-सुधीर तालियान-
देश की जनता जब उत्तर प्रदेश के कुम्भ मेले में आस्था के समंदर में डुबकी लगा रही थी तब अखिलेश सरकार भ्रष्टाचार के गणित को दुरुस्त करने में लगी हुई थी। हाल ही में कैग ने अपनी रिपोर्ट में जो तथ्य उजागर किये वो बहुत ही चौंकाने वाले है। कैग ने बताया है किस तरह उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री जो मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष भी थे, ने पूरी योजना बना कर केंद्र सरकार के पैसे का दुरूपयोग किया। नियम के अनुसार मेले के आयोजन पर होने वाले कुल खर्च का 70 % राज्य सरकार को वहन करना था और 30 % केंद्र सरकार के हिस्से था। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने केवल 10 करोड़ रुपये खर्च किये हैं और केंद्र सरकार के 1141.63 करोड़ खर्च हुए हैं। राज्य सरकार ने अपने खर्चे भी केंद्र के पैसे से ही पूरे किये हैं। मेला आरम्भ होने तक 59 % निर्माण कार्य अधूरे थे और 19 % आपूर्ति कार्य भी पूरे नहीं हुए थे। आयोजन समिति ने आठ करोड़ से अधिक लागत के दो घाट का निर्माण कराया जो मेले से सम्बंधित ही नहीं थे। 111 कर्यों में से81 के लिए कोई तकनीकी स्वीकृति नहीं ली गयी। 9 करोड़ से अधिक लागत का सामान ख़रीदा गया जो गैरजरूरी था। 23 ठेकेदारों को 4.65 करोड़ रुपये अग्रिम भुगतान किया गया। इन भ्रष्ट तत्वों की कारगुजारी यहीं समाप्त नहीं होती। ये लोग दो ट्रेक्टर को एक ही समय पर दो अलग -अलग जगह कार्यरत दिखा रहे हैं। 30 मजदूर एक ही समय पर दो अलग -अलग स्थानों पर कार्य करे हुए दिखाए गए हैं। उन्हें भुगतान भी दोनों जगह के कार्य के आधार पर ही किया गया है। ट्रेक्टर आपूर्ति के अनुबंध में सभी टैक्स शामिल होने के बावजूद भी दो ठेकेदारों को टैक्स के नाम पर 1.30 लाख और 3.09 लाख रूपये का भुगतान किया गया है। सड़क चौड़ीकरण के लिए 57.41 करोड़ व मरम्मत के लिए 46.88 करोड़ का भुगतान बिना कार्य परीक्षण के ही कर दिया गया।
कुम्भ मेला तो भ्रष्टाचार के समंदर में गिरने वाली एक छोटी सी धारा है। ये तो एक बानगी भर है। अन्य राज्य सरकारे भी इस गंदे खेल में लिप्त है। केंद्र सरकार भी राज्यों के साथ धोखाधड़ी करने में पीछे नहीं है। अपने संकीर्ण स्वार्थों की पूर्ति के लिए ये पार्टियाँ कितनी गिर सकती है, इसका कोई पैमाना नहीं है। ये सरकारें चोर चोर मोसेरे भाई की कहावत अक्षरशः सच साबित कर रही है। अभी तक जनता नेता और प्रशासनिक तंत्र के गठजोड़ से होने वाले भ्रष्टाचार से त्रस्त थी अब ये भ्रष्टाचार का नया फैशन चला है। कुत्ता कुत्ते का दुश्मन होता है यह तो सुना था लेकिन देश हित को भुला कर एक सरकार दूसरे सरकार को लूट रही है ये तो देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा।
सरकार कोई वस्तु नहीं होती यह तो जनता की आस्था के सहारे पर टिका एक कृत्रिम आकाश होता है, जो लोगों को उनकी सुरक्षा और संरक्षा का विश्वास दिलाता है। सरकार देश में जीवन का संचार करने का साधन होती है। जिस देश की सरकार यह जीवन धर्म भूल जाती है उस देश का हश्र क्या होता है, ये हमें बताने की आवश्यकता नहीं है, इतिहास ने उसे प्रमाणित किया है।
भ्रस्टाचार का आदर्श ले कर जो दल सत्ता में आया हो , उससे अन्य कोई अपेक्षा गलत है व उसके खिलाफ चीखना चिल्लाना भी व्यर्थ है इन्हें तो अब शिरोधार्य कर सहन करना ही होगा