अंग्रेजी मानसिकता सरकार का अधिकार है

काग्रेंस ने हमे आजादी दिलायी थी इस बात पर मै गर्व करता था ।पर ४-५ जून कि रात को सरकार और काग्रेंस ने जो कू कर्म किया वह तो अग्रेजो से भी दो कदम आगे है।सरकार के इस कदम को देख कर लगता आजादी हमे केवल गोरे अग्रेजो से मिली है अभी काले अंग्रेज(अंग्रेजी मानसिकता वाले लोग) से आजादी मिलनी बाकी है। क्योंकि जिस तरह से बाबा और उनके अनुयायियों के साथ व्यवहार किया गया,उससे यही सबित होता है। मै नहीं कहता बाबा कोई माहापुरूष है,बाबा इस देश के कर्ण धार है ।पर बाबा जिस बात को लेकर के आन्दोलन कर रहे थे उनकी जो मांगे थी वह जायज थी उनको मानने मे सरकार कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिये थी।क्योकि वह पूरे देश कि समस्या है। उसके अलावा उनका आन्दोलन पूर्णतः शान्ति पूर्ण था तो उस पर लाठी चलवाने का आदेश देना संविधान और मानवता कि दृष्टिकोण से घोर अपराध है।

सरकार सायद यह भूल जाती है कि देश काग्रेंस के कहने से नही चलता है वह संविधान के प्रावधान के अनुसार चलता है।जब हमे संविधान ने शान्तिपूर्ण सभा करने का अधिकार दिया(अनुच्छॆद-१९-क) है ।तब सरकार ने ऐसा असंवैधानिक कार्य क्यो किया ।क्या बाबा के इस आन्दोल से देश को किसी तरह का खतरा था या देश का सम्प्रदायिक महौल बिगड रहा था। या बाबा के इस आन्दोलन से भारत संघ को खतरा था ।या शान्ति पूर्ण धरना देने वालो से कानून व्यवस्था बिगड रही थी। इस बात का जबाब क्या काग्रेस और सरकार दे सकती है।अगर अपनी जायज माग को लेकर सत्याग्रह करना अपराध है और उस पर लाठी चलवाना सरकार का अधिकार है तो हम यह नही कह सकते कि अंग्रजो जो भी किया वह गलत था क्योकि उन्होने जो किया वह उनका अधिकार था।क्योकि वह उस समय सरकार मे थी।

अगर सरकार  कि नजर बाबा और उनके साथ बैठे लोग अपराधी है तो इस देश के इतिहास का सबसे बडा अपराधी महात्म्मा गाँधी और नेहरूजी थे।जिन्होने देश के लोगो कि जायज माग को लेकर आन्दोलन किया और अंग्रेज सरकार कि नाक में दम कर के हमे आजादी दिलवायी थी।

सरकार अपने इस कार्यवाही को सही ठहाराने का प्रयास कर रही है कि बाबा के साथ समझौता हो गया था तो यह अनशन क्यो हो रहा था या बाबा ने योग शिविर के लिये अनुमति मागी थी अनशन के लिये नहीं। पर उसके बाद भी सरकार कि कार्यवाही वैध नहीं हो सकती है क्योकि किसी भी तरह से आराम से बैठि जनता जिससे कानून व्यवस्था कोई

खतरा नही था रात के अधेरे मे लाठी चलवाना उचित नहीं है। दिन के उजाले मे भी कार्यवाही कि जा सकती थी। उसके अलावा जानता को यह बाता कर के कि बाबा के साथ समझौता हो गया है,सरकार दो-माह तीन माह के अन्दर काले धन पर कानून लायेगी ।इस तरह से सरकार जनता को विश्वास मे ले लेती तो इससे सरकार का कद गिरता नही वरन सरकार का कद उठता हि पर सरकार ने यह मौका गवा दिया है।पर इस तरह कि कार्यवाही यह स्पष्ट होता है कि सरकार के मन मे चोर था जिस कारण से काले धन के सन्दर्भ में बनने वाला कानून भी निस्प्रभावी होता।या कोइ समिति बना कर इस कानून को दस प्रन्दह साल तक टाल या रोक ही लेगी। वरना सरकार इस तरह का बल प्रयोग कभी न करती । अतः सरकार को चाहिये कि काले धन सार्वजनिक कर के उसका राष्र्टीयकरण कर ले तथा भ्रषटाचारियों को कडॆ दन्ड का प्रावधानकरे।

2 COMMENTS

  1. RAJMATA, YUVRAJ JI , MANMOHAN JI KO “BHARAT RATAN” JARUR DENA………..
    YAI APP KE SABHI DREAMS PURE KAR RAHE HAI ……………..

    RAJMATA, ALSO PLEASE MAKE A LAW THAT ANY PEOPLE USED THE हिन्दू-धरम THAN THEY HAVE TO APY EXTRA TO LIVE IN “SONIASTAN”………………?

  2. रामलीला मैदान में दो दिनों से भ्रष्टाचार के खिलाफ इस मुहिम में उमड़े जनसैलाब की भावनावों के साथ जिस तरह पुलिस वालों ने बलात्कार किया उसका उदहारण भारतीय लोकतंत्र को शर्मशार करने के लिए नाकाफी है

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