pravakta.com
एक तेज, ओढ तन आया था| - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. मधुसूदन एक तेज, ओढ तन आया था- पथ आलोकित कर चला गया॥ धृ॥ नहीं चमक दमक; नहीं तडक भडक। पर ब्रह्म तेज की, सौम्य झलक॥ नहीं दाम याचना, नाम चाहना,। अहम्, दंभ; आडम्बर हीना॥ सरल निर्मल, तिलक तिल तिल। जीवन देकर चला गया ॥ एक तेज ओढ.......॥१॥ तरूवर सभीपर,…