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चुनाव विश्लेषण : तथ्य जो नज़रअंदाज किये गए - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अभी -अभी हमारे गणतंत्र या लोकतंत्र अथवा प्रजातंत्र जो भी कहें , क्योंकि वो बस कहने भर को हमारा है बाद बाकि इसकी आत्मा अर्थात संविधान तो आयातित ही है ना , का कुम्भ समाप्त हुआ है । वैसे तो यह कुम्भ मेला कम अखाडा ज्यादा लगता है पर अखाड़े…