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अर्थव्यवस्थाः बज चुकी खतरे की घंटी ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रमोद भार्गव विकास और आर्थिक सुधार के जिस नव उदारवादी पश्चिमी दर्शन का महिमामंडन करने से हम अघाया नहीं करते थे, आज उसने हमें संकटो के ऐसे भंवर में डाल दिया है, जिससे पार पाना मनमोहन सिंह सरकार के लिए एकदम नामुमकिन है। दरअसल सरकार बढ़ती मंहगाई को रोकने के…