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गाली मत देना   - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
संजय चाणक्य ‘‘राजनीति घर-घर घुसी,कर डाला विखराव। टुकड़ों में आगंन बटा, किए दिलों में घांव।।’’ आप सबसे माफी का तलबगार हू। सोचता हू अपने कटु शब्दों से आपके दिल पर चोट नही पहुंचाए। पर क्या करे, मन-मस्तिष्क में तैर रहे शब्द को रोक नही पाता हू और दिल की भड़ास…