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'गल्प के रंग' आलोचना पुस्तक का लोकार्पण - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रख्यात आलोचक डॉ0 प्रभाकर श्रोत्रिय ने कहा कि जिस भाषा के पास अच्छे आलोचक नहीं होते उस भाषा का विकास संभव नहीं हो पाता। हिन्दी के पास आलोचना की लम्बी परम्परा रही है। लेकिन आज कुछ लोग यह शिकायत करते हैं कि अच्छी आलोचना और नाटक नहीं लिखे जा रहे।…