फ़िरदौस ख़ान
कुछ लोग जिस क्षेत्र में काम करते हैं, उसमें नित-नए प्रयोग कर इतनी कामयाबी हासिल कर लेते हैं कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन जाते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं, हरियाणा के कैथल ज़िले के चंदाना गांव के निवासी व कैथल के प्रगतिशील किसान क्लब के प्रधान कुशलपाल सिरोही, जिन्होंने खेतीबाड़ी के कार्य में इतनी प्रगति की है कि आज वह कृषि जगत के लिए जाना माना नाम बन गए हैं।
श्री सिरोही ने अपने तीस साल के अनुभव के आधार पर कृषि को स्वावलंबी और बेहतर आमदनी प्रदान करने वाला व्यवसाय बनाने का प्रयास किया। अपनी इस कोशिश में वह काफी हद तक कामयाब भी हुए और इसके लिए उन्हें कई ऐसे पुरस्कार मिले जिन्हें हासिल करना किसी भी किसान का सपना हो सकता है। उन्हें पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल की स्मृति में दिए जाने वाले वर्ष 2001-02 और 2002-03 के राज्यस्तरीय किसान पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 2002 के लिए जगजीवन राम किसान पुरस्कार दिया गया और भारतीय किसान अनुसंधान परिषद ने भी 2002 के लिए चौधरी चरण सिंह कृषक शिरोमणि पुरस्कार से उन्हें नवाजा। इसके अलावा भी उन्हें कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
श्री सिरोही ने बागवानी, कृषि वानिकी, मछली पालन, मधुमक्खी पालन और पशुपालन को अपनाकर एक-दूसरे के ज़रिये लाभ को बढ़ाया। साथ ही डीप इरीगेशन, ऑर्गेनिक फार्मिंग, रोग व कीट नियंत्रण, मृदा संरक्षण, उन्नत कृषि, फ़सल चक्र, ज़ीरो टिलेज, कार्बनिक खाद, उन्नत बीजों का इस्तेमाल, कृषि यंत्रों का बेहतर उपयोग कर उन्होंने सराहनीय कृषि प्रदर्शन किया। उन्हें औषधीय पौधे, गन्ना, सोयाबीन, गुलाब, अमरूद, नींबू व मशरूम के रिकॉर्ड उत्पादन के लिए कई प्रमाण-पत्र मिल चुके हैं। उन्होंने अपने फ़ार्म पर एक बायोगैस संयंत्र, सौर ऊर्जा संयंत्र, पॉली हाउस और ग्रीन हाउस स्थापित किए हैं।
कैथल से करीब दस किलोमीटर दूरी पर स्थित सिरोही फार्म के मालिक कुशलपाल सिरोही बताते हैं कि उनके द्वारा अपनाई गई कृषि तकनीक न केवल परिस्थितियों के लिए अनूकूल है, बल्कि वातावरण के लिए उपयुक्त और कम खर्चीली होने के साथ-साथ किसानों को अतिरिक्त आमदनी देने वाली है। वह जब भी किसी किस्म को उगाने की प्रक्रिया शुरू करते हें तो एक-एक पौधे पर पैनी नजर रखते हैं और विभिन्न किस्मों व पौधों में तुलनात्मक अनुसंधान से पता लगाते हैं कि कहां क्या कमी है तथा कौन-सी किस्म बेहतरीन है।
देश-विदेश के कृषि विशेषज्ञ उनके फार्म का दौरा कर चुके हैं। सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग और नेपाल में कृषि संबंधी कार्यों का तुलनात्मक अध्ययन कर रहे श्री सिरोही ने अपने फार्म पर गुलाब के फूलों का तेल (अर्क) निकालने का एक यंत्र लगाया है। इसके लिए वह विशेष किस्म के फूल भी खुद ही उगाते हैं, जिनसे पहले गुलाब जल बनाया जाता है। फिर उससे तेल बनाया जाता है। वे कहते हैं कि इसके लिए उपकरण उन्होंने उत्तर प्रदेश के कन्नौज शहर से खरीदे हैं। वैसे ये उपकरण दिल्ली और मुंबई में भी मिलते हैं। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में किसानों को जागरूक करने के लिए 12 किसानों के साथ मिलकर 1999 में प्रगतिशील किसान क्लब का गठन किया। वे समय-समय पर बैठकों का आयोजन कर कृषि क्षेत्र में नई संभावनाओं के बारे में विचार-विमर्श करते हैं। साथ ही अपने फार्म पर किसानों को कृषि की नई तकनीकों की जानकारी भी देते हैं। क्लब का दल महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश का दौरा कर वहां के किसानों से मिल चुका है। उनका कहना है कि कृषि का क्षेत्र अत्यधिक गहन क्षेत्र है। यहां निरंतर कुछ न कुछ सीखने को मिलता है और अपेक्षाकृत बेहतर आमदनी का आधार बनता है।
आप के द्वारा किया गया पर्योग वास्तव मे जमींन से जुरे लोगो की जीत है और लोगो के लिए सन्देश है की अपनी परम्परा से जुर ,प्राचीन किरिशी पड़ती से जुर कर ही ज्यादा फसल प्राप्त की जा सकती है .
jamin se jurhe logo ke anubhav hi bharat ko kam aayege es achchhe lekh ke liye dhanyvad