खिलवाते कुत्तों को बिस्किट, लाखों भूखे सो जाते हैं |
जनता के पैसे से नेता, जीवन भर मौज उड़ाते हैं |
भारत में भूखे-नंगों को, दे नहीं पा रहे पानी तक ,
पाकिस्तानी जल प्लावन में, लाखों डालर दे आते हैं |
घर अपना सिंगल कमरे का,सूनी आँखों का सपना है,
मंत्री जी पच्चिस लाख मगर,पर्दों पर खर्च कराते हैं |
रोटी के टुकड़े को बचपन,जब तरस रहा है भारत में,
ये मुफ्तखोर `निर्धन नेता`,लाखों वेतन बढ़वाते हैं |
बिक रही अस्मतें कौड़ी में, ये खुद क्रेता-विक्रेता हैं ,
कमरे से बाहर आते ही, ये ‘गंगाजल’ हो जाते हैं |
रखते हम चौकीदारी को, ये घर में लेते सेंध लगा ,
अरबों डकार लेते रिश्वत, स्विसबैंक जमा कर आते हैं |
होते हैं जब हम खड़े कभी, अब शठे-शाठ्यम कर देंगे,
ये पीछे सी.बी.आई.लगा, ‘भगवा’ कहने लग जाते हैं |
करो सुरक्षा `राज` स्वयं, मरती जनता तो मरने दो,
नक्सल, आतंकी छोड़ खुले, खुद बुलेट प्रूफ में जाते हैं |
सत्य बयां कर दिया आपने.पाकिस्तान को तो सहायता करनी पड़ती है,क्योंकि वह हमारे ही पैसे से हमारे लिए आतंकवादी तैयार करता है.पिछली बार जब सरकार ने सहायता भेजी थी तब आतंकवादी गुटों ने इस पैसे को आपदा प्रबंध में काम लेने के लिए अपनी सरकार को मन कर उन गुटों को सोंपने की मांग की थी,और आतंकवादी तैयार करने का स्टेटमेंट दिया था.अब फिलहाल देवभूमी में तो वे तैयार होंगें नहीं ,इसलिए नाम की सहायता दे बातों से कमी पूरी कर रहें हैं.