फिल्मों से राजनीतिक सफर तय करने वाली “पुरातची तलाइवी’ अब नहीं रहीं….

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jayalalithaअनिल अनूप
जयललिता जयराम (जिन्हें जे. जयललिता के नाम से जाना जाता है) तमिलनाडु राज्य की मुख्यमंत्री थींl राजनीति में आने से पहले वे एक लोकप्रिय अभिनेत्री थीं और उन्होंने तमिल, तेलुगू, कन्नड की फिल्मों के अलावा एक हिंदी फिल्म में भी काम किया है।
वे ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कजगम (एआईएडीएमके) की वर्तमान महासचिव थींl उनके समर्थक उन्हें अम्मा (मां) और कभी कभी पुरातची तलाईवी (‘क्रांतिकारी नेता’) कहकर बुलाते हैं।
हालांकि इस बात के दावे किए जाते रहे हैं कि एमजी रामचंद्रन ने उन्हें राजनीति से परिचित कराया था, लेकिन जयललिता इन दावों को कभी नहीं मानीं। 1984-1989 के दौरान जयललिता ने तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व किया। पर रामचंद्रन की मौत के बाद उन्होंने खुद को रामचंद्रन की राजनीतिक विरासत का वारिस घोषित कर दिया। वे राज्य की दूसरी महिला मुख्यमंत्री थीं।
जयललिता का जन्म एक ‍तमिल परिवार में 24 फरवरी, 1948 में हुआ था और वे पुरानी मैसूर स्टेट (जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है) के मांडया जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई थीं। उनके दादा तत्कालीन मैसूर राज्य में एक सर्जन थे और उनके परिवार के बहुत से लोगों के नाम के साथ जय (विजेता) का उपसर्ग लगाया जाता है जो कि परिवार का मैसूर के महाराजा जयचामराज वाडियार के साथ संबंध को दर्शाता है।
जयललिता के पिता का तब निधन हो गया था जब वे केवल दो वर्ष की थीं। उनकी मां जयललिता को साथ लेकर बेंगलुरू चली गई थीं जहां उनके माता-पिता रहते थे। बाद में उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया और अपना फिल्मी नाम संध्या रख लिया।
जया ने पहले बेंगलुरू और बाद में चेन्नई में अपनी शिक्षा प्राप्त की। चेन्नई के स्टेला मारिस कॉलेज में पढ़ने की बजाय उन्होंने सरकारी वजीफे से आगे पढ़ाई की। जब वे स्कूल में ही पढ़ रही थीं तब उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने को राजी किया।तभी उन्होंने ‘एपिसल’ नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया।
15 वर्ष की आयु में कन्नड फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी थीं। इसके बाद वे तमिल फिल्मों में काम करने लगीं। वे पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर भूमिका निभाई थी। 1965 से 1972 के दौर में उन्होंने अधिकतर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की।
जब उन्होंने शिवाजी गणेशन के साथ फिल्में कीं तो उन्हें बहुत सारे पुरस्कार मिले और उनकी ख्याति फैली। बॉलीवुड की एक फिल्म में उन्होंने धर्मेन्द्र के साथ भी काम किया। उनकी अंतिम फिल्म 1980 में रिलीज की गई थी।
एम.जी. रामचंद्रन के साथ 1982 में राजनीतिक शुरुआत करते हुए उन्होंने अगले ही वर्ष पार्टी के प्रोपेगेंडा सचिव का काम संभाला और बाद में अंग्रेजी में उनकी वाक क्षमता को देखते हुए रामचंद्रन ने उन्हें राज्यसभा में भिजवाया। राज्य विधानसभा के उपचुनाव में जितवाकर उन्हें विधानसभा सदस्य बनवाया।
बाद में, पार्टी के कुछ नेताओं ने उनके और रामचंद्रन के बीच दरार पैदा कर दी। जयललिता एक तमिल पत्रिका में अपने निजी जीवन के बारे में लिखती थीं पर रामचंद्रन ने दूसरे नेताओं के कहने पर उन्हें ऐसा करने से रोका।
1984 में जब मस्तिष्क के स्ट्रोक के चलते रामचंद्रन अक्षम हो गए तब जया ने मुख्यमंत्री की गद्दी संभालनी चाही, लेकिन तब रामचंद्रन ने उन्हें पार्टी के उप नेता पद से भी हटा दिया।
वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन हो गया और इसके बाद अन्ना द्रमुक दो धड़ों में बंट गई। एक धड़े की नेता एमजीआर की विधवा जानकी रामचंद्रन थीं और दूसरे की जयललिता, लेकिन जयललिता ने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
वर्ष 1989 में उनकी पार्टी ने राज्य विधानसभा में 27 सीटें जीत लीं और वे पहली निर्वाचित नेता प्रतिपक्ष बनीं। इसी तरह वर्ष 1991 में वे राजीव गांधी की हत्या के बाद राज्य में हुए चुनावों में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। वे 24 जून, 1991 से 12 मई तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं।
वर्ष 1992 में उनकी सरकार ने बालिकाओं की रक्षा के लिए ‘क्रैडल बेबी स्कीम’ शुरू की ताकि अनाथ और बेसहारा बच्चियों को खुशहाल जीवन मिल सके। इसी बर्ष राज्य में ऐसे पुलिस थाने खोले गए जहां केवल महिलाएं ही तैनात होती थीं।
1996 में उनकी पार्टी चुनावों में हार गई और वे खुद भी चुनाव हार गईं। सरकार विरोधी जनभावना और उनके मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों ने उनकी लुटिया डुबो दी।
पर 2001 में फिर एक बार मुख्यमंत्री बनने में सफल हुईं। भ्रष्टाचार के मामलों और कोर्ट से सजा होने के बावजूद वे अपनी पार्टी को चुनावों में जिताने में कामयाब रहीं।
उन्होंने गैर चुने हुए मुख्यमंत्री के तौर पर कुर्सी संभाल ली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया और उन्हें अपनी कुर्सी अपने विश्वस्त मंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को सौंपना पड़ी और वे खड़ाऊं राज चलाने लगीं। जब उन्हें मद्रास हाईकोर्ट से कुछ आरोपों से राहत मिल गई तो वे मार्च 2002 में फिर से मुख्यमंत्री बन गईं।
अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो जयललिता तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 16 मई, 2011 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं और तब से वे राज्य की मुख्यमंत्री रहींl
जयललिता को कई बार मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया जा चुका है।
आइए कुछ खास जाने इस हस्ती के बारे में-
जयललिता का जन्म एक ‘अय्यर ब्राह्मण’ परिवार में, मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक राज्य में) के मांडया जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में हुआ था।महज 2 साल की उम्र में ही उनके पिता जयराम उनकी माँ संध्या के साथ उन्हें अकेला छोड़ कर स्वर्ग सिधार गए थे।
तीन साल की उम्र में जयललिता ने भारत नाट्यम सीखना शुरू कर दिया था |उनकी प्रारंभिक शिक्षा पहले बंगलौर और बाद में चेन्नई में हुई। चेन्नई के स्टेला मारिस कॉलेज में पढ़ने की बजाय उन्होंने सरकारी वजीफे से आगे पढ़ाई की।
दशवीं में जयललिता को तमिलनाडु में दूसरा स्थान मिला था |विद्यालई शिक्षा के दौरान ही जयललिता 1961 में ‘एपिसल’ नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में काम किया।जयललिता की पहली फिल्म “A” ग्रेड थी जिसकी वजह से वो अपनी फिल्म को सिनेमा हाल में नहीं देख पायी क्यों की वो 15 साल की थीं |उसके बाद जयललिता ने तमिल फिल्मों की ओर रुख किया। वे पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर भूमिका निभाई थी।
तमिल सिनेमा में जयललिता ने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म ‘वेन्नीरादई’ से अपना करियर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया।उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़, अँग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया है।सबसे अधिक सिल्वर जुबली देने वाली तमिल अभिनेत्री हैं जयललिता उन्होंने धर्मेंद्र सहित कई अभिनेताओं के साथ काम किया, किन्तु उनकी ज्यादातर फिल्में शिवाजी गणेशन और एमजी रामचंद्रन के साथ ही आईं।
शोबन बाबू वो पहले व्यक्ति थे जिस पर जयललिता का दिल आया था परन्तु जयललिता जीवन भर अविवाहित रहीं |जयललिता का पेन नेम “थाई” था |
उसका नाम गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में है लेकिन किसी अच्छे काम के लिए नहीं । जयललिता ने वीएन सुधाकरण के विवाह में “सबसे बड़ी शादी के भोज की मेजबानी का रिकॉर्ड कायम किया है।विवाह में 6 करोड़ रुपए खर्च किए गए और 50 एकड़ में पंडाल बना था। करीब 1.5 लाख मेहमान शामिल हुए थे। 1997 में उनके जीवन पर बनी एक तमिल फिल्म ‘इरूवर’ आई थी जिसमें जयललिता की भूमिका ऐश्वर्या राय ने निभाई थी।
जयललिता की जीवनी “अम्मा जर्नी फ्रॉम मूवी स्टार टू पोलिटिकल क्वीन” भी प्रकाशित हो चुकी है |
उनको गाजर का हलवा बेहद पसंद था|
राजनीति में जयललिता अम्मा और ‘पुरातची तलाईवी’ जैसे उपनामों से प्रसिद्द हुईं |जयललिता का पसंदीदा गाना ….ऐ मालिक तेरे बन्दे हम था|
पहला फिल्मफेयर उन्हें शिवाजी गणेशन की तमिल फिल्म ‘”पट्टिकाडा पत्तनामा” (1971) के लिए मिला था। इसी साल तेलुगु फिल्म ‘श्री कृष्ण सत्य’ के लिए उन्हें दूसरा फिल्मफेयर मिला।साल 1973 में तमिल फिल्म ‘सूर्यकान्ति’ के लिए तीसरा फिल्मफेयर मिला था।
साउथ फिल्मों के सुपरस्टार रहे एमजी रामचंद्रन से जयललिता के अफेयर ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। खास बात यह है कि उस वक्त एमजी पहले से शादीशुदा और दो बच्चों के पिता थे। जब रामचंद्रन का निधन हुआ तो जयललिता ने खुद को विधवा की तरह पेश किया था।
जयललिता को ज्योषित में विश्वास रखती रहीं। इसीलिए उन्होंने अंग्रेजी में अपना नाम Jayalalitha से Jayalalithaa कर लिया। ज्योतिष के चलते ही वे आमतौर पर साड़ी, पेन और बाकी चीजें हरे रंग की यूज करती रहीं। माना जाता है कि ये रंग उनके लिए लकी था।
अम्मा ने 1982 में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की सदस्यता ग्रहण करते हुए एम॰जी॰ रामचंद्रन के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।1984 से 1989 तक वे तमिलनाडु से राज्यसभाकी सदस्य रहींl
1984 में जब मस्तिष्क के स्ट्रोक के चलते रामचंद्रन अक्षम हो गए तब जया ने मुख्यमंत्री की गद्दी संभालनी चाही, लेकिन तब रामचंद्रन ने उन्हें पार्टी के उप नेता पद से भी हटा दिया।
1989 में उनकी पार्टी ने राज्य विधानसभा में 27 सीटें जीतीं और वे तामिलनाडु की पहली निर्वाचित नेता प्रतिपक्ष बनीं।1996 में उनकी पार्टी चुनावों में हार गई और वे खुद भी चुनाव हार गईं।अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनींl
आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराए जाने तथा सजा सुनाए जाने के बाद जयललिता को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. अदालत ने उन्हें चार साल कैद की सजा सुनाई थी और 100 करोड़ रुपए का जुर्माना भी किया था.
जयललिता तमिलनाडु की दूसरी ऐसी महिला हैं जो राज्य की मुख्यमंत्री बनीं।1992 में उनकी सरकार ने सूबे में लड़कियों सुरक्षा के लिए ‘क्रैडल बेबी स्कीम’ शुरू की। इस स्कीम का मकसद अनाथ और बेसहारा लड़कियों को खुशहाल जीवन देना था।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता हार्ट अटैक के बाद चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती थी|
जयललिता को अम्मा के नाम से पुकारने वाले उनके समर्थक उन्हें किसी भगवान से कम नहीं मानते, यही बात है कि उनकी बीमारी की खबर ने हर किसी को विचलित कर दिया है।
भ्रस्टाचार के आरोप झेल रहीं जयललिता के पास 2000 एकड़ जमीन, 30 किलो सोना और 12000 साड़ियाँ थीं |
मुख्यमंत्री के रूप में जयललिता ने मात्र 1 रुपये ही तनख्वाह के रूप में लिया |
पुलिस में महिलाओं को 30% आरक्षण की शुरुआत जयललिता ने किया था |
भारत की पहली महिला पुलिस कमांडो कंपनी तमिलनाडु में जयललिता की प्रेरणा से बना |
पहली बार बिना चुनाव लडे मुख्मंत्री बनने का रिकॉर्ड भी 14 मई 2014 को जयललिता ने बनाया |
जयललिता को गठिया की समस्या थी, इसलिए उनके लिए सागौन की लकड़ी की बनी खास कुर्सी डिजाइन की गई थी। यह कुर्सी दिल्ली स्थित तमिलनाडु भवन में रखी होती है। दिल्ली दौरे के दौरान जयललिता जहां-जहां जाती , कुर्सी भी वहां-वहां ले जाई जाती थी।
जयललिता ने 5 दिसंबर 2016 को रात्रि 11:30 पर इस नश्वर संसार को विदा कह दिया |
-अनिल अनूप

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