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बग़ीचा (लघुकथा) - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
श्री भास्कर चतुर्वेदी को हमेशा से फूलों व फलों के बग़ीचों से बहुत लगाव था। सेवानिवृत्त होने के बाद उनका ये शौक जुनून बन गया था। उनके बंगले के चारों ओर ज़मीन थी जिसे उन्होने बहुत व्यव्थित तरीके से संवारा था। छोटे से शहर मे उनके बग़ीचे की बहुत चर्चा…