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गजल-भारत मेरा काबुल नहीं बग़दाद नहीं है....-इकबाल हिंदुस्तानी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
खुदग़र्जियां तो है मगर जेहाद नहीं है, सब भूल गये हम हमें कुछ याद नहीं है। बेमेल मुहब्बत का नतीजा ही तो ग़म है, शीरीं तो हैं कर्इ मगर फ़रहाद नहीं है। नेपाल है प्यारा हमें लंका भी पसंद है, भारत मेरा काबुल नहीं बग़दाद नहीं है। …