जार्ज बुश को नहीं छोड़ रहा उनके युद्ध अपराधों का भूत

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तनवीर जाफ़री

धरती पर पर्यावरण असंतुलन की बात हो या अमेरिका में आई भारी आर्थिक मंदी की या फिर बढ़ती हुई ग्लोबल वार्मिंग में हिस्सेदारी की बात हो अथवा दुनिया के सबसे बड़े मानवाधिकार हनन के कर्ता का जिक्र हो, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्लू बुश द्वितीय का नाम उपरोक्त सभी त्रासदियों के लिए सबसे ऊपर लिया जाता है। आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध के ऐलान का जो नारा उन्होंने अमेरिका पर हुए 911 के हमले के बाद दिया था उसके पश्चात अमेरिका की अर्थव्यवस्था का जो बुरा हाल हुआ है वह आज पूरी दुनिया के सामने है। उनके उत्तराधिकारी वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा ही नहीं बल्कि आने वाले कई अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश द्वारा अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पहुंचाए गए भारी नुंकसान की कीमत अदा करते रहेंगे। इतना ही नहीं बल्कि बुश के कार्यकाल में पूरे अमेरिका की छवि विश्व में जिस प्रकार चौपट हुई है तथा दुनिया में अपनी मनमानी करने व दादागीरी करने का जो तमग़ा अमेरिका को मिल गया है उसकी भी भरपाई कम से कम अगले कुछ दशकों तक तो ंकतई नहीं की जा सकती।

हालांकि 911 के आतंकी हमले को एक दशक बीत चुका है परंतु जार्ज बुश पर सवार हुआ युद्ध अपराधों का भूत अभी भी उनका पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा है। उनके राष्ट्रपति रहते हुए भी व्हाईट हाऊस के समक्ष तथा और कई प्रमुख अमेरिकी शहरों में बुश विरोधी प्रदर्शन हुआ करते थे। उनके पुतले जलाए जाते थे तथा उनके विरूद्ध तरह-तरह के अपमानजनक नारों से भरे हुए बैनर व तख्तियां हाथों में लेकर प्रदर्शित की जाती थीं। स्वयं अमेरिकी नागरिक बुश के विरूद्ध इस प्रकार की तख्तियां अपने हाथों में उठाकर प्रदर्शन करते थे जिसमें लिखा होता था ‘धरती मां की रक्षा के लिए बुश की हत्या करो’, युद्ध अपराधों के लिए बुश को फांसी दो, बुश बीमारी है और उसकी मौत ही इसका इलाज है, मैं यहां बुश की हत्या के लिए आया हूं मुझे गोली मार दो, अब तक का सबसे घटिया राष्ट्रपति जार्ज बुश है, दुनिया का नंबर वन आतंकवादी जार्ज बुश आदि। ग़ौरतलब है कि केवल उक्त नारों से लिखी तख्तियां ही राष्ट्रपति भवन के सामने प्रदर्शित नहीं हो रही थीं बल्कि प्रतीकात्मक रूप से कोई जार्ज बुश का कटा हुआ सिर का मुखौटा हाथों में लिए प्रदर्शन करता दिखाई देता था तो कोई उनके पुतले को फांसी के फंदे पर लटकाए हुए दिखाता था। तो कोई बुश के पुतलों में आग लगाता व उन्हें जूतों से मारता दिखाई देता था।

मुझे नहीं मालूम की जार्ज बुश के अतिरिक्त किसी अन्य अमेरिकी राष्ट्रपति को भी पहले कभी अमेरिकी जनता के इस प्रकार के आक्रोश का सामना करना पड़ा हो तथा इतने अपमानजनक दौर से गुजरना पड़ा हो। इन सब का कारण केवल यही था कि अमेरिकी जनता बड़ी ही सूक्ष्म दृष्टि से जार्ज बुश द्वारा की गई आतंकवाद के विरूद्ध युद्ध की यलंगार को देख व समझ रही थी तथा उसके सभी पहलुओं से बंखूबी वांकिंफ थी। अमेरिकी जनता इस बात से भी भली भांति वाकिफ़ थी कि जार्ज बुश का आतंकवाद के नाम पर इरांक जैसे तेल प्रधान देश में सैन्य हस्तक्षेप करना आतंकवाद को लेकर नहीं बल्कि यह सब केवल तेल का ही ख्रेल है। हालांकि अमेरिका में ही चल रही एक दूसरी थ्योरी जिसके विस्तार में जाने की यहां आवश्यकता नहीं वह तो यह भी कहती है कि न्यूयार्क में 911 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकवादियों द्वारा किया गया हमला भी एक सुनियोजित साजिश का परिणाम था। अमेरिकी फिल्मकार माइकल मूर तो इस साजिश पर आधारित ‘फार्नहाईट 9/11’ नामक एक फिल्म भी बना चुके हैं। तथा इस विषय पर तमाम पुस्तकें भी अनेक दलीलों व तथ्यों के साथ प्रकाशित हो चुकी हैं। इस वर्ग का सांफतौर पर यह मानना है कि इरांक की तेल संपदा पर कब्‍जा करने के लिए ही 9/11 जैसे खतरनाक हमले की योजना रची गई तथा बेवजह कई पश्चिमी देशों को अपने साथ लेकर अफगानिस्तान के रास्ते इरांक की ओर मोड़ दिया गया।

जार्ज बुश के विरोध व उन्हें युद्ध अपराधों के लिए सजा दिए जाने की मांग का सिलसिला अभी समाप्त नहीं हुआ है। यह अब भी बदस्तूर जारी है। बुश अभी भी जिन-जिन देशों में जा रहे हैं विशेषकर पश्चिमी देशों की यात्रा की योजना बनाते हैं वहां-वहां उनके विरुद्ध कार्रवाई करने, उन्हें गिरफ्तार करने व सजा देने की मांग उठने लग जाती है। उदाहरण के तौर पर इसी 20अक्तूबर को जार्ज बुश का कनाडा जाने का कार्यक्रम है। कनाडा में पश्चिमी ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सर्रे में आयोजित आर्थिक मुद्दों से संबंधित एक बैठक में उनके भाग लेने की संभावना है। परंतु अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा बुश के इस प्रस्तावित दौरे का भारी विरोध किया जा रहा है। एमनेस्टी के कार्यकर्ताओं ने कनाडा प्रशासन से मांग की है कि यदि बुश यहां आते हैं तो उन्हें गिरंफ्तार किया जाए व युद्ध अपराधों के लिए दोषी होने के कारण उन्हें सजा दी जाए। एमनेस्टी का कहना है कि बुश केवल युद्ध अपराधों के ही दोषी नहीं बल्कि उन्होंने अफगानिस्तान व इराक में युद्ध के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों को प्रताड़ित किए जाने व यातना देने के भी आदेश दिए। संस्था का आरोप है कि बुश एक-दो नहीं बल्कि अनेक शृंखलाबद्ध मानवाधिकार उल्लंघन के कार्यों के लिए दोषी हैं। एमनेस्टी इंटनेशनल के प्रवक्ता सुसान ली का कहना है कि कनाडा सरकार को दुनिया को कनाडा में न्याय होता दिखाने के लिए बुश को गिरंफ्तार कर उसे सजा देनी चाहिए। ली का कहना है कि यह देखा जा रहा है कि अमेरिकी प्रशासन जार्ज बुश के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर पा रहा है तथा दुनिया को न्याय नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का कर्तव्य है कि वह इसके लिए आगे आए। और यदि ऐसा नहीं होता है तो यह संयुक्त राष्ट्र के ‘कन्वेन्शन एगेन्सट टेरर ‘ का उल्लंघन होगा तथा यह बुनियादी मानवाधिकारों की अवमानना भी होगी।

बुश के कनाडा दौरे पर हो रहे भारी विरोध को देखते हुए इस बात की भी प्रबल संभावना है कि कनाडा प्रशासन अथवा बुश विरोधी प्रदर्शनकारी जार्ज बुश को अमेरिका-कनाडा सीमा पर ही रोक लें व उन्हें कनाडा में प्रवेश ही न करने दें। ऐसे ही हालात गत् फरवरी में स्विट्जरलैंड में भी उस समय पैदा हो गए थे जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता तथा एमनेस्टी से जुड़े सदस्य भारी संख्या में स्विट्जरलैंड में बुश के विरुद्ध एकत्रित होकर उनके प्रस्तावित दौरे का विरोध करने लगे थे। और यह विरोध इतना प्रबल था कि आंखिरकार जार्ज बुश को अपना स्विट्जरलैंड दौरा ही स्थगित करना पड़ा था। और अब वही स्थिति कनाडा में भी पैदा हो गई है। एमनेस्टी के पदाधिकारियों का तो यहां तक कहना है कि जार्ज बुश के विरुद्ध पूरी दुनिया में एक वातावरण तैयार किया जाएगा तथा विश्व के सभी देशों पर इस बात के लिए दबाव बनाया जाएगा कि जार्ज बुश को गिरफ्तार करने व उसे साा दिलाने के लिए आगे आएं। इस आशय का दबाव विश्व के सभी देशों की सरकारों पर बनाया जाएगा। इन स्वयंसेवी संगठनों का मानना है कि एक ओर जार्ज बुश घोर अपराधी हैं तथा दूसरी ओर मानवाधिकारों की रक्षा करना अंतर्राष्ट्रीय कानून व प्रतिबद्धता है। दुनिया का कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं हो सकता। जबकि जार्ज बुश ने तो दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति के पद पर 8 वर्षों तक बैठकर अंतर्राष्ट्रीय कायदे-कानूनों का घोर उल्लंघन किया है। जाहिर है कि बुश भी कानून से ऊपर कतई नहीं हैं।

जार्ज बुश पर तमाम पश्चिमी देशों को आतंकवाद के नाम पर गुमराह कर दस हजार से अधिक पश्चिमी सैनिकों को मरवाने का ही दोष नहीं बल्कि लाखों बेगुनाह लोगों की भी इस युद्ध के दौरान हत्या कराने की जिम्मेदारी है। इतना ही नहीं बल्कि उनपर 2002 से 2009 के मध्य सी आई ए द्वारा गिरंफ्तार किए गए संदिग्ध अपराधियों के साथ जिन्हें कि क्यूबा की गवांतानामो बे नामक जेल में रखा जाता था, को बुरी तरह प्रताड़ित करने का आदेश दिए जाने का भी इलाम है। इस जेल में अपराधियों के साथ-साथ तमाम निरापराधी लोग भी रहा करते थे जिन्हें बुश के ओदश पर न केवल बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता था बल्कि उन्हें पानी में बार-बार डुबोने जैसे पीड़ादायक दौर से भी गुजारा जाता था। इतना ही नहीं बल्कि यातना देने के बाद उठने वाले दर्द का कोई इलाज करने के बजाए उन्हें उन्हीं हालात में घंटों तड़पते रहने तथा पीड़ादायक स्थिति में सो जाने के लिए भी बाध्य किया जाता था। युद्ध अपराधों का इतना बड़ा जिम्मेदार यदि किसी अन्य देश का कोई नेता या तानाशाह होता तो उसे निश्चित रूप से अब तक सद्दाम हुसैन अथवा कर्नल गद्दांफी जैसे दौर से गुजरना पड़ता। परंतु चूंकि बात दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति रह चुके व्यक्ति द्वारा किए गए अपराधों से जुड़ी है लिहाजा इस बात की कोई गारंटी नहीं ली जा सकती कि जार्ज बुश के सताए हुए तथा उनके काले कारनामों से पीड़ित व प्रभावित लोगों को कभी न्याय मिलेगा भी अथवा नहीं । परंतु इतना तो जरूर है कि जार्ज बुश की जिंदगी में युद्ध अपराधों के भूत उनका पीछा कभी नहीं छोड़ने वाले।

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