इस्तेमाल किस लिए कर रहें. इसका प्रबंध सरकार को करना चाहिएं इसके लिए तमाम प्रकार के विकल्प हमारे सामने नजर आतें है.मसलन सरकार को गावों में  ई –लाइब्रेरी बनाने की बात पर बल देना चाहिएं.जिससे ग्रामीण क्षेत्र के युवा, जो  महंगी किताबें पैसों के आभाव में नहीं खरीद पातें, वों आसानी से ई-लाइब्रेरी के  माध्यम से अपनी मन चाहीं पुस्तक पढ़ सकेंगे.इसके साथ ही बैंको को इंटरनेट से जोड़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ बदलाव के आसार नजर आतें है.अगर सरकार भविष्य में ऐसा करने की योजना बनाती है, तो केंद्र सरकार के लिए यह बड़ी उपलब्धी होगी.भारत सरकार के इस अभियान का सीधा मकसद नागरिकों को तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनाने की है.सरकार ने भी 2017 तक 2.5 लाख गावों तक ब्राडबैंड इंटरनेट उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है.डिजिटल इंडिया के संबंध में अनेक चुनौतियाँ है.पहला साक्षरता की कमी .भारत की 68 प्रतिशत आबादी गावों में रहती है.ग्रामीण इलाके के लोग शिक्षा के मामलें में काफी पीछे है. गावं,कस्बो में आज भी कम्प्यूटर की भारी मात्रा में कमी है, जिसका मुख्य कारण अशिक्षा है, हमारे ग्रामीण क्षेत्र में आज भी 37 फीसदी लोग पढ़े लिखें नहीं है. जिनके लिए डिजिटल इंडिया का कोई मतलब नहीं होता.सरकारी आकड़ो के मुताबिक देश के ग्रामीण इलाकों में रह रहें 88.4 करोड़ लोगो में से 37 फीसदी लोग अशिक्षित है.इसके साथ आज भी हमारे देश का एक बड़ा तबका इंटरनेट से दूर है आकड़ो की माने तो लगभग लगभग 90 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करतें जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने डिजिटल साक्षरता अभियान की शुरुआत की है.जिसके तहत सरकार लोगों को आईटी साक्षर बनानें,कम्प्यूटर एव डिजिटल उपकरण चलाने, ईमेल भेजने और उसे ग्रहण करने तथा इंटरनेट आदि का प्रशिक्षण लोगों को दिया जा रहा है .दूसरी बड़ी चुनौती हमारे देश में नेटवर्किंग की है.आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग नेट्वर्क के लिए अपने छतों आदि पर जाते है, नेटवर्किंग के क्षेत्र में भारत 115वें स्थान पर है किंतु इन सब सुविधाओं के आभाव में हम सम्भावनाओं  को दरकिनार नहीं कर सकतें.जिस प्रकार से प्रधानमंत्री इस योजना के सही  क्रियान्वयन के लिए तकनीक जगत की हस्तियों से मिलकर इन सभी समस्याओं का निदान ढूढ़ रहें इससे यही प्रतीत होता है कि सरकार डिजिटल इंडिया के प्रति काफी गंभीर है. मोदी जानतें है कि अगर योजना सफल हुई तो गावों में सरकार आसानी से पहुँच पाएगी तथा जनता भी सीधे तौर पर सरकार की योजनाओं का लाभ ले सकेंगी.डिजिटल इंडिया के जरिये अगर सरकार  गावों को इंटरनेट से जोड़ देती है तो दुनिया हमारे तरफ ध्यान देने को मजबूर हो जाएगी तथा भारत और मजबूत शक्ति के रूप में विश्व के सामने उभरेगा.

 

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