नया इंडिया, 9 सितंबर 2015 : पाकिस्तान के सेना-प्रमुख राहील शरीफ ने जवाबी गोला दाग दिया है। हमारे सेना-प्रमुख दलबीरसिंह सुहाग ने पिछले हफ्ते आशंका व्यक्त की थी कि पाकिस्तान के आतंकवादियों के कारण कोई छोटा-मोटा या बड़ा युद्ध कभी भी हो सकता है। पिछले दिनों दोनों तरफ से इस तरह के कई बयान आ गए तो मैंने लिखा था कि युद्ध की ये ढपलियां कहीं नगाड़ों में न बदल जाएं। सचमुच कहीं युद्ध न हो जाए। हालांकि राहील शरीफ ने भारत का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा बिल्कुल साफ-साफ था। इसमें शक नहीं कि उन्होंने जो कहा, वह बिल्कुल सच है। उन्होंने कहा कि यदि दोनों देशों के बीच युद्ध होगा तो पाकिस्तान भारत का भयंकर नुकसान कर देगा। भारत किसी गलतफहमी में न रहे। पाकिस्तान उसके मुकाबले के लिए तैयार है। लेकिन राहील शरीफ को क्या पता नहीं है कि पाकिस्तान का भी उतना ही बल्कि भारत से कहीं ज्यादा नुकसान होगा। क्या युद्ध की स्थिति में भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा रहेगा? नुकसान तो दोनों का ही होगा।
तो इसका हल क्या है? मेरी नजर में तो यही हल है कि पाकिस्तानी फौज उन आतंकवादियों को काबू में करे, जो भारत के खिलाफ सक्रिय हैं। वह चाहे तो भारतीय फौजों के साथ सहयोग भी करे। यदि भारत को यह भरोसा हो जाए कि आतंकवाद को खत्म करने में पाकिस्तान हमारे साथ है तो फिर युद्ध का सवाल ही नहीं उठता। कश्मीर पर तो बात हो सकती है। संयुक्तराष्ट्र का प्रस्ताव तो रद्दी की टोकरी में जा चुका है। उसे बंदरिया के मरे हुए बच्चे की तरह चिपकाए रखने का कोई फायदा नहीं है। अब भारत के एक मंत्री ने यह मांग भी रख दी है कि ‘आजाद कश्मीर’ को लौटा लाना ही एक मात्र मुद्दा है।
हमारी दोनों सरकारों की मजबूरियां हैं। दोनों को अपनी-अपनी मूंछे अपनी जनता के सामने ऊंची रखनी हैं। इसीलिए, इस तरह के भड़काऊ बयान आते रहते हैं लेकिन दोनों देशों के प्रधानमंत्री क्या कर रहे हैं? वे अपने साथियों और फौजियों को मर्यादा में रहने के लिए क्यों नहीं कह रहे हैं? आतंकवादियों के प्रति नरम रवैया अपनाकर पाकिस्तान की फौज और सरकार सारी दुनिया में बदनाम हो रही हैं और उनका अपना देश बर्बाद हो रहा है। पाकिस्तान अपने आपसे युद्ध लड़ रहा है। वह अपने आपको मिटाने पर आमादा है।