ईश्वर का अंश लिए आँखें चिड़िया की - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
शहर से बड़ी दूर ढलती शाम में सचमुच ही कोलाहल जहां हो गया था निराकार और निर्विकार कहीं दूर दूर होती ध्वनियों पर बैठ जाया करती थी जहां एक चिड़िया चिड़िया के पंखों पर लटक जाते थे शब्द वे शब्द खो देते थे अपने अर्थों को और हो जाते थे…