खुशियों के कुछ पलों के लिए

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बलबीर राणा “भैजी”

खुशियों के कुछ पलों के लिए

घोंसले में चहकता है पंछी

पंखो के बाहुपाश में समेटता

चमन को ।

चोंच टकराता

घरोंदे के ओर- छोर,

उमंग ढूंढता

जीतना चाहता अपने मौन को ।

मस्तमंगल धुन में,

संसार के पराभव को गाना चाहता

खुशी की व्यंजना में

प्रेम का शब्दावरण

पहनाना चाहता।

क्रूर बाज के तीक्ष्ण निगाहों से

घरोंदे को बचाना चाहता

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