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लुप्त होती राष्ट्रीय पंचांग की पहचान - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रमोद भार्गव कालमान एवं तिथिगण्ना किसी भी देश की ऐतिहासिकता की आधारशीला होती है। किंतु जिस तरह से हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं को विदेशी भाषा अंग्रेजी का वर्चस्व धूमिल कर रहा है,कमोवेश यही हश्र हमारे राष्ट्रीय पंचांग,मसलन कैलेण्डर का भी है। किसी पंचांग की कालगण्ना का…