नहीं है रीढ़ की हड्डी

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मृतकों का पश्चात्ताप , दे रहा जिन्दों को दस्तक

दिल्ली हुई नेतृत्व विहीन , झुका राष्ट्र का मस्तक.

है पड़ोसी मुल्क से आ रही ड्रैगन की फुंफकार

कहाँ गये वो रक्षक अपने , क्यों गिरी उनकी तलवार ?

ड्रैगन की फुंफकार तो फ़िर भी कुछ हद तक जायज है

पर बांग्लादेश भी चिल्लाता , जो खुद औलाद नाजायज है !

सबका कारण एक ,नहीं है रीढ़ की हड्डी

वरना भारत नहीं किसी से कभी फिसड्डी .

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