जनसंघ के संस्थापक बलराज मधोक का निधन

balrajmadhokनई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वयोवृद्ध कार्यकर्ता एवं भारतीय जनता संघ (बीजेएस) के पूर्व अध्यक्ष बलराज मधोक का यहां सोमवार को निधन हो गया। आरएसएस के एक अधिकारी ने बताया कि मधोक (96) ने सोमवार सुबह करीब नौ बजे मध्य दिल्ली के न्यू राजेंद्र नगर इलाके में स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह पिछले कई दिनों से बीमार थे। मधोक का जन्म 25 फरवरी, 1920 को जम्मू एवं कश्मीर के स्कर्दू क्षेत्र (अब पाकिस्तान के गिलगित बल्तिस्तान प्रदेश में) हुआ था। उन्होंने 1951 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की स्थापना की। वह 1961 में लोकसभा के लिए भी निर्वाचित किए गए थे।
केंद्रीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी व पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन ने ट्विटर पर लिखा कि बलराज मधोक आज स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गए। भारत ने एक महान चिंतक, समाज सुधारक व बुद्धिजीवी खो दिया। उनकी आत्मा को शांति मिले। आरएसएस के एक अधिकारी ने कहा कि उनका अंतिम संस्कार शाम पांच बजे सत्य नगर श्मशान घाट में किया जाएगा। जनसंघ के संस्थापक और श्रद्धेय नेता श्री बलराज मधोक का निधन अपूरणीय क्षति है। उनके आदर्श आलोकित करते रहेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।
प्रोफेसर बलराज मधोक (25 फ़रवरी १९२० -02.05.2016 ) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, जम्मू-कश्मीर प्रजा परिषद के संस्थापक और मन्त्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदके संस्थापक, भारतीय जन संघ के एक संस्थापक और अध्यक्ष थे । वे उन्नीस सौ साठ के दशक के वरिष्ट राजनेता हैं। वे संसद (लोकसभा) के दो बार सदस्य रह चुके हैं। वे गणमान्य शिक्षाविद, विचारक, इतिहासवेत्ता, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक भी थे । उनका जन्म २५ फ़रवरी १९२० को जम्मू एवं काश्मीर राज्य के अस्कार्डू (Askardu) में हुआ था। उनकी उच्च सिक्षा लाहौर विश्वविद्यालय में हुई। १८ वर्ष की आयु में अपने छात्रजीवन में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये। सन १९४२ में भारतीय सेना में सेवा (कमीशन) का प्रस्ताव ठुकराते हुए उन्होने आर एस एस के प्रचारक के रूप में देश की सेवा करने का व्रत लिया।
फरवरी, 1973 में कानपुर में जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सामने एक नोट पेश किया। उस नोट में मधोक ने आर्थिक नीति, बैंकों के राष्ट्रीयकरण पर जनसंघ की विचारधारा के उलट बातें कही थीं। इसके अलावा मधोक ने कहा था कि जनसंघ पर आरएसएस का असर बढ़ता जा रहा है। मधोक ने संगठन मंत्रियों को हटाकर जनसंघ की कार्यप्रणाली को ज्यादा लोकतांत्रिक बनाने की मांग भी उठाई थी। लालकृष्ण आडवाणी उस समय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। वे मधोक की इन बातों से इतने नाराज हो गए कि आडवाणी ने मधोक को पार्टी का अनुशासन तोड़ने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से उन्हें तीन साल के लिये पार्टी से बाहर कर दिया गया। इस घटना से बलराज मधोक इतने आहत हुए थे कि फिर कभी नहीं लौटे।
मधोक जनसंघ के जनता पार्टी में विलय के खिलाफ थे। 1979 में उन्होंने ‘भारतीय जनसंघ’ को जनता पार्टी से अलग कर लिया। उन्होंने अपनी पार्टी को बढ़ाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई।
मधोक द्वारा रचित पुस्तकेंश्री बलराज मधोक ने सन १९४७ लिखना आरम्भ करके ३० से अधिक पुस्तकें लिखी है। इनमें से प्रमुख हैं:
• विभाजित भारत में मुस्लिम समस्या का पुनरोदय
• कश्मीर : जीत में हार
• खण्डित कश्मीर
• जीत या हार
• डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी – एक जीवनी
• कश्मीर : सेंटर ऑफ़ न्यू अलाइन्मेंट्स
• पाकिस्तान : आदि और अन्त
• Hindustan on the Cross Roads
• Portrait of a Martyr (Biography of Shyama Prasad Mukerjee),
• Kashmir: The Storm Center of The World,
• Bungling in Kashmir,
• Kargil and Indo-Pak Relations,
• Rationale of Hindu State, etc.
जनसंघ के संस्थापक और श्रद्धेय नेता श्री बलराज मधोक का निधन अपूरणीय क्षति है। उनके आदर्श आलोकित करते रहेंगे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।
डा. राधेश्याम द्विवेदी,

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