जिसे मिला वो डट कर खाए,
नहीं किसी ने मौका छोडा.
साधो हर नेता मधु कोडा…….
(१)
मौका पा कर नेता लूटे,
क्या जाने कब कुर्सी छूटे.
राजनीति में अपराधी है.
बहुत बड़ी अब ये व्याधी है.
जनता अब तो जागे थोडा….
साधो हर नेता मधु कोडा…..
(२)
राजनीति अब तो धंधा है,
वेश्या से ज्यादा गन्दा है.
अपराधी औ पैसे वाले,
जीत रहे अब ये ही साले.
कोई पूरा देश खा रहा,
कोई खाए थोडा-थोडा.
साधो हर नेता मधु कोडा..
(३)
स्विस बैंक में देश का माल,
और यहाँ जनता कंगाल?
इन्हें जेल में भेजो जल्दी,
कब छूटे दिल्ली की हल्दी?
जनता बेचारी क्या बोले,
सबने तो इसका दिल तोडा.
साधो हर नेता मधु कोडा..
(४)
रोज़ मर रहे अपने बापू,
कहां हैं तेरे सपने बापू?
नाम तेरा लेते पाखंडी.
आज सियासत बन गयी रंडी.
रजधानी में हत्यारे सब,
लोकतंत्र है या है फोडा?
साधो हर नेता मधु कोडा..
(5)
कितने नाम गिनाएंगे
इक दिन मारे जायेंगे.
कहाँ गए सब अच्छे लोग,
थे त्यागी औ सच्चे लोग.
अच्छो का सबने दिल तोडा.
साधो हर नेता मधु कोडा.. …
(६)
स्विस बैंक से पैसे लाओ,
भारत को खुशहाल बनाओ.
हर दोषी को जेल में डालो,
देश की इज्जत नहीं उछालो.
इन्हें छोड़ दो चौराहे पर,
जनता को दे दो बस कोडा..
साधो हर नेता मधु कोडा……
जिसे मिला वो डट कर खाए,
नहीं किसी ने मौका छोडा.
झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा की जो डरावनी -सी कहानियां सामने आ रही है, उसे पढ़ कर हैरत नहीं हो रही. वरन लोग यही सोच रहे है कि हमारे नेता आखिर इस देश को कब तक इसी तरह खोखला करते रहेंगे? देश में महंगाई बढ़ रही है, इसका कारण राजनीति ही है. वह बेशर्म हो गयी है.. खुदगर्ज़ हो गयी है. लेकिन अब जनता को जागना चाहिए. सही लोगो का चुनाव उसे करना चाहिये. भले ही वह गरीब हो. उसका सामाजिक जीवन देखे और उसे संसद या विधानसभा तक भेजे. पैसे वाले, या बाहुबली या ऐसे ही जन-गन-मन को भरमाने वाले लोग कब तक देश को चूसते रहेंगे. कब तक…? कब गाँधी का भारत आकर लेगा? यह एक बड़ा प्रश्न है. बहरहाल, मधु कोडा जैसे बेनकाब अपराधी चहरे से विचलित हो कर एक व्यंग्य-गीत उमड़ा, वह सबसे पहले प्रवक्ता के ही सुधी पाठको के सामने पेश है.
बिल्कुल सटीक और सामयिक रचना लिखी है।बधाई।
लेकिन इन खाने वालो ने..
हमको कहीं का नही छोड़ा।
चमड़ी इन की इतनी मोटी..
असर नही करता कोई कोड़ा।