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भूल गया हूँ गाॉवं को, - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
भूल गया हूँ गाॉवं को, बड़े शहर की चकाचोंध में, रखकर अपने पॉवं को , शायद अब कुछ याद नहीं , भूल गया हूँ गाॉवं को, ए.सी. की हेर शीतलहर में पेड़ घाना कहाँ दीखता हैं , ज्वर, बाजार ,मक्का नहीं यंहा बर्गर- पिज्जा बिकता हैं , मिटटी के…